बेगूसराय: केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि हर गांव के मठ-मंदिर पर यह हालत बने की बच्चे-बूढ़े सभी लोगों की सहभागिता मठ-मंदिर के साथ जुड़ें। बेगूसराय के वभनगामा ठाकुरबाड़ी में नए महंत के अभिषेक के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने तथा संत समाज से आशीर्वाद लेने पहुंचे गिरिराज सिंह ने संत-महात्माओं से हर गांव के मठ-मंदिरों से गांव के सभी लोगों को जोड़ने का अनुरोध किया।
गिरिराज सिंह ने कहा कि देश के अंदर ज्यों-ज्यों मठ और मंदिर कमजोर पड़ते गया, त्यों-त्यों सनातन धर्म कमजोर होते चला गया। इसलिए संत-महंत गांव के बच्चों को मठ-मंदिर से जोड़ें, बच्चों को गायत्री मंत्र सिखाया जाय। बच्चों को हनुमान चालीसा सिखाया और पढ़ाया जाए, रामायण का पाठ-प्रवचन हो।सभी गांव में हनुमान जी, शंकर जी, काली जी, दुर्गा जी, ठाकुर जी का मंदिर होता है तथा उनका सप्ताह में एक विशेष दिन होता है। उस दिन संध्या कालीन आरती के समय गांव के सभी बच्चे सहित तमाम लोग सामूहिक रूप से शामिल हों। बच्चे जब संस्कार और संस्कृति से जुड़ेंगे तो भारत फिर से सांस्कृतिक विरासत वापस लेकर आएगा। सांस्कृतिक विरासत जब वापस आएगा तो फिर कोई हमारी तरफ बुरी नजर से देखने वाला नहीं होगा।
मौके पर उपस्थित बिहार एवं झारखंड के जिले तथा नेपाल से आए संत-महंतों ने कहा कि हमने सनातन धर्म को संपूर्ण रूप से साथ निर्वहन करने का संकल्प लिया है, सनातन धर्म को आत्मसात कर लिया है। सनातन एक ऐसा धर्म है जो शाकाहारी से लेकर मांसाहारी तक सबों की पूजा करता है। राष्ट्र के लिए जीने वाला, मरने वाला, जागने वाला सच्चा धर्मी होता है।
संतों ने कहा कि राजस्थान के उदयपुर में कन्हैया लाल की हत्या अज्ञानता है। हम भूवंश की रक्षा के लिए काम करते हैं, जबकि असुरों ने खून बहाना ही सीखा है। हम अपने को इतना बलिष्ठ कर रहे हैं कि उस असुर को भारत से भागना होगा। यह धरती प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि और कर्मभूमि है।
यह उस प्रभु की भूमि है जहां शिव के साथ रहते हुए भी रावण रुक नहीं सका। उस आताताई से परेशान होकर प्रभु श्रीराम जब लंका की ओर चले तो शिवजी ने भी अपने भक्त रावण का नहीं, राष्ट्र और स्वाभिमान की रक्षा को लेकर चलने वाले प्रभु श्रीराम का साथ दिया। क्योंकि वह सनातन धर्म की परंपरा के साथ थे, यह देश काल देशांतर को भारत के आगे भी ले जाना है।