जी-20 समूह का जलवायु परिवर्तन के प्रति दृष्टिकोण संतोष जनक: प्रशान्त सिन्हा

जी-20 समूह का जलवायु परिवर्तन के प्रति दृष्टिकोण संतोष जनक: प्रशान्त सिन्हा

जी -20 शिखर सम्मेलन में अनेक मुद्दों पर चर्चा में जलवायु खतरों से निपटने के उपायों का एजेंडा भी शामिल किया गया। जैसे ही भारत ने दिसंबर 2022में इंडोनेशिया से अध्यक्षता की पदभार संभाला भारत लाइफ आंदोलन पर ध्यान केन्द्रित करने के साथ अमृत काल के माध्यम से सभी के लिए एक साझा वैश्विक भविष्य लाने के मिशन पर निकल पड़ा। जिसका उद्देश्य पर्यावरण के प्रति जागरुक प्रथाओं और जीवन जीने के एक स्थायी तरीके को बढ़ावा देना है। भारत का ध्यान जलवायु परिर्वतन पर है, जिसमे जलवायु वित्त और प्रौद्योगिकी पर विशेष जोर दिया गया है, साथ ही विकासशील देशों के लिए उचित ऊर्जा परिर्वतन सुनिश्चित किया गया है।

भारत ने जी -20 शिखर सम्मेलन के दौरान वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन की शुरूआत करते हुए सभी देशों से इससे जुड़ने का आह्वान किया। इसके तहत पेट्रोल में एथनॉल या किसी अन्य जैव ईंधन को 20 फीसदी तक मिश्रित करने का प्रावधान है। इसका मकसद जलवायु खतरों से निपटने के लिए हरित इंघन के इस्तेमाल को बढ़ावा देना है। प्रधान मंत्री मोदी ने जी -20 के पहले सत्र में यह प्रस्ताव रखा कि सभी देश पेट्रोल में इथेनॉल ( मिश्रण ) लेडिंग को वैश्विक स्तर पर 20 फीसदी तक ले जाने के लिए पहल करें।

2050 तक नेट जीरो एमिशन लक्ष्य के लिए सस्टेनेबल बायो फ्यूल महत्वपूर्ण है। इसे देखते हुए ग्लोबल बायो फ्यूल लॉन्च किया गया जो सराहनीय है। भारत, ब्राजील, इटली, कनाडा, अर्जेंटीना और दक्षिण अफ्रीका इसकेसंस्थापक सदस्य है। प्रधान मंत्री मोदी ने ग्रीन क्रेडिट इनिशिएटिव की शुरूआत करने की भी सलाह दी। जी -20 की 18वीं बैठक में विभिन्न देशों ने ठोस प्रतिबद्धताएं दिखाई और जलवायु संकट से निपटने में अपने प्रयासों का गति देने की बात कही। जी – 20 घोषणा पत्र में पहली बार रिव्यूनेवल एनर्जी आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने के लिए फाइनेंस की जरूरत पर फोकस किया गया है।

जी – 20 में हुए ग्रीन डेवलपमेंट फॉर ए सस्टेनेबल फ्यूचर ( सतत भविष्य के लिए हरित विकास समझौता ) में इस बात को स्वीकार किया गया कि मौजूदा और भावी पीढियां तभी समृद्ध हो सकती है जब मौजूदा विकास और अन्य नीतियों में पर्यावरण की दृष्टि से सस्टेनेबल तरीका और समावेशी आर्थिक विकास को अपनाया समझौते में यह भी कहा गया कि दुनिया के सभी देश पेरिस समझौते के तहत उत्सर्जन कम करने के लक्ष्य पर आगे नहीं बढ़े हैं इसलिए आवश्यक है कि सभी देश इस मुद्दे पर आगे आएं। कॉप 26 में भारत ने हरित ग्रिड इनिशिएटिव वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रिड लॉन्च किया था। आज भारत उन देशों में है जहां बहुत बड़े पैमाने पर सोलर क्रांति हो रही है।

भारत के करोड़ों किसान अब प्राकृतिक खेती को अपना रहे हैं। यह मानव स्वास्थ्य के साथ भूमि तथा पृथ्वी के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने का भी बड़ा अभियान है। भारत के साथ साथ ग्लोबल साउथ के सभी देशों को खुशी है कि विकसित देशों ने इस साल यानि 2023 में एक अहम सकारात्मक पहल की है। विकसित देशों ने जलवायु वित्त के लिए अपने अरब डॉलर के वादे को पूरा करने के लिए पहली बार इच्छा ज़ाहिर की है। हरित विकास समझौते को अपना कर जी -20 ने सस्टेनेबल और हरित ऊर्जा विकास के प्रति अपने दायित्व को निर्वाहन किया है।

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