Chhapra: बिहार विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने के साथ सारण जिला प्रशासन एक्टिव मोड में आ गई है. चुनाव की तैयारियां शुरू है. कोरोना संक्रमण काल मे हो रहे इस चुनाव में पूरी तरह से कोविड को लेकर जारी दिशा निर्देशों का पालन करना प्रशासन के लिए एक कड़ी चुनौती है बावजूद इसके प्रशासन चुस्त दुरुस्त है.

जिले के 10 विधानसभा में इस बार 4239 मतदान केंद्र बनाए गए है. जहां सुबह 7 बजे से संध्या 6 बजे तक मतदान की प्रक्रिया होगी. जिले में इस बार मतदान केंद्रों पर मतदान कर्मी के रूप में महिला कर्मी भी दिखेगी. जिला प्रशासन द्वारा महिला कर्मियों का डेटाबेस तैयार कर लिया गया है. साथ ही उनकी जिम्मेवारी भी तय की जा रही है.

शुक्रवार को समाहरणालय सभागार में आहूत बैठक में जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने बताया कि जिले में कुल 4239 मतदान केंद्र बनाए गए है. जिसके अनुसार 22 हजार कर्मियों की आवश्यकता है. प्रशासन ने 23 हजार कर्मियों का डेटाबेस तैयार किया है. वही इस मतदान केंद्रों पर 7300 महिला कर्मी भी मतदान के कार्यो को संपादित करेगी.

उन्होंने बताया कि 4239 मतदान केंद्रों में से 230 मतदान केंद्रों का सिर्फ महिला कर्मी संचालन करेगी.इसके अलावे अन्य मतदान केंद्रों पर महिला कर्मी मतदान कर्मी के रूप में रहेंगी. जिसकी तैयारी अंतिम चरण में है.

Chhapra: राजनीति में कब, कहा और कैसे तक़दीर बदल जाये यह किसी को पता नही. बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में सारण जिले के 10 विधानसभा सीट के बटवारे पर शीर्ष नेतृत्व की माथापच्ची जारी है.

जिले के 10 विधानसभा में इसबार गठबंधन से सीटो की अदला बदली तय है. इसी आधार पर क्षेत्र के कई विधानसभा सीट पर नए चेहरे भी देखने को मिल सकते है.

कोरोना जैसे वैश्विक महामारी में जनता के बीच जाकर उनका सहयोग कर कई नए चेहरों ने अपनी दमदार छवि बनाने की पुरजोर कोशिश की है. जनता के बीच किये गए कार्यो को आधार बनाकर वह अपनी दावेदारी भी दे रहे है. जनता का मसीहा बनकर राजनीति में पदार्पण करने वाले अनगिनत चेहरे में से कई चेहरे इन दिनों काफी चर्चित है.

सूत्रों की माने तो जिले के कई भावी प्रत्याशियों ने राष्ट्रीय जनता दल से टिकट के लिए रांची और पटना को ही अपना क्षणिक आवास बना लिया है. वही भारतीय जनता पार्टी से टिकट लेने के लिए कई भावी पटना को छोड़ दिल्ली में डेरा जमाए हुए है. जिसका सार्थक परिणाम भी दिखता नज़र आ रहा है.

जिले के 10 विधानसभा सीट पर 2020 के चुनाव में मुख्य रूप से एनडीए और राजद आमने सामने होंगे. राजद के सिटिंग विधायक की संख्या ज्यादा है, वही एनडीए के जदयू और भाजपा के सिटिंग विधायको की संख्या कम है. ऐसे में राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो प्रत्याशियों के चयन से ही पार्टी अपनी विधायकों की संख्या बढ़ा सकती है. इस कारण बेहतर प्रत्याशियों का चयन ही उन्हें बेहतर परिणाम दे सकता है. बहरहाल चुनाव की अब उल्टी गिनती शुरू होने वाली है. राजनीतिक पार्टियों के रणनीतिकार सक्रिय है. जो जरूरत के अनुसार सीट बटवारे से लेकर कई चेहरों को बदल सकते है.

