नई दिल्ली, (हि.स.)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मिशन गगनयान के पहले क्रू मिशन के लिए मंगलवार को नामित किये गए चार अंतरिक्ष यात्री भारतीय वायु सेना के लड़ाकू वायु योद्धा हैं। ऐतिहासिक मिशन के लिए प्रशिक्षण ले रहे इन वायु योद्धाओं ने वायु सेना के लिए कई अहम मिशन में योगदान दिया है। इनकी योग्यता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इन सभी के पास 2 से 3 हजार घंटे वायु सेना के फाइटर जेट उड़ाने का अनुभव है।
मिशन गगनयान के लिए वायु सेना के ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला का चयन किया गया है। इन चारों से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) से मुलाक़ात करके उन्हें सम्मानित भी किया। वायुसेना के 25 पायलट्स में से चार फाइटर पायलट्स को पिछले साल ‘मिशन गगनयान’ के लिए चुना गया था। इन्हें एक साल का अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण लेने के लिए रूस भेजा गया था, जहां इन्हें ट्रेनिंग देने के लिए इसरो ने रूसी संगठन ग्लेवकोस्मोस के साथ अनुबंध किया था।
रूस से प्रशिक्षण लेकर लौटे ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, अंगद प्रताप, अजीत कृष्णन और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला इस समय ऐतिहासिक मिशन के लिए बेंगलुरु में प्रशिक्षण ले रहे हैं। रूस में चारों अंतरिक्ष यात्रियों को सामान्य प्रशिक्षण दिए गए हैं लेकिन अब इन्हें गगनयान-विशिष्ट प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिनमें चिकित्सा प्रशिक्षण, मनोवैज्ञानिक प्रशिक्षण, उन्नत प्रशिक्षण और उड़ान सिमुलेशन प्रशिक्षण शामिल हैं। चिकित्सा प्रशिक्षण ‘मिशन गगनयान’ की लॉन्चिंग के समय तक चलेगा। अंतरिक्ष यात्रियों को दिया जाने वाला मनोवैज्ञानिक प्रशिक्षण शून्य-गुरुत्वाकर्षण वातावरण, कार्य थकान, तनाव प्रबंधन करने में मदद करेगा। इससे उन्हें अंतरिक्ष में जाने और सुरक्षित रूप से वापस आने में मदद मिलेगी।
ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर
गगनयान हिस्से के रूप में कम-पृथ्वी की कक्षा में उड़ान भरने वाले चार नामित अंतरिक्ष यात्रियों में से एक ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर सेवानिवृत्त इंजीनियर के पुत्र हैं। वह पलक्कड़ के नेम्मारा गांव के रहने वाले और एनडीए के पूर्व छात्र हैं। उन्हें वायु सेना अकादमी में स्वॉर्ड ऑफ ऑनर दिया गया था। उन्हें 19 दिसंबर, 1998 को भारतीय वायु सेना की फाइटर स्ट्रीम में कमीशन दिया गया था। वह एक कैट ए उड़ान प्रशिक्षक और एक परीक्षण पायलट हैं, जिनके पास लगभग 3,000 घंटे की उड़ान का अनुभव है। उन्होंने कई प्रकार के विमान उड़ाए हैं, जिनमें सुखोई-30 एमकेआई, मिग-21, मिग-29, हॉक, डोर्नियर, एएन-32 आदि हैं। उन्होंने लड़ाकू विमान सुखोई-30 स्क्वाड्रन की कमान संभाली है।
ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप
प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) में 17 जुलाई, 1982 को जन्मे ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के पूर्व छात्र हैं। वह 18 दिसंबर, 2004 को भारतीय वायु सेना की लड़ाकू स्ट्रीम में नियुक्त हुए थे। वह एक उड़ान प्रशिक्षक और एक परीक्षण पायलट है। उनके पास लगभग 2,000 घंटे की उड़ान का अनुभव है। उन्होंने कई प्रकार के विमान उड़ाए हैं, जिनमें सुखोई-30 एमकेआई, मिग-21, मिग-29, जगुआर, हॉक, डॉर्नियर, एएन-32 आदि शामिल हैं।
ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन
तमिलनाडु के चेन्नई में 19 अप्रैल, 1982 को पैदा हुए ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के पूर्व छात्र हैं। उन्हें वायु सेना अकादमी में राष्ट्रपति के स्वर्ण पदक और स्वॉर्ड ऑफ ऑनर दिया जा चुका है। उन्हें 21 जून, 2003 को भारतीय वायु सेना की फाइटर स्ट्रीम में कमीशन दिया गया था। वह एक उड़ान प्रशिक्षक और परीक्षण पायलट हैं। उनके पास लगभग 2,900 घंटे की उड़ान का अनुभव है। उन्होंने कई प्रकार के विमान उड़ाए हैं, जिनमें सुखोई-30 एमकेआई, मिग-21, मिग-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर, एएन-32 आदि शामिल हैं। वह डीएसएससी, वेलिंगटन के पूर्व छात्र भी हैं।
विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला
उत्तर प्रदेश के लखनऊ में 10 अक्टूबर, 1985 को पैदा हुए विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला भी राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के पूर्व छात्र हैं। उन्हें 17 जून, 2006 को भारतीय वायु सेना की लड़ाकू स्ट्रीम में नियुक्त किया गया था। वह लगभग 2,000 घंटे की उड़ान के अनुभव के साथ लड़ाकू परीक्षण पायलट हैं। उन्होंने कई प्रकार के विमान उड़ाए हैं, जिनमें सुखोई-30 एमकेआई, मिग-21, मिग-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर, एएन-32 आदि शामिल हैं।