Chhapra: नियोजित शिक्षकों के समान काम समान वेतन के लिए 15 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. जिसमें न्यायालय द्वारा बिहार सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुये पूर्व में दिए गए हाई कोर्ट के फैसले को यथावत रखने एवं एरियर का भुगतान कैसे हो इसपर मंतव्य देने के लिए 27 मार्च पुनः तिथि निर्धारित किया है.

कोर्ट ने बकाया वेतन भुगतान के मसले पर 50-50 बिहार सरकार केंद्र सरकार के हिसाब से सामंजस्य बैठाने का निर्णय सुनाया है.

कोर्ट में सुनवाई के समय जिलाध्यक्ष सारण समरेंद्र बहादुर सिंह, इसुआपुर प्रखण्ड अध्यक्ष अशोक यादव तथा अन्य प्रखण्ड के अध्यक्ष एवं सचिव सुप्रीम कोर्ट दिल्ली में जमे रहे तथा सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का गवाह बने.

इस कार्य के लिए जिला अध्यक्ष समरेंद्र बहादुर सिंह और प्रखण्ड अध्यक्ष अशोक यादव को परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ के सभी क्रांतिकारी साथियों को धन्यवाद ज्ञापन किया गया.

इस अवसर पर प्रखण्ड के सभी शिक्षकों ने एक दूसरे को रंग गुलाल लगा कर खुशियों का इजहार किया.

जिसमें इसुआपुर के प्रखण्ड सचिव अजय कुमार के नेतृत्व में जितेन्द्र कुमार, राजकुमार राम, उपेंद्र कुमार, मो एहसान, वकिल शर्मा, शोभा कुमारी, कविश्वर राम, संदीप, विजय, अनिल, पूनम देवी, विभा कुमारी, रमेश कुमार, कृष्ण कुमार, रंजन कुमार, पंकज भारती, वाजिद, रमाशंकर, हरेंद्र, अरुण, संजय, लालबाबू, नन्हे,  उषा, अर्णव कुमार, नीलिमा कुमारी तथा प्रखण्ड के सैकड़ों शिक्षक उपस्थित थे.

Patna: सूबे के लगभग 3लाख 19 हजार नियोजित प्रारंभिक शिक्षकों को जल्द की बकाए वेतन का भुगतान होने वाले है. महीनों से बकाये वेतन का भुगतान जल्द ही राज्य सरकार करने वाली है. सर्व शिक्षा अभियान में नियोजित इन शिक्षकों के लिए राज्य मंत्री मंडल ने 2600 करोड़ रूपए की राशि की स्वीकृति दे दी है. मंगलवार को आयोजित राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में प्रारंभिक शिक्षकों के लिए 2600 करोड़ रुपए खर्च की स्वीकृति एवं विमुक्ति के प्रस्ताव पर मुहर लगाईं गयी. साथ ही साथ बैठक में कुल 29 प्रस्तावों की स्वीकृति दी गयी.

बिहार राज्य मंत्रिमंडल ने सर्वशिक्षा अभियान में नियोजित शिक्षकों के वेतन भुगतान के लिए केन्द्रांश प्राप्ति की प्रत्याशा में राज्यांश मद में द्वितीय अनुपूरक से प्राप्त 2600 करोड़ रुपए की राशि सहायक अनुदान मद में व्यय की स्वीकृति दी.
इन शिक्षकों के लिए दो दिन पूर्व बीईपी ने 624 करोड़ एक माह के वेतन का जारी किया था. इनके वेतन पर हर माह करीब 650 करोड़ खर्च होते हैं। मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत 2600 करोड़ से चार माह का वेतन जारी हो सकेगा। कहीं नवम्बर तो कहीं दिसम्बर तक का वेतन भुगतान इससे हो जाएगा.

Chhapra: जिले में प्राथमिक एवं मध्य विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों की परीक्षा लेने की तैयारी शिक्षा विभाग कर रहा है. विगत अप्रैल माह से सितंबर माह तक की गई पढ़ाई के आधार पर सभी बच्चों का मूल्यांकन विभाग द्वारा किया जाएगा

शिक्षा विभाग द्वारा मूल्यांकन को लेकर तिथि की घोषणा कर दी गई है. साथ ही साथ मूल्यांकन के लिए तिथि वार विषय का शेड्यूल भी जारी कर दिया गया है.जिसके आधार पर प्राथमिक एवं मध्य विद्यालय के शिक्षक बच्चों का मूल्यांकन परीक्षा लेंगे.