Sonpur: सोनपुर क्षेत्र के कई पंचायतों को बाढ़ से राहत दिलाने के लिए विभिन्न स्थानों पर जलबन्द द्वार को खुलवाए गए. सोनपुर के डूंगरी बुजुर्ग, नयागांव, रसूलपुर, गोपालपुर चतुरपुर, परमानंदपुर, गोविंद चौक, दुधाला, भरपुरा चित्रषेनपुर, कल्याणपुर, शिकारपुर इत्यादि यानी सभी पंचायतों में आयी बाढ़ से आमजन परेशान हैं. गुरुवार को सोनपुर विधानसभा के भावी प्रत्याशी डॉ चन्दनलाल मेहता ने पहल करते हुए फाटकों को खुलवाने का काम किया. सबसे पहले डॉ मेहता ने विभिन्न पंचायतों में भ्रमण कर आम लोगों से मिले, फिर लोगों ने उन्हें जानकारी दी कि विभिन्न इलाकों में बाढ़ का पानी जमा हो गया है जिससे आम जन परेशान है.

इसके बाद डॉ मेहता ने संबंधित विभाग के अभियंता से बात कर उनसे जानकारी ली एवं बाढ़ से प्रभावित लोगों के स्थिति से अवगत कराया. गंगा नदी के जल स्तर को घटते हुए देखकर उन्होंने कार्यपालक अभियंता से आग्रह किया कि गोपालपुर जल बंद द्वार कैनाल को पूर्ण खोल दिया जाए. जिस पर अपने कनिया अभियंता को भेजकर तत्काल गोपालपुर जल बंद द्वार खुलवाए. इसके बाद लोगों को जलजमाव की समस्या से राहत मिलेगी. डॉ चंदन लाल मेहता ने बताया कि क्षेत्र के लोगों की जो भी समस्या है वह उनके साथ साझा कर सकते हैं, ताकि किसी प्रकार की समस्या से निपटने के लिए तुरंत कार्रवाई की जा सके. फाटक खुल जाने के बाद आम लोगों ने जदयू नेता डॉ चंदन लाल नेता को धन्यवाद दिया. इस मौके पर आनंद किशोर सिंह व जदयू मीडिया प्रभारी शंकर मालाकर मौजूद रहे.

Patna: बिहार सरकार ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के 10 अधिकारियों का तबादला किया है. सामान्य प्रशासन विभाग ने इस बबात अधिसूचना जारी कर दी है.

1. मनीष कुमार मीणा, नगर आयुक्त मुजफ्फरपुर को नगर आयुक्त दरभंगा

2. अभिलाषा शर्मा, अनुमंडल पदाधिकारी छपरा सदर को उप विकास आयुक्त सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी जिला परिषद खगड़िया.

3. तनय सुल्तानिया, अनुमंडल पदाधिकारी पटना सदर को उप विकास आयुक्त सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी जिला परिषद दरभंगा.

4. तरंजोत सिंह, अनुमंडल पदाधिकारी दानापुर को उप विकास आयुक्त सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी जिला परिषद सीतामढ़ी

5. आरिफ अहसन, अनुमंडल पदाधिकारी शिवहर को उप विकास आयुक्त सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी जिला परिषद जमुई

6. विवेक रंजन मैत्रेय, अनुमंडल पदाधिकारी हिलसा को नगर आयुक्त मुजफ्फरपुर

7. कुमार गौरव, अनुमंडल पदाधिकारी सीतामढ़ी को उप विकास आयुक्त सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी जिला परिषद कैमूर

8. योगेश कुमार सागर, अनुमंडल पदाधिकारी फारबिसगंज को उप विकास आयुक्त सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी जिला परिषद बक्सर

9. विशाल राज, अनुमंडल पदाधिकारी बगहा को उप विकास आयुक्त सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी जिला परिषद शिवहर

10. अनिल कुमार, अनुमंडल पदाधिकारी बखरी को उप विकास आयुक्त सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी जिला परिषद लखीसराय बनाया गया है.

Chhapra: राज्य सरकार ने बिहार पुलिस सेवा के 97 पदाधिकारियों का तबादला किया है. इसे लेकर गृह विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी है.

जारी अधिसूचना के अनुसार सोनपुर, छपरा सदर के एसडीपीओ और सोनपुर रेल उपाधीक्षक का तबादला किया गया है. साथ ही पुलिस उपाधीक्षक (प्रशासन), क्षेत्रीय उप-महानिरीक्षक कार्यालय सारण, डॉ राकेश कुमार का तबादला करते हुए उन्हें जमुई का अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी बनाया गया है. वही छपरा सदर के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी अजय कुमार सिंह का तबादला करते हुए उन्हें पुलिस उपाधीक्षक यातायात पटना के पद पर तैनात किया गया है.

