Chhapra/Sonpur( Surabhit Dutt): अपनी संस्कृति और पौराणिक महत्व के कारण हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला विश्व विख्यात है. मेले में पारंपरिक परिधान और मिष्ठानों की दुकानें सजती है तो वही ग्रामीण संस्कृति की पहचान कई वस्तुएं मिलती है. मेले में देश के लगभग सभी प्रदेशों से व्यापारी पहुंचते है. कोई अपने मवेशियों की खरीद बिक्री के लिए पहुंचता है तो कोई कपड़े और अन्य व्यवसाय के लिए. मेले में मिनी भारत सा नजारा दीखता है.
सोनपुर मेला में मिलने वाली मिटटी की बनी सिटी और घिरनईया इस मेले में पहुंचे सभी सैलानी को अपनी और आकर्षित करती है. प्राचीन काल में तो इस तरह के मिटटी के बने खिलौनों की मांग थी पर आधुनिक मोबाइल और वीडियो गेम युग में इसे ग्रामीण बच्चे ही खरीदते है. शहरी बच्चे तो इससे दूर ही है.
मेले में दूर दूर से व्यापारी अपने मिष्ठान की दुकान लेकर पहुंचते है. मेले में गुड़ में बनी जलेबी मिलती है जो प्रसिद्द है. इस के साथ ही गया आदि स्थानों से दुकानदार खाजा, गाजा, तिलकुट, बरफी (सभी पारंपरिक मिठाई) लेकर पहुंचते है.
कश्मीर और अन्य जगहों से पहुंचे वस्त्र व्यापारी मेले की शान को बढ़ा रहे है. मेले में आकर्षक परिधानों की खूब बिक्री हो रही है. साथ ही ठण्ड के मौसम को देखते हुए गर्म कपड़े भी बिक रहे है. मेले में प्रत्येक साल कश्मीर, पंजाब, पश्चिम बंगाल आदि प्रदेशों के व्यापारी पहुंचते है. हथकरघा, खादी के परिधानों की भी खूब मांग है.
मेले में कुटीर उद्योग, बांस आदि शिल्प कला के सामानों की दुकानों पर मिलने वाले सामानों को सैलानी खूब पसंद कर रहे है.
सोनपुर मेला भारत की सांस्कृतिक विरासत को आधुनिक युग से परिचय करा रहा है. देश दुनिया के लोगों को भारत की परंपरा और संस्कृति को जानने का एक अवसर इस मेले के भ्रमण से मिल रहा है.