लेकिन सबसे बड़ी अचरज की बात यह है कि आखिर विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे बिना किताब पढ़ें मूल्यांकन परीक्षा में कैसे शामिल होंगे.

अगर बच्चें भाग भी लेते हैं तो वह अपनी उत्तर पुस्तिकाओं में प्रश्न का उत्तर क्या लिखेंगे ?

सरकारी प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों में वर्ग एक से पांच लेकर 5 तक तथा 8 तक अप्रैल माह से छात्र छात्राएं अध्ययनरत हैं.

एक एक माह के इंतेजार के बाद 6 माह बीत जाने के बाद भी अब तक बच्चों का बच्चों को पाठ्यपुस्तक नहीं मिल पाई है.
बिना किताबों के ही बच्चें 6 माह से पढ़ाई कर रहे है.

शिक्षा विभाग ने आगामी 5 अक्टूबर से 11 अक्टूबर तक छात्र छात्राओं की वार्षिक मूल्यांकन परीक्षा की तिथि निर्धारित की है.

इसके लिए विषय की समय सारणी भी जारी कर दिया गया है.बिना किताब पढ़ें ही बच्चें इस परीक्षा में शामिल होकर अपनी उत्तर पुस्तिका में क्या लिखेंगे यह समझ से पड़े है.

लेकिन इतना तो तय है कि 5 अक्टूबर से आयोजित मूल्यांकन परीक्षा में शिक्षा विभाग की व्यवस्था की पोल खुल जाएगी.

सूबे की इस शैक्षणिक व्यवस्था से बच्चों का भविष्य कितना उज्जवल हो पाएगा यह सरकार और अधिकारियों के सोचने का विषय है.

छपरा: बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ के द्वारा समान काम समान वेतन को लेकर आंदोलन का कार्यक्रम संघ की बैठक में तय किया गया. जो आगामी 10 मार्च से 17 मार्च तक चलेगा. इसका मुख्य उद्देश्य समान काम, समान वेतन, राज्यकर्मी का दर्जा निर्धारण, समान शिक्षा प्रणाली, ऐच्छिक स्थानांतरण, अप्रशिक्षित शिक्षको को प्रशिक्षण के साथ ग्रेड पे, शारीरिक शिक्षको को सामान्य शिक्षक का दर्जा, टी.ई.टी एवं दक्षता पास शिक्षको की वेतनवृद्धि , प्रतिमाह वेतन भुगतान, निःशुल्क पुस्तक ससमय उपलब्धता जैसी समस्या की लिखित मांग जिलाधिकारी और जिला शिक्षा पदाधिकारी को संघ जिलाध्यक्ष राकेश कुमार सिंह, जिला संयोजक जहीर हुसैन एवं जिला कोषाध्यक्ष के द्वारा सौपा गया.

आंदोलन को सफल बनाने हेतु संघ के पदाधिकारी सदर प्रखंड, गरखा प्रखंड, रसूलपुर, डुमरी, चिरांद, लोदीपुर, अवधपुरा, खलपुरा, विष्णुपुरा के विभिन्न विद्यालय का दौरा कर अधिक संख्या में भाग लेने की और शिक्षक हीत में सदैव कार्य करने वाले शिक्षक नेता को एम.एल.सी चुनाव में मदद करने की अपील शिक्षको से की गयी.

 छपरा: कई दिनों से वेतन की बाट जोह रहे शिक्षकों के लिए बड़ी ख़बर आई है. राज्य शिक्षा परियोजना ने सभी जिलों को वेतन मद में राशि हस्तगत कर दिया हैं. बिहार शिक्षा परियोजना निदेशक संजय कुमार सिंह द्वारा शुक्रवार को सूबे के सभी 38 जिलों में 19 अरब, 36 करोड़, 30 लाख, 26 हज़ार, 977 रूपये की राशि हस्तगत की गयी है.
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फरवरी माह तक के लिए किये गये इस राशि हस्तगण में सारण जिले को भी 60,28,02,777 रूपये स्थांतरित किये गए है. राशि के स्थांतरित होते ही कई महीनो से लंबित वेतन की प्रक्रिया जल्द शुरू होने के आसार दिख रहे है. हालांकि इसके बावजूद भी 3 से 6 दिन का समय शिक्षकों के खाते में वेतन पहुचने में लग जायेगा. वेतन के लिए राशि हस्तगण होने की खबर से शिक्षकों में हर्ष है.