जबकि मुनेश्वर प्रसाद सिंह को छपरा सदर का अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी बनाया गया है. वही अंजनी कुमार को सोनपुर का अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी और शैलेन्द्र कुमार को रेल पुलिस उपाधीक्षक सोनपुर का कमान दिया गया है. पुलिस उपाधीक्षक रेल सोनपुर, तनवीर अहमद का तबादला, पालीगंज के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी के पद पर किया गया है.

इसके साथ ही सहायक पुलिस अधीक्षक (परिक्ष्यमान) सारण, संदीप सिंह (IPS 2018) का तबादला करते हुए अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी पटना सदर बनाया गया.

Chhapra: पूरी दुनिया वैश्विक महामारी कोविड-19 का दंश झेल रही है. उसी दरमियान बिहार में विधानसभा के चुनाव कराए जाने की तैयारियां अंतिम चरण में है. कोरोना संक्रमण के साथ साथ बिहार में बाढ़ की भयावह स्थिति उत्पन्न हो गई है. ऐसे में चुनाव आयोग का राज्य में चुनाव कराने की समझ विवेक से परे है.

ज्ञात हो कि बिहार के अधिकतर जिले कोरोना के बढ़ते संक्रमण के साथ-साथ राज्य में आई भीषण बाढ़ के कारण संबंधित जिले के लोगों का जीना दुश्वार हो गया है. उक्त बातें एआईएसएफ के अमित नयन ने कही.

उन्होने कहा कि लोगों के घरों में पानी आ गया है. आम जनों का सड़कों पर निकलना किसी खतरे से कम नहीं है. विभिन्न पावर ग्रिडों में जलजमाव के कारण विद्युत आपूर्ति ठप हो गई है या इनकी आपूर्ति काफी कम हो गई है, या कहे तो किसी किसी फीडर में इलेक्ट्रिक सप्लाई ही नहीं हो रहा है. जिससे आम जनों का जीवन अव्यवयस्थित हो गया है. ग्रामीण इलाके के लोग भारी परेशानियों का सामना कर रहे हैं. इस दरमियान अगर उनके बच्चे, बुजुर्ग या खुद के अस्वस्थ हो जाने पर उन्हें स्वास्थ्य सेवा लेने में भारी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा.

उन्होने कहा कि बिहार में जिस स्तर से कोरोना का संक्रमण बढ़ते जा रहा है, ऊपर से बाढ़ की दस्तक, इन सभी के बीच राज्य में चुनाव कराना खुद के पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है. निर्वाचन आयोग को इस पर गंभीरता से विचार करते हुए फिलहाल बिहार विधानसभा के चुनाव को इस वर्ष के लिए टाल देना चाहिए.

Patna: बिहार में साहित्यकारों की विरासत को उपेक्षित रखे जाने पर पुष्पम प्रिया चौधरी ने कहा कि सरकार ने राष्ट्रकवि दिनकर औऱ रामवृक्ष बेनीपुरी की विरासत का अपमान किया है. उन्होंने रामधारी सिंह दिनकर, रामवृक्ष बेनीपुरी, विलियम शेक्सपियर और पाब्लो नेरुदा के बीच तुलना करते हुए लिखा कि “पहले घर में ओजस्वी कवि रामधारी सिंह दिनकर रहते थे, दूसरे में रामवृक्ष बेनीपुरी, तीसरे में विलियम शेक्स्पीयर और चौथे में पाब्लो नेरूदा अंतर ये है कि बिहार में अवस्थित पहले दो या तो भुला दिए गए हैं या उपेक्षा के शिकार हैं जबकि अंतिम दो विख्यात टुरिस्ट डेस्टिनेशन हैं. ब्रिटेन में शेक्स्पीयर हाउस म्यूजियम में हर साल 8 लाख लोग आते हैं और इसकी वार्षिक आय 108 करोड़ है जबकि चिली में नेरूदा के हाउस म्यूजियम में 3.5 लाख पर्यटक आते हैं और आय भी करोड़ों में. इसमें लोकल इकॉनमी को हो रहे लाभ और रोज़गार सृजन शामिल नहीं हैं.

