नयी दिल्ली: अरुणाचल प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के रूप में कलिखो पुल ने शुक्रवार को शपथ लिया. अरुणाचल प्रदेश में सरकार गठन को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से मंजूरी के बाद कांग्रेस से असंतुष्ट चल रहे कलिखो पुल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. कलिखो पुल को राज्यपाल जेपी राजखोवा ने पद और गोपनियता की शपथ दिलाई. बीते करीब एक महीने से राज्य में थी सियासी अस्थिरता
बीते करीब एक महीने से राज्य में सियासी अस्थिरता का माहौल था. शपथ ग्रहण के बाद कलिखो पुल ने कहा कि सहयोगियों से चर्चा के बाद मंत्रिमंडल विस्तार पर फैसला किया जाएगा.
बताते चले कि गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में यथास्थिति का फैसला वापिस ले लिया. जबकि इससे पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को अरुणाचल प्रदेश से राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफारिश की थी. सोमवार को कांग्रेस के असंतुष्ट कलिखो पुल के नेतृत्व में 31 विधायकों ने राज्यपाल से मुलाकात की थी और राज्य में अगली सरकार बनाने का दावा पेश किया था. उनके साथ कांग्रेस के 19 बागी विधायक और बीजेपी के 11 विधायक और दो निर्दलीय सदस्य शामिल थे.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने को गंभीरता से लेते हुए केंद्र सरकार की खिंचाई की. कोर्ट ने सरकार से पूछा कि उसे ताजा घटनाक्रम के बारे में अवगत क्यों नहीं कराया गया. साथ ही न्यायालय ने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने संबंधी राज्यपाल की रिपोर्ट 15 मिनट के भीतर पेश करने का आदेश दिया.

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पिछले दो दिनों में गहन विचार-विमर्श के बाद मंगलवार को केंद्रीय कैबिनेट की सिफारिश को मंजूरी प्रदान कर दी और इस आधार को स्वीकार कर लिया कि राज्य में संवैधानिक संकट है. गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में पैदा हुए संवैधानिक संकट पर संज्ञान लेते हुए केंद्रीय कैबिनेट ने 24 जनवरी 2016 को अपनी बैठक में राष्ट्रपति से ऐसी उद्घोषणा जारी करने का अनुरोध किया था.

हालांकि बीजेपी ने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा कि इसे कई नजरिए से देखने की जरूरत है और यह संवैधानिक दायित्वों के अनुरूप है. इसके साथ ही पार्टी ने कांग्रेस पर मुद्दे का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया. कांग्रेस प्रवक्ता टॉम वडक्कन ने कहा, ‘यह लोकतंत्र की हत्या है. मामला कोर्ट में है और सरकार ने जल्दबाजी में कार्रवाई की है. यह साफ तौर पर देश के सुप्रीम कोर्ट का अपमान है.

कांग्रेस पार्टी ने राष्ट्रपति से कैबिनेट के फैसले को मंजूरी नहीं देने का अनुरोध किया था. पार्टी ने कहा था कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है और कोर्ट ने कांग्रेस की याचिका पर सुनवाई करने का फैसला किया है.

अरुणाचल प्रदेश में पिछले साल 16 दिसंबर से राजनीतिक संकट है जब कांग्रेस के 21 विद्रोही विधायकों ने एक अस्थाई स्थल पर विधानसभा की बैठक में बीजेपी के 11 और दो निर्दलीय विधायकों के साथ मिल कर विधानसभाध्यक्ष नबाम रेबिया के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित कर दिया था.