छपरा: शिक्षा विभाग के डीपीओ को लेकर शिक्षक संघों ने मोर्चा खोल दिया हैं. हाल ही के कुछ दिनों में जिस प्रकार एमडीएम डीपीओ द्वारा मध्याहन भोजन की गुणवत्ता को लेकर लगातार निरीक्षण किया गया. इस निरीक्षण के पीछे के उद्देश्य से शिक्षक काफी खफा नजर आ रहे हैं. निरीक्षण के नाम पर शिक्षकों से हो रही अवैध वसूली को लेकर शिक्षक संघ ने जिलाधिकारी से शिकायत की हैं.

एमडीएम डीपीओ से क्यों खफा है शिक्षक

शिक्षको का डीपीओ से नाराजगी का कारण निरीक्षण के नाम पर हो रही अवैध वसूली है. शिक्षक संघ ने बताया कि एमडीएम डीपीओ द्वारा एक दिन में आधा दर्जन से अधिक विद्यालयों का निरीक्षण किया जाता है. विद्यालय के खुलने के साथ सुबह 9 बजे ही स्कूलों का निरीक्षण किया जाता हैं.उस समय विद्यालय में एमडीएम बनाने की कार्यवाई शुरू की जाती है ऐसे में मध्याहन भोजन की गुणवत्ता कहा से पता चलेगी. विद्यालय की जाँच के बाद निरीक्षण किये गये स्कूल को स्पष्टीकरण भेजा जाता हैं. विद्यालय के प्रधानाध्यापक उसका जवाब देते है लेकिन जबाब को असंतुष्ट बताते हुए पुनः पत्र भेजा जाता हैं. पत्र के साथ ही पीछे से एक कर्मी इसकी सेटिंग गेटिंग में जुट जाता है.advertisement 1

विभागीय कार्यवाई का डर दिखाकर उनसे जबरदस्ती वसूली की जाती है. शिक्षक ने अगर पैसा दे दिया तो वह स्पष्टीकरण मान्य हो जाता है लेकिन अगर बात नही बनी तो वह पत्र पुनः भेजा जाता है जब तक की बात नही बन जाये. विगत के महीनों में डीपीओ द्वारा सैकड़ो विद्यालय का निरीक्षण किया गया स्पष्टीकरण को लेकर पत्र भेजे गये लेकिन कार्यवाई की सूचना नही मिल पाती है.

छपरा: ओ.डी.एल. प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले शिक्षको की परीक्षा 2० जून से प्रारंभ होगी. बिहार सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा परीक्षा सम्बन्धी कार्यक्रम निर्गत कर दिया गया है.

सत्र 2013 –15 के प्रथम सत्र  के चतुर्थ सेमेस्टर में शामिल शिक्षको की परीक्षा 20 जून से 23 जून तक द्वितीय पाली में  दोपहर 02 बजे से 05 बजे तक आयोजित की जाएगी. वही द्वितीय चरण के तीसरे सेमेस्टर में शामिल शिक्षकों की परीक्षा 20 जून से शुरु होकर 25 जून तक प्रथम पाली में सुबह 10 बजे से दोपहर 01 बजे तक आयोजित की जाएगी.

चतुर्थ सेमेस्टर की परीक्षा में 20 जून को  ( S4.1) विद्यालय की समझ एवं  कक्षा प्रबंधन – 2, 21 जून को ( S4.2)  गणित का शिक्षण शास्त्र -2, 22 जून को ( S4.3)  अंग्रेजी का शिक्षण शास्त्र -2, 23जून को ( S4.4) भाषा का शिक्षण शास्त्र विषय की परीक्षा आयोजित होगी.

वही  द्वितीय चरण के तीसरे सेमेस्टर में शामिल शिक्षकों की परीक्षा में 20 जून को ( S3.1) शिक्षा का परिपेक्ष्य -2, 22 जून को ( S3.2) बाल विकास  और मनोविज्ञान -2, 23 जून को ( S3.3) शिक्षा का साहित्य , 24 जून को ( S3.4) हिंदी का शिक्षण शास्त्र, 25 जून को ( S3.5)  शिक्षा में सूचना एवं संचार तकनीक ( आई सी टी ) -2, 26  जून को ( S3.6) कला शिक्षा -2 विषय की परीक्षा आयोजित की जाएँगी.