सुश्री चौधरी ने लिखा कि बिहार में ऐग्रिकल्चर, इंडस्ट्री और सर्विस सेक्टर में तो अनंत सम्भावनाएँ हैं ही, लेकिन बिहार में आय, आत्मनिर्भरता और रोज़गार के साधन हर जिले, हर क्षेत्र में स्थानीय रूप से उपलब्ध हैं, बशर्ते कि सिमरिया और बेनीपुर जैसे जगहों की कल्चरल और ईकोनॉमिक वैल्यू को समझा जाय, और सबसे महत्वपूर्ण नीयत और विज़न हो.

कला, धरोहर और सहित्य-संस्कृति का संरक्षण, संवर्धन एवं विकास कर बिहार को संस्कृति के क्षेत्र में परिपक्व राज्य के तौर पर बनाने का विभागीय विजन सरकारी कार्यालयों की लाल फीताशाही और काले कारनामों में दबकर गायब हो गई है.

किसी भी राज्य की पहचान वंहा की साहित्य- कला-संस्कृति से होती है और यदि उस राज्य में भी सम्मान नहीं दिया जाएगा तो यह सरकार के सांस्कृतिक दिवालियापन का सूचक है.
नया दशक 2020-30 ऐसी सभी विरासतों को सम्मान और अवसर में बदलने का दशक होगा. बंद पड़े तालों को खोलने और उजड़ चुके सम्मान की वापसी का समय होगा.

Chhapra: आगामी बिहार विधानसभा निर्वाचन-2020 के परिपेक्ष्य में सारण जिला के अंतर्गत सभी शस्त्र अनुज्ञप्तिधारी अपने शस्त्र का भौतिक सत्यापन स्थानीय थाना में कराने के आदेश दिए गए है.

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जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन के आदेश से इसके लिए तिथि निर्धारित की गयी है. शस्त्र अनुज्ञप्तिधारी को 3 से 12 अगस्त 2020 के बीच किसी दिन संबंधित थानाध्यक्ष एवं प्रतिनियुक्त पदाधिकारी की उपस्थिति में अपने शस्त्र का भौतिक सत्यापन कराना होगा.

जिलाधिकारी के द्वारा स्पष्ट कहा गया है कि समय सीमा के अंतर्गत अपने शस्त्रों का सत्यापन नहीं कराये जाने की स्थिति में शस्त्र अनुज्ञप्ति निलंबित करते हुए रद्द करने की कार्रवाई की जाएगी.

Chhapra: छपरा शहर के सरकारी बाजार स्थित व्यापार मंडल कार्यालय में गुरुवार को व्यवसायी संघ की बैठक हुई. जिसमे अगामी विधान सभा चुनाव में रिविलगंज प्रखंड प्रमुख सह भाजपा नेता डॉ राहुल राज के छपरा विधान सभा से उम्मीदवार बनाय जाने एवं समर्थन करने पर बल दिया गया.
बैठक में उपस्थित सारण जिला अल्पसंख्यक सेल के जिलाध्यक्ष जहांगीर आलम मुन्ना, व्यापार मंडल मनिहारी के अध्यक्ष बिन्दु सिंह आदि ने अपने संबोधन में कहा कि छपरा में डॉ राहुल राज जैसा कर्तव्यनिष्ट ,जुझारू एवं शिक्षित युवा उम्मीदवार की आवश्यकता है. जो आम जनता एवं व्यवसायी वर्ग के समस्या एवं आवाज को विधान सभा में मजबूती से रखे एवं उसका निराकरण करवाए.
वक्ताओं ने कहा कि राहुल राज की पारिवारिक पृष्ठभूमि करीब पचास वर्षों से व्यवसाय से जुड़ी है. सन 1970 से विभिन्न व्यवसाय से जुड़ा इनका वीआईपी परिवार आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है. जिला में ही नहीं बल्कि पूरे बिहार में व्यवसायी जगत में पहचान अच्छी है. एक अच्छे व्यवसायी परिवार से तालुकात रखने वाले राहुल राज उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद भी व्यवसाय एवं सामाजिक कार्य में लगे हुए हैं.
एक सफल व्यवसायी परिवार से आने वाले सामाजिक सरोकारी डॉ राहुल राज भी वैश्य ही है. हम सभी लोग इनका तहे दिल से समर्थन करते हैं. इस पर सभी लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट से एकमत होकर पुरजोर ढंग से उत्साहपुर्ण समर्थन किया. व्यवसायी वर्ग ने डॉ राहुल राज को फुल माला पहनाकर कर सम्मानित करते हुए शुभकामना दी.
सम्मान एवं समर्थन मिलने से अंगीभूत डॉ राहुल राज ने व्यवसायी वर्ग एवं अन्य जनता जनार्दन के प्रति आभार व्यक्त करते हुए प्रणाम किया. उन्होने कहा कि आप सभी से यही निवेदन है की राजनीति नहीं सेवा का मौका दिजिए. जनता के मान-सम्मान, हक एवं सुरक्षा के लिए हमेशा प्रयासरत रहूंगा.
इसके पहले सरकारी बाजार आदि मुहल्लों में माननीय प्रधानमंत्री जी की एक साल के कार्य ब्योरा छपीत पत्र को घर – घर जाकर पहुंचाने के क्रम चलाया गया. इस दौरान डॉ राहुल राज एवं अन्य भाजपा कार्यकर्ताओं ने प्रत्येक घर परिवार के मुखिया से पीएम मोदी के पत्र को पढने की अपील करते हुए सुझाव मांगी.
डॉ राहुल ने बताया कि पत्र बाटने के पीछे उदेश्य है कि माननीय प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी द्वारा एक साल में किये गये जनहित एवं देशहित कार्यों को जनता तक पहुंचाना एवं जनता का सुझाव कलेक्ट कर सरकार तक पहुंचाना. उन्होने कहा कि पत्र वितरण कार्य का पूरे प्रदेश से अच्छा रिस्पोंस मिल रहा है.
मौके पर वैश्य कानू सभा के अध्यक्ष ददन प्रसाद, गुड्डू खां, राजेश कुशवाहा, मदन प्रसाद, आश्विन कुमार सिंह, मो इरसाद, नवाब खान, राजा बाबू, विजय प्रसाद, संतोष गुप्ता, मदन प्रसाद, सुजात भगत सिंह, राज कुमार गुप्ता आदि दर्जनों लोग उपस्थित थे.

