Chhapra: सारण के रामचंद्र माझी को नई दिल्ली में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार 2017 से सम्मानित किया गया है. 93 वर्ष की उम्र में उन्हें यह पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने हाथों से प्रदान किया. उन्हें ताम्र पत्र देकर सम्मानित किया गया. रामचंद्र माझी ने बिहार के लोक नाटक के क्षेत्र में सालों से अहम योगदान दिया है. वो भिखारी ठाकुर की नाच मंडली में काम करने वालों में से एक है.
इस वृद्धावस्था में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार मिलना सारण के लिए काफी गौरव की बात है. ज़िले के खैरा के समीप एक छोटे से गांव तुजारपुर के निवासी रामचंद्र माझी सारण के युवा लोक कलाकारों के लिए प्रेरणा हैं.
लौंडा नाच के लिए जाने गए:
उन्होंने 10 साल की उम्र से भिखारी ठाकुर की मंडली में लौंडा नाच के साथ विभिन्न नाट्यों में कार्य किया है. उन्होंने विदेशिया नाटक, बेटी बचवा समेत कई नाट्यों में अपने किरदार से अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया. 40 वर्षों तक उन्होंने भिखारी ठाकुर के साथ कार्य भी किया है.
पैदल कुतुबपुर दियारा जाकर लेते थे प्रशिक्षण
हाल ही में छपरा टुडे को दिये गए साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि वो 10 वर्ष की उम्र से भिखारी ठाकुर से जुड़े. उन्हीं से प्रशिक्षण मिला और फिर उनसे साथ काम करने लगे. रामचंद्र जी को वह भी दौर याद है. जब वह अपने घर से पैदल कुतुबपुर दियारा भिखारी ठाकुर के गांव जाकर प्रशिक्षण और कार्य करते थे. रामचन्द्र बताते हैं की आजकल के लोग इन नाटकों को पसंद नहीं करते हैं. आर्केस्ट्रा का बाज़ार चल रहा है. पुरानी परंपरा धीरे-धीरे विलुप्त हो रही है.