वाल्मीकि: भारतीय समाज के सांस्कृतिक समरसता के प्रतीक

वाल्मीकि: भारतीय समाज के सांस्कृतिक समरसता के प्रतीक

Madhepura: बीएन मंडल विवि के परिसर स्थित डॉ. नरेंद्र श्रीवास्तव के आवास पर संस्कार भारती मधेपुरा के तत्वाधान में रामायण के रचईता महर्षि वाल्मीकि के जयंती पर पुष्पांजलि सह परिचर्चा कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

इस अवसर पर कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए संस्कार भारती मधेपुरा के संरक्षक सह बीएन मंडल विवि के पूर्व कुलसचिव डॉ. नरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा की महर्षि वाल्मीकि दलित समाज के होते हुए भारतीय संस्कृति पर एक महाकाव्य रामायण की रचना की जिसमें भारतीय संस्कृति के सभी आयामों का जैसे पिता पुत्र का कर्तव्य, राजा का समाज के प्रति दायित्व, सांस्कृतिक चेतना का निर्माण, सामाजिक समरसता का बोध, धर्म संस्कृति के पूर्णस्थापन इत्यादि की उत्कृष्ट व्याख्या की गई है.

इस अवसर पर संस्कार भारती के जिला संयोजक राहुल यादव ने कहा की महर्षि वाल्मीकि ने सामाजिक समरसता की व्याख्या की है जबकि आजकल कुछ राजनैतिक नेताओं और कार्यकर्ताओं के द्वारा खंडित छंदों को वर्णित करते हुए भ्रामक दुसप्रचार कर रहे हैं जो की महर्षि वाल्मीकि के मूल तत्वों के विपरीत है.

इस अवसर पर अतिथि सहायक प्राध्यापक डॉ. ब्रजेश कुमार सिंह एवं कार्यक्रम सहसंयोजक सुधांशु कुमार ने कहा की महर्षि वाल्मीकि भारतीय सभ्यता के प्रतीक हैं एवं इनके जयंती को भारत सरकार के द्वारा देश स्तर पे छुट्टी घोषित करते हुए राजकीय कार्यक्रम करवाना चाहिए जिससे की आने वाले युवा वर्ग को महर्षि वाल्मीकि एवं इनके द्वारा रचित रामायण के बारे में पूर्ण एवं सही जानकारी प्राप्त हो सके.

इस अवसर पर कार्यक्रम संयोजक अमित अंशु, बिपिन कुमार, साजन कुमार, आनंद कुमार, राजन कुमार, आयुष कुमार, अजय कुमार आदि उपस्थित थे.

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