MANJHI: जदयू का सशक्त बूथ अभियान 30 जून को आज संपन्न हुआ. बूथ जीतो चुनाव जीतो के तहत शुरू किये गये सशक्त बूथ अभियान को सफल बनाने में महिलाओं ने अहम जिम्मेदारी निभाई है. यह बातें जदयू सारण की महिला मोर्चा जिला अध्यक्ष माधवी  सिंह ने कही. उन्होंनेक कहा कि जिले में हर  बूथ से सखी यानी कि महिलाओं को जोड़ा जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस बार बूथ मजबूती अभियान में हमारी महिलाओं ने काफी अहम भूमिका निभाई है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार  महिलाओं को नेतृत्व करने का मौका दे रहे हैं यह अपने आप में काबिले तारीफ है. उन्होंने कहा कि 2020 का विधानसभा चुनावों में महिलाओं के ऊपर अहम भूमिका रहेगी.

मांझी विधानसभा में एक एक बूथ को किया मजबूत

22 जून को शुरू हुए जदयू के सशक्त बूथ अभियान के तहत महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष माधवी सिंह खुद मांझी  विधानसभा के एक एक  पंचायतों का दौरा करके बूथ स्तर पर मीटिंग की और प्रत्येक बूथ से महिलाओं  को जोड़ा. साथ ही साथ प्रत्येक बूथ पर सचिव, अध्यक्ष से बैठक करके इसकी मजबूती को लेकर चर्चा की. माधवी सिंह ने निर्देश दिया था कि जिले में जितने भी प्रखंड अध्यक्ष हैं महिलाएं हैं. वह अपने अपने क्षेत्र में दौरा करके बूथ सखी जोड़ेंगी ताकि प्रत्येक बूथ पूरी तरह से मजबूत हो सके. माधवी सिंह ने कहा कि हम महिलाओं का प्रयास रंग लाएगा और बिहार के सीएम नीतीश कुमार एक बार फिर से बिहार के सीएम बनेंगे.


उन्होंने बताया कि जदयू  सांसद आरसीपी सिंह का निर्देश था कि प्रत्येक बूथ को सशक्त बनाना है. इसके लिए हम सभी अपने अपने अपने स्तर से मेहनत किया है. जिसमें सबसे अहम भूमिका ज दयू की महिला कार्यकर्ताओं की है.

Chhapra (संतोष कुमार बंटी): बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर है. चुनाव आयोग से मिल रहे निर्देशों के अनुसार कार्यो में तेजी आई है. ऐसे में बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में अपना भाग्य आजमाने वालों की सक्रियता बढ़ गयी है. जनता के बीच जनसंपर्क अभियान कोरोना सहायता के बहाने प्रारंभ भी हो चुका है. सभी जनता के बीच अपने को भावी प्रत्याशी बता रहे है और उन्हें अपनी ओर आकर्षित कर रहे है.

