Chhapra/Marhaura: Plurals की प्रेसिडेंट पुष्पम प्रिया चौधरी बुधवार को जब सारण पहुंची तो 1998 से बंद पड़ा बिहार का पहला ‘मढौरा चीनी मिल’ का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है. बिहार के धरोहरों को बचाने व उद्योगों खोलने के उद्देश्य को लेकर #LetsOpenBihar #30YearLockdown के तहत Plurals की प्रेसिडेंट पुष्पम प्रिया चौधरी बुधवार को सारण पहुंची थी. इस दौरान वो सबसे पहले मढौरा गयीं और खण्डहर में तब्दील हो चुके चीनी मिल, मोर्टन फैक्ट्री, सारण डिस्टिलरी और सुगर मिल टूल्स एक्सपोर्ट करने वाले सारण इंजीनियरिंग के खंडहर का दौरा किया.
इस मौके पर उन्हें शुगर मिल और अन्य फैक्टरियों के खंडहर दिखाने गए मढौरा के बसन्त सिंह राजपूत व गांव के लोग भावुक हो गए.
युवाओं ने कहा कि उनका सपना है कि मढौरा चीनी मिल एक बार फिर से चालू हो और सारण के इस धरोहर को बचाया जा सके. लोगों के भाव देख उन्होंने वादा किया कि वह मढ़ौरा के लोगों के इस सपने को जरूर पूरा करेंगी. उन्होंने युवाओं से वादा किया कि वह फिर से इसी जगह पर जरूर मिलेंगी और उनका सपना जरूर पूरा होगा. ‘1904 में बिहार का सबसे पहला “मढौरा सुगर मिल”, 94 साल के बाद 1998 में बंद, 2000 वर्कर परिवार बर्बाद, गन्ना कैश-क्रॉप पर आश्रित मढौरा, अमनौर, दरियापुर, बनियापुर, तरैया, मशरक, मकेर, परसा आदि गाँवों के 20000 किसान और हज़ारों एकड़ खेती बर्बाद, 1500 एकड़ अरबों की इंडस्ट्रियल ज़मीन व्यर्थ पड़ी हुई, किसानों का 20 करोड़ से ज़्यादा बकाया, पूरा क्षेत्र खंडहर, वीरान, अतिक्रमण, चोरी का शिकार! सर्वनाश! बसंत, आपको मेरा वादा रहा, इसी जगह फिर मिलेंगे, जब आपका सपना पूरा करेंगे.
कर्मचारियों के करोड़ो रूपये हैं बकाया
उन्होंने बताया कि ‘सारण इंजीनियरिंग’ के पूर्व क्लर्क रणवीर सिंह के अनुसार कम्पनी में कर्मचारियों का करोड़ो रुपया बकाया है. जिसका कोई समाधान नहीं हुआ. इस कारण 75% वर्कर्स मर गए. यहां दूर-दूर से नेपाल, उत्तर प्रदेश आदि से लोग काम करने आते थे. मिल के कीमती पार्ट पुर्जे चोरी हो गए. सरकार ने मिल की संपत्ति को सुरक्षित रखने का प्रयास भी नहीं किया. मिल के पास करीब 15 सौ एकड़ जमीन है पर वह भी बेकार हो गई है.
किसानों के परिवार वाले उपेंद्र, सदानंद प्रसाद अंगद सिंह आदि ने बताया कि किसानों का करीब 20 करोड़ बकाया है. फैक्ट्री किसानों के लिए आमदनी का सहारा था जो छीन गया. लोगों को रोजगार मिलता था वह भी बंद हो गया. अब मिल खंडहर में तब्दील हो चुकी है. लोग जमीन पर अवैध कब्जा कर रहे हैं. कई बार लोकल नेता व राज्य के कद्दावर नेता एवं राष्ट्रीय नेताओं ने पुनः मिल चालू कराने का वादा किया पर हुआ कुछ नहीं.
चीनी मिल बन्द होने से बंद हो गयी अन्य फैक्टरियां
प्रिया चौधरी ने चीनी मिल के अलावा इसी कैंपस में स्थित ‘सारण डिस्टिलरी’ की बंद पड़ी यूनिट को भी देखा, जो शुगर मिल के बंद होने से पूरी तरह बंद हो गई. यहीं इंजीनियरिंग की भी यूनिट थी जो चीनी मिल के लिए पुर्जे बनाती थी तथा 4 कमिश्नरी में यहां से कलपुर्जे जाते थे. चीनी मिल बंद होने से धीरे-धीरे सारण इंजीनियरिंग भी बंद हो गया. यहां भी कर्मचारियों के पैसे कंपनी पर बकाया हैं.
मोर्टन फैक्ट्री का भी किया दौरा
इसके अलावा सुश्री चौधरी ने बंद पड़ी मॉर्टन फैक्ट्री को भी देखा. यब फैक्ट्री एक समय में पूरे विश्व में प्रसिद्ध था. सी एन्ड ई मोर्टन इंडिया लिमिटेड द्वारा 1929 में कन्फेक्शनरी फैक्ट्री का निर्माण किया गया. मोर्टन का चॉकलेट पूरे देश में प्रसिद्ध था परंतु प्रबंधन की नीतियों के कारण स्थिति खराब होने लगी तब 1976 में इसे गंगेस शुगर एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड को ट्रांसफर कर दे गया. फिर भी फैक्ट्री ठीक से चल नहीं सकी. फिर 1994 में अवध शुगर मिल्स को इसे लीज पर दे दिया गया. फिर भी 1997-98 तक यह फैक्ट्री पूरी तरह बंद हो गई. बाद में पांच लोगों ने मिलकर इसकी जमीन बेच दी फैक्ट्री की जमीन पर लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया.
इसके अलावा प्रिया चौधरी रसूलपुर के गांव में फल सब्जी की खेती देखने की गई. उन्होंने किसान सुरेश, मुखिया अरविंद सिंह से बात की. सुरेश टिशू कल्चर द्वारा तरह-तरह की सब्जियां उगाता देख उन्होंने उनकी तारीफ की. सुरेश 10 तरह की सब्जियों की खेती करते हैं. वो पपीता, केला एवं तरह-तरह की सब्जियां उगाते हैं. सुरेश ने कहा कि खाद सरकार द्वारा दी जाती है. अगर उस पर डायरेक्ट सब्सिडी मिले तो ज्यादा फायदा हुआ किसानों को इसके अलावा मार्केटिंग की उत्तम व्यवस्था भी जरूरत है.
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