कृषि वानिकी योजना: 1.50 लाख वृक्षारोपण का लक्ष्य

कृषि वानिकी योजना: 1.50 लाख वृक्षारोपण का लक्ष्य

कृषि वानिकी योजना: 1.50 लाख वृक्षारोपण का लक्ष्य

Chhapra: पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार सरकार की ओर से किसानों की आमदनी बढ़ाने एवं पर्यावरण को स्वच्छ रखने के उद्देश्य से कृषि वानिकी योजना का शुभारंभ किया गया है। सारण जिला में इस वित्तीय वर्ष 2023 -24 में किसानों की भूमि पर 1.50 लाख वृक्षारोपण का लक्ष्य रखा गया है।

कृषि वानिकी मृदा-प्रबन्धन की एक ऐसी पध्दति है जिसके अन्तर्गत एक ही भूखण्ड पर कृषि फसलें एवं बहुउद्देश्यीय वृक्षो झाड़ियों के उत्पादन के साथ-साथ पशुपालन व्यवसाय को लगातार या मबध्द विधि से संरक्षित किया जाता है और इससे भूमि की उपजाऊ शक्ति में वृध्दि की जा सकती है।

जिले के एकमा, मांझी, जलालपुर, मशरख, मढ़ौरा, तरैया, अमनौर, परसा, सोनपुर, छपरा सदर प्रखण्डों में वन विभाग के पौधशाला में मुख्य प्रजाति क्रमशः महोगनी, सागवान, युकेलिप्टस, शीशम, कालाशीशम, अर्जुन, जामुन, सेमल इत्यादि के पौधे उपलब्ध है। इस योजना के तहत विभाग द्वारा किसानों से 10/- रू0 प्रति पौधा जमानत राशि के रूप में लिया जाता है तथा तीन वर्षों के पश्चात् पौधों की 50 प्रतिशत से अधिक उतरजीविता के आधार पर 60/- रू0 प्रति पौधा के दर से भुगतान किया जाता है। साथ हीं जमानत राशि भी किसानों को वापस कर दिया जाता है।

इस वर्ष किसानों को अन्य प्रजाति के पौधों के अतिरिक्त पॉप्लर एवं बांस के पौधों का भी किसानों की भूमि पर वृक्षारोण हेतु सरकार के द्वारा सुनहरा कदम उठाया गया है जिससे किसानों को कम समय में अधिक आर्थिक लाभ होगा। इस योजना में किसानों को सम्मिलित होने हेतु आवेदन की अंतिम तिथि 30.06.2023 निर्धारित किया गया है। किसान पौधा लेने से संबंधित जानकरी हेतु मो0 नं0-7858998981 पर सम्पर्क कर सकते हैं।

कृषि-वन पध्दति: इस पध्दति में बहुउद्देश्यीय वृक्ष जैसे शीशम, सागौन, नीम, महोगनी, यूकेलिप्टस के साथ-साथ रिक्त स्थान में खरीफ में संकर वार, संकर बाजरा, अरहर, मूंग, उरद, लोबिया तथा रबी में गेहूँ, चना, सरसों और अलसी की खेती की जा सकती है . इस पध्दति के अपनाने से इमारती लकड़ी, जलाऊ लकड़ी, खाद्यान्न, दालें व तिलहनों की प्राप्ति होती है . पशुओं को चारा भी उपलब्ध होता है .

मेड़ों पर वृक्षारोपण- इस पध्दति ने खेतों के चारों ओर निर्मित मेड़ों पर जामुन, नीम, सहजन, महोगनी, पॉपुलर, सेमल इत्यादि की अतिरिक्त उपज प्राप्त् की जा सकती है . साथ ही चारा, ईंधन इमारती लकड़ी भी प्राप्त् होती हैं और भूमि सरंक्षण भी होता है .

कृषि-वानिकी से सम्बन्धित प्रमुख उद्योग:

1. कागज उद्योग- इस उद्योग में विभिन्न प्रकार के पौधों जैसे-बांस, पॉपलर, चीड़ इत्यादि का प्रयोग किया जाता है.

2. विभिन्न प्रकार के औषधीय वृक्षों को भी कृषि-वानिकी के अंतर्गत लगाया जाता है. जिनमें आंवला, बेल, अशोक, अर्जुन, नीम, करंज, हरड़, बहेड़ा इत्यादि प्रमुख हैं.

3. माचिस की तीली बनाने में प्रयोग किये जाने वाले वृक्षों में सेमल एवं पॉपलर प्रमुख हैं, इन्हें भी कृषि-वानिकी में उगाया जाता है.

4. कृषि-वानिकी पद्धति के अंतर्गत उगाये जाने वाले पौधों से ईधन के साथ-साथ बहुयोगी इमारती लकड़ी भी प्राप्त होती है . जिसका प्रयोग फर्नीचर, नाव, पानी के जहाज, खिलौनों इत्यादि में किया जाता है . इसमें साल, सागौन, शीशम, चीड़ इत्यादि की लकड़ियाँ प्रमुख रूप से उगायी की जाती हैं।

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