जिले के 10 विधानसभा क्षेत्र में दलों की स्थिति 
सारण जिले में 10 विधानसभा क्षेत्र है. जहां मुख्य रूप से बीजेपी, जदयू और राजद के प्रत्याशियों का दबदबा कायम रहता है. हालांकि ये बात अलग है कि गठबंधन में सभी पार्टियों एक दूसरे के साथ और विरोध में खड़ी होकर सरकार बनाती रहती है.

फिलहाल जिले के 10 विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी के दो, छपरा से डॉ सी एन गुप्ता, अमनौर से शत्रुधन तिवारी उर्फ़ चोकर बाबा, जदयू से एक एकमा से मनोरंजन सिंह धूमल, राजद से 6 मढ़ौरा से जितेंद्र राय, बनियापुर से केदारनाथ सिंह, तरैया से मुद्रिका राय, गरखा से मुनेश्वर चौधरी, परसा से चंद्रिका राय, सोनपुर से रामानुज प्रसाद एवं कांग्रेस से एक मांझी से विनयशंकर दुबे विधानसभा के सदस्य है.

लगभग सभी विधानसभा क्षेत्रों में भावी प्रत्याशियों के जमावड़ा है. सभी अपने-अपने अनुसार जनता को अपने पक्ष में गोलबंद करने में जुटे है. ऐसे में कोरोना वायरस और Lockdown ने उन्हें जनता के बीच पहुंचने और अपने को उनका असली हमदर्द कहलाने का भरपूर मौका दिया है. लेकिन इस कोरोना काल मे वर्तमान विधायकों की सक्रियता थोड़ी कम दिखी. भले ही इसका कारण जो हो लेकिन इसके बावजूद भी कुछ विधायक अपने प्रयास और कार्यो के साथ जनता के बीच खड़े थे.

विधानसभा चुनाव को लेकर सबसे अधिक प्रत्याशियों की संख्या फिलहाल छपरा विधानसभा सीट से दिख रही है. जहां सभी प्रत्याशी एक ही दल से अपनी उम्मीदवारी बता रहे है. ऐसी ही हालात तरैया, अमनौर, मढ़ौरा और मांझी विधानसभा क्षेत्र के भी है. जहां सभी भावी प्रत्याशी युद्ध स्तर पर जनता के बीच जाकर अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर रहे है.

बहरहाल अभी अनुमान के मुताबिक चुनाव में 4 माह शेष है. इस बीच लगभग सभी विधानसभा क्षेत्र से अभी और नए भावी प्रत्याशी सामने आएंगे. 

(संतोष कुमार बंटी)
राजनीति में वही जीत दर्ज कर सकते हैं जिनकी बिसात बेहतर बिछाई गई हो. राजा के लिए समर्पित सैनिक एक बेहतर राजनीति के तहत जीत दर्ज कर सकते हैं. कहा भी गया है, योजनाबद्ध तरीके से किया गया कार्य ही सफल होता है. साफ मंसूबे ही जीत के दावेदार होते हैं.

इन सारी बातों का अगर गहन अध्ययन करें तो मंगलवार को आयोजित राजनीति के रणनीतिकार प्रशांत किशोर की प्रेस वार्ता ने बहुत कुछ साफ करते हुए अपना बिहार की राजनीति में एक संकेत जरूर दे दिया है. हालांकि स्पष्ट रूप से भले ही उन्होंने कुछ भी नहीं कहा लेकिन जिस तरह से उन्होंने वर्तमान नीतीश सरकार के 15 वर्षों के कार्यों की प्रशंसा के साथ आलोचना की, नीतीश कुमार से निजी और राजनीतिक संबंध तथा 15 वर्षों के विकासात्मक कार्यों की 2005 की सरकार से की गई तुलना. साथ ही साथ प्रदेश के विकास में जन सरोकार के मुद्दे शिक्षा, बिजली और सड़क तीनों का समेकित विश्लेषण कर एक खास वर्ग को अपनी ओर आकर्षित करने के प्रयास से यह कहा जा सकता हैं कि बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के लिए रणनीति बनाने वाले राजनीति के रणनीतिकार प्रशांत किशोर मुख्यमंत्री पद के लिए बिहार में एक विकल्प हो सकते हैं.

