छपरा(कबीर अहमद):  शहर में नवनिर्मित रेल ओवरब्रिज इन दिनों युवाओं के सेल्फी लेने का केंद्र बन गया है. शहर के इस पहले रेल ओवर ब्रिज के बनने की प्रतीक्षा कर रहे लोग अब इसपर घूमने से अपने को रोक नहीं पा रहे है. फिलहाल, इस ओवरब्रिज को आधिकारिक रूप से चालू नहीं किया गया है फिर भी लोगों ने बाइक, साईकिल और पैदल इस पर घूमना शुरू कर दिया है.

जब छपरा टुडे की टीम ने इस ओवरब्रिज जायज़ा लिया तो एक अलग ही नज़ारा देखने को मिला. क्या बच्चे, क्या बूढ़े और नौजवान सभी के चेहरे की मुस्कान ही सब बयां कर रही थी. कोई सेल्फी लेता दिख रहा था तो कोई ब्रिज पर चल रही ठंडी हवा का लुत्फ ले रहा था. लोगों का कहना था कि पुल बन जाने से जाम की समस्या का काफी हद तक राहत मिलेगी. इसके साथ ही रेलवे क्रासिंग पर घंटों जाम में फंसे रहने वालों के लिए यह बेहतर विकल्प साबित होगा. जब हमने बच्चों से बात की तो उन्होंने कहा कि रेलवे क्रासिंग पार कर स्कूल जाने में बहुत परेशानी होती थी जो अब ओवरब्रिज के बन जाने से समाप्त हो गयी है.

इसे भी पढ़े: शहर का पहला रेल ओवरब्रिज बनकर तैयार, उद्घाटन का इंतज़ार

वीडियो में देखे क्या कहा लोगों ने

आपको बता दें कि शहर के पहले रेल ओवरब्रिज को बनाने में लगभग 3 सालों का वक्त लगा है. इसके निर्माण से लोगों को रेलवे क्रासिंग पर घंटों जाम में फसने से छुटकारा मिलेगा. हालांकि इस ओवरब्रिज का फिलहाल विधिवत उद्घाटन नहीं हुआ है.

छपरा: जिले में रेलवे के माध्यम से विकास की नई परिभाषा लिखी जाएगी. ऐसी ही कुछ बात बीते सप्ताह केंद्रीय मंत्री एवं छपरा के सांसद राजीव प्रताप रूडी ने छपरा कचहरी रेलवे स्टेशन पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कही थी. हालांकि विकास के तमाम वादे काफी दिनों से किये जा रहे हैं पर नेताओं के भाषणों और रेलवे बोर्ड के द्वारा किये जा रहे लोक-लुभावन वादों और उसके क्रियान्वयन में हो रही देरी का खामियाजा यात्री अपनी जान जोखिम में डाल कर चूका रहे है. 

छपरा कचहरी स्टेशन पर प्लेटफॉर्म के आभाव में यात्री आये दिन रेलवे ट्रैक से ही ट्रेन पकड़ने को विवश नजर आते हैं. छपरा जंक्शन से छपरा कचहरी होते हुए हाजीपुर की तरफ जाने वाली सभी ट्रेनों को बिना प्लेटफॉर्म वाली ट्रैक पर ही लाया जाता है. जिससे यात्री ट्रेन के आने से पूर्व ट्रैक के अगल-बगल खड़े हो जाते है. इस दौरान अगर प्लेटफॉर्म संख्या-1 पर भी यदि कोई ट्रेन आ रही होती है तो ऐसी स्थिति में यात्रियों में असमंजस की स्थिति हो जाती है और अफरातफरी भी मच जाती है.

रेलवे प्रशासन की नाकामी और स्थानीय व्यवस्था का परिणाम ही है कि ट्रेन किस प्लेटफॉर्म पर आ रही है इसकी सूचना भी यदा-कदा ही दी जाती है. पूर्वोत्तर रेलवे महाप्रबंधक राजीव मिश्रा ने भी छपरा में रेलवे के विकास से सम्बंधित तमाम योजनाओं की एक लंबी फेहरिस्त जारी की है, पर प्रतिदिन जान जोखिम में डाल कर यात्रा कर रहे लोगों की सुरक्षा को लेकर रेलवे बोर्ड चुप्पी साधे हुए है.

स्थानीय सांसद और रेल बोर्ड ने विकास के तमाम वादे तो स्थानीय जनता से किये है पर देखने वाली बात होगी कि उम्मीदों के इस दौर में आम यात्री कबतक जान हथेली पर रख यात्रा करते है.