बेगूसराय: बिहार और पड़ोसी देश नेपाल को अब हवाई इंधन (एटीएफ) के लिए दूसरे राज्यों के भरोसे नहीं रहना पड़ेगा। बिहार के इकलौते तेल शोधक इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के बरौनी रिफाइनरी से अगले साल 2022 से एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) का उत्पादन शुरू हो जाएगा। मेक इन इंडिया को स्वदेशी शोधन तकनीक से मजबूत करने के उद्देश्य से बिहार एवं नेपाल के हवाई तेल जरूरतों को पूरा करने वाले एटीएफ हाइड्रो इंडजेट यूनिट के कमिशनिंग का कार्य काफी तेजी से चल रहा है। इस परियोजना को अक्टूबर में ही पूरा कर लिया जाना था लेकिन कोरोना के कारण विलंब हुआ तथा इसी महीने दिसंबर के अंत तक यूनिट कमिशनिंंग पूरा कर लिया जाएगा, इसके बाद अगलेे वर्ष उत्पादन और आपूर्ति शुरू हो जाएगी। संभावना है कि ट्रायल के बाद अप्रैल से बरौनी रिफाइनरी एटीएफ की आपूर्ति शुरू कर दे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 17 फरवरी 2019 को शिलान्यास किए गए इंडजेट यूनिट से हवाई ईंधन (एटीएफ या विमान टर्बाइन इंधन) के उत्पादन के लिए उर्जा कौशल और किफायत की दृष्टि से करीब 189 करोड़ की लागत से स्थापित किया जा रहा है।
इस परियोजना में इंडियन ऑयल के अनुसंधान एवं विकास केंद्र द्वारा विकसित स्वदेशी तकनीक का उपयोग किया जा रहा है, जो केन्द्र सरकार के मेक इन इंडिया पहल को मजबूत करती है। यह यूनिट नागरिक एवं सैन्य, दोनों विमानन ईंधन की आवश्यकता को पूरा करेगा तथा 250 किलो टन (केटीपीए) एटीएफ प्रतिवर्ष के उत्पादन की योजना है। बिहार की औद्योगिक राजधानी बेगूसराय में लग रहा यह यूनिट बिहार एवं आसपास के क्षेत्रों के साथ-साथ नेपाल ऑयल कॉरपोरेशन के एटीएफ आवश्यकता को भी पूरा करेगा। जो कि वर्तमान में बिहार से बाहर के इंडियन ऑयल रिफाइनरी द्वारा आपूर्ति की जाती है।
बरौनी रिफाइनरी के कार्यपालक निदेशक और रिफाइनरी प्रमुख शुक्ला मिस्त्री ने बताया कि इस वर्ष इंडजेट यूनिट को कमिशन कर लिया जाएगा तथा 2022 से हवाई ईंधन की आपूर्ति बरौनी रिफाइनरी द्वारा की जाएगी। उल्लेखनीय है कि 15 जनवरी 1965 को तत्कालीन केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री प्रो. हुमायूं कबीर द्वारा एक मिलियन मैट्रिक टन शोधन क्षमता के बरौनी रिफाइनरी का उद्घाटन किया गया था। 1969 में इसकी क्षमता एक से बढ़ाकर तीन एमएमटीपीए कर दिया गया। इसके बाद 1999 में रिफाइनरी की क्षमता का नवीकरण कर तीन से छह एमएमटीपीए किया गया था। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में इसकी क्षमता छह से बढ़ाकर नौ एमएमटीपीए किया जा रहा है। इसके साथ ही हवाई ईंधन बनाने और पेट्रोकेमिकल की स्थापना का काम भी काफी तेजी से चल रहा है। इंडजेट यूनिट जहां हवाई तेल के मांग पूर्ति में सहायक होगा, वहीं पेट्रोकेमिकल बिहार के औद्योगिक विकास का नया आयाम रचेगा।