नीतीश कुमार से पिता पुत्र की भांति संबंध, जोड़ना-हटाना उनका निर्णय
प्रशांत किशोर ने प्रेसवार्ता में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पिता और पुत्र की भांति संबंध होने की बात कही. उनका कहना है कि पार्टी में उन्होंने जोड़ा और हटाया यह उनका निर्णय है. प्रत्येक व्यक्ति की अपनी एक विचारधारा होती है. जिसके साथ वह आगे बढ़ता है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 15 वर्षों में निश्चित ही बिहार की तस्वीर बदली है. लेकिन प्रदेश का विकास 15 वर्ष पहले जहां था आज भी वही है.

प्रदेश के विकास में जन सरोकार के मुद्दे बन सकते हैं हथियार
प्रशांत किशोर ने राजनीति में रणनीतिकार के रूप में अपनी शुरुआत की और सफल भी हुए. भाजपा, कांग्रेस और तत्काल में आप के साथ सफलता की गाथा लिखी है. जनता के नब्ज को वह अच्छी तरह से जानते है. 2020 के चुनाव में प्रदेश के विकास में जन सरोकार के मुद्दे को एक हथियार के रूप में शामिल कर सकते हैं.

श्री किशोर ने प्रेस वार्ता में कहा कि राज्य में 2005 के मुकाबले साइकिल योजना, पोशाक योजना एवं छात्रवृत्ति योजना का वितरण कर सरकार ने विद्यालयों में नामांकन का ग्राफ़ भले ही बढा लिया लेकिन गुणवत्ता वाली शिक्षा बच्चों को नहीं मिली.

प्रदेश में बिजली के क्षेत्र में बेहतर कार्य हुए जिसके लिए सीएम बधाई के पात्र हैं लेकिन सूबे में बिजली की खपत नहीं है. सूबे में परिवार सिर्फ एक बल्ब और एक पँखे के सहारे जीता है. उसके पास अन्य चीजों के खरीदने के पैसे नहीं है. जिसका वह उपयोग कर सकें.

सड़को का सूबे में जाल बिछा 2005 के मुकाबले सड़कों की स्थिति अच्छी है. वाहनों की संख्या भी अच्छी खासी निबंधित है लेकिन सड़क पर चलाने के लिए उनके पास आय नहीं है. बेरोजगारी बढ़ी है और इसके चलते पलायन होता है.

विगत कई वर्षों से राजनीति में युवाओं को जोड़ने का कर रहे हैं कार्य

जंग में सिपाही का होना बेहद जरूरी है और सिर्फ उनकी संख्या ही नहीं बल्कि उनमें हुनर हो. सिपाही अगर हुनरमंद होंगे तो वह संख्या में कम होने के बावजूद भी विपक्षी पर भारी पड़ सकते हैं. प्रशांत किशोर ने विगत वर्षों में राजनीति की रणनीति और उसमें युवाओं की भागीदारी को लेकर तैयारी की जा चुकी है. जिसके कारण उनके साथ हुनरमंद और हर काम मे माहिर काम करने वाले युवाओं की अच्छी खासी तादाद है जो उन्हें किसी भी लड़ाई में जीत दिलवा सकते है.

दिल्ली में संपन्न दिल्ली चुनाव के परिणाम के बाद ऐसा माना जा रहा है कि प्रशांत किशोर अरविंद केजरीवाल के साथ मिलकर बिहार में एक नया ढांचा खड़ा कर सकते हैं. हालांकि जानकारों का मानना है कि प्रशांत किशोर एक प्रोफेशनल व्यक्ति है. दिल्ली चुनाव में उन्होंने अरविंद केजरीवाल की आप पार्टी के लिए रणनीति बनाई थी.

बहरहाल 2020 बिहार के लिए चुनावी वर्ष है और सभी पार्टी अपनी तरफ से इस चुनाव को जीतने के लिए हर मुमकिन प्रयास कर रही है. बीते वर्ष में प्रशांत किशोर ने चुनाव में किसी न किसी पार्टी के लिए काम किया है. वैसे श्री किशोर ने मीडिया के सामने भी चुनावी महाकुंभ में डुबकी लगाने की अपनी इच्छा जाहिर नहीं की है. लेकिन जन सरोकार के मुद्दे को आंकड़ों के साथ प्रदर्शित करना निश्चित तौर पर एक विकल्प के रूप में देखने को मजबूर करता है.

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