परीक्षा को लेकर राज्य में एससीईआरटी, पटना और जिले में डायट सोनपुर ने तैयारिया शुरू कर दी है. हालाकि सारण जिले में सिर्फ तीसरे सेमेस्टर के परीक्षार्थी है इस कारण यहाँ तीसरे सेमेस्टर की परीक्षा आयोजित की जाएगी.      

 

छपरा: प्राथमिक शिक्षा के निदेशक के पत्र के बावजूद जिले के सैकड़ों शिक्षक प्रतिनियोजन पर रहकर ड्यूटी बजा रहे है. इस कार्य में जहाँ एक ओर निर्देश की अवहेलना पदाधिकारी एवं शिक्षक कर रहे है वहीं विद्यालय आने वाले छात्रों के भविष्य से भी खिलवाड़ हो रहा है.

प्रतिनियोजन को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों की बात कौन कहे जिला मुख्यालय में सैकड़ों शिक्षक प्रतिनियुक्त है. सूत्रों की माने तो सारण के जिला मुख्यालय से लेकर प्रखंड के बीआरसी स्तर तक करीब 500 से अधिक शिक्षक शिक्षिकाएं किसी ना किसी कार्य का हवाला देकर प्रतिनियोजन पर है. कई स्थानों पर तो प्रतिनियोजन के बहाने शिक्षक शिक्षिकाएं दुसरे प्रदेशों में आराम फरमा रहे है.

सुविधा शुल्क और मिलीभगत से यह कार्य अत्यंत प्रगति पर है. एक हज़ार से दो हज़ार रूपये में आसानी से प्रतिमाह प्रतिनियोजन हो जाता है. आये दिन मिल रही सूचनाओं एवं शिकायतों के कारण विगत 10 फ़रवरी 2016 को प्राथमिक शिक्षा निदेशक एम रामचंदुडू द्वारा सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को पत्र भेजते हुए चुनाव, आपदा एवं दस वर्षीय जनगणना कार्य को छोड़कर सभी तरह के प्रतिनियोजन को रद्द करने का निर्देश दिया गया. साथ ही 20 फरवरी तक एक प्रतिवेदन भी मांगा गया था. जिसके आलोक में डीईओ सारण ने भी सभी बीईओ को पत्र भेजकर प्रतिनियोजन रद्द करने एवं प्रतिनियोजन पर एक भी शिक्षक के नही होने का प्रतिवेदन मांगा गया. हालांकि इस पत्र के आलोक में 20 प्रखंड में कई प्रखंड ने प्रतिवेदन सौप दिया है. लेकिन शिक्षक-शिक्षिकाएं प्रतिनियोजन पर डटें हुए है.

ग्रामीण क्षेत्रों के दर्ज़नों शिक्षक-शिक्षिकाएं पदाधिकारियों की सह पर पिछले कई वर्षों से जिला मुख्यालय में या तो बिना पत्र कार्यालय में प्रतिनियुक्ति है. जिनकी न तो कही उपस्थिति दर्ज होती है और ना ही अनुपस्थिति विवरणी ही भेजी जाती है. लेकिन वेतन जरुर समय पर मिल जाता है.

छपरा: बिना उचित कारण और आवेदन दिए बगैर मनमर्जी की छुट्टी पर रहने वाले सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों की इस आदत पर लगाम लगाने की तैयारी शिक्षा विभाग ने शुरू कर दी है.

शिक्षकों के उपस्थिति की जांच के लिए विभाग द्वारा ‘गुणवत्ता पदाधिकारियों’ के नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. इन पदाधिकारियों पर शिक्षकों के नियमित उपस्थिति बढ़ाने और विद्यालयों के मॉनिटरिंग की पूरी जिम्मेवारी रहेगी. भवन निर्माण और पोशाक राशी वितरण के व्यवस्थित अनुपालन के साथ-साथ विद्यालयों में शिक्षा एवं स्वच्छ्ता की गुणवत्ता को बढ़ाने के जिम्मेवारी गुणवत्ता पदाधिकारियों पर रहेगी.

गुणवत्ता पदाधिकारियों की नियुक्ति से बिना कारण अनुपस्थित रहने वाले शिक्षकों पर नजर रखी जा सकेगी.अधिकतर सरकारी विद्यालयों में बिना आवेदन छुट्टी मनाने वाले शिक्षकों की इस रवैये से शिक्षा-व्यवस्था पर बुरा असर पड़ता है.