रिविलगंज के ऐतिहासिक महावीरी मेले की हुई शुरुआत

रिविलगंज के ऐतिहासिक महावीरी मेले की हुई शुरुआत

रिविलगंज: मूर्तियों मे प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही रिविलगंज के ऐतिहासिक महावीरी मेले की शुरुआत हो गई. विदित हो की रिविलगंज के ऐतिहासिक महावीरी मेला का सारण मे धर्मिक महत्व है. पौराणिक धार्मिक कथाओं मे रिविलगंज का वर्णन मिलता है. हनुमान जी के ननिहाल के रुप मे स्थापित रिविलगंज मे कई सालो से हनुमान जी की प्रतिमा की पूजा की जाती है.

रिविलगंज बाजार स्थित आखारा नo-1 के हनुमान जी की विशाल प्रतिमा को बनवाने वालो को लम्बा इंतजार करना परता है. समिति की माने तो 1932 से चली आ रही परम्परा को समिति को स्थानीय धार्मिक लोगो का भरपूर सहयोग मिलता है. मूर्ति बनवाने के लिये 2039 तक की बुकिंग हो चुकी है.

वही आखारा-2 मे भी मूर्ति बनवाने वालो व भोग लगाने वालो को लम्बा इंतजार करना पड़ता है. स्थानीय स्तर पर एक महीना पहले से ही तैयारियाँ शुरू हो जाती है. मूर्तियों के विसर्जन को देखने के लिये आस पास से हजारो लोग इकठ्ठा होते है.

हालाँकि विसर्जन का स्वरूप बदल गया है. हाथियों ऊंटों और घोरो की जगह आधुनिक आर्केस्ट्रा ने ली है. बावजूद इसके तमाम पर आस्था भारी रहती है. सन 1932 से शुरू इस परम्परा को ग्रामीण खूब उत्साह से मनाते है. इस साल विसर्जन 17 अक्टोबर को सुनिश्चित हुआ है.

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