बिहार में क्या अब ताड़ी बनेगा पियक्कड़ों का सहारा!

बिहार में क्या अब ताड़ी बनेगा पियक्कड़ों का सहारा!

पटना: बिहार सरकार ने जब से राज्य में पूर्ण शराब बंदी की घोषणा की है ऐसा लग रहा है जैसे पियक्कड़ों की तो जान ही निकल गई है. राज्य में सभी मधुशालाएं बंद है जिस वजह से हर रोज शराब पीने के आदत से मजबूर लोग अपनी प्यास बुझाने के लिए इधर-उधर भटक रहे है.

राज्य सरकार ने नई उत्पाद नीति के तहत शराब पर पूर्णतया प्रतिबन्ध लगा रखा है पर ताड़ी को पेड़ से उतारने और उसके व्यक्तिगत इस्तेमाल को लेकर कोई प्रतिबन्ध नहीं है. ऐसे में पीने वालों को थोड़ी राहत जरूर मिल गई है. हालाँकि ताड़ी के व्यवसाय करने और उसको सार्वजानिक स्थानों पर बेचना मना है पर पेड़ से उतारकर पीना मना नहीं है. अब पीने के शौकीन लोग ताड़ी के भरोसे अपनी प्यास बुझाने की नई-नई तरकीबें बना रहे हैं.

पटना खेमनिचक के निवासी मन्नू प्रसाद के गाँव में उनका अपना ताड़ का पेड़ है, उन्होंने कहा कि अब रविवार के रविवार वो गाँव जाया करेंगे ताकि उन्हें ताड़ी का आनंद प्राप्त हो सके.

अनिशाबाद के पवन कुमार मांझी जो पेशे से बीमा एजेंट हैं उन्होंने बताया कि शुद्ध ताड़ी पीने से स्वास्थ्य पर कोई खराब असर नहीं पड़ता. इस बार गर्मियों की छुट्टी में जब वो अपने गाँव मखदुमपुर जाएंग तो ताड़ी से ही काम चलाएंगे.

बिहार में जब से पूर्ण शराब बंदी कर दी गई है शराब पीने वालों की बेचैनी बढ़ गई है. हर दिन ऐसे लोग पानी को ही शराब समझ कर अपनी प्यास बुझा रहे है. शराब और शराबियों के बीच का संघर्ष कब तक चलेगा ये कहना तो मुश्किल है पर व्यक्तिगत रूप से ताड़ी का सेवन करने की छूट देकर बिहार सरकार ने पीने वाले लोगों थोड़ी राहत जरूर पहुंचाई है.

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