विश्व हेपाटाइटिस दिवस पर आयोजित होंगे विशेष कार्यक्रम, जानिए हेपटाइटिस के बारे में

विश्व हेपाटाइटिस दिवस पर आयोजित होंगे विशेष कार्यक्रम, जानिए हेपटाइटिस के बारे में

संयुक्त सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने दिए निर्देश

जागरूकता के लिए सामुदायिक सहभागिता पर होगा ज़ोर

Chhapra: वैश्विक स्तर पर हेपाटाइटिस को लेकर आम जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 28 जुलाई को विश्व हेपाटाइटिस दिवस मनाया जाता है. इसी क्रम में इस साल भी 28 जुलाई को विश्व हेपाटाइटिस दिवस मनाया जाएगा. इसको लेकर संयुक्त सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय विकास शील ने राज्य के प्रधान सचिव एवं मिशन निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को पत्र लिख कर निर्देश दिए हैं.

26 जुलाई से तैयारी करने के निर्देश

संयुक्त सचिव विकास शील ने पत्र के माध्यम से बताया हेपाटाइटिस पर सामुदायिक जागरूकता की बेहद जरूरत है. जिसमें व्यवहार परिवर्तन संचार की भूमिका अहम है. इसको ध्यान में रखते हुए 26 जुलाई से 28 जुलाई के बीच राज्य के लक्षित मॉडल उपचार केन्द्रों को क्रियाशील करने की जरूरत है. साथ ही इस दौरान राष्ट्रीय वायरल हेपाटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम के कुशल क्रियान्वयन के साथ उपचार एवं मोनिट्रिंग को बेहतर करने के लिए संबंधित कर्मियों के प्रशिक्षण को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए. इसके अलावा विश्व हेपाटाइटिस दिवस के मौके पर राज्य में क्रियाशील हेल्थ एवं वेलनेस सेंटरों पर अत्यधिक सामुदायिक सहभागिता के जरिए आम जागरूकता बढ़ाने की भी बात बतायी गयी है.

इन पर दिया जाएगा विशेष ज़ोर

  •  व्यवहार परिवर्तन संचार एवं सामुदायिक जागरूकता
  • जन्म के समय शिशुओं को हेपाटाइटिस-बी का टीका 
  • सबसे अधिक संक्रमित होने वाले समूह की जानकारी
  • संक्रमण बचाव के लिए ख़ून चढ़ाने एवं इंजेक्शन सुरक्षा की जानकारी
  •  सुरक्षित सामाजिक-सांस्कृतिक प्रथा


रोग के बारे में जाने

हेपाटाइटिस वायरस से फैलने वाला एक गंभीर रोग है। इससे लीवर में सूजन आ जाती है. हेपाटाइटिस के कुल पाँच प्रकार होते हैं। जिसमें हेपाटाइटिस ए, हेपाटाइटिस बी, हेपाटाइटिस सी, हेपाटाइटिस डी एवं हेपाटाइटिस ई शामिल है. इनमें हेपाटाइटिस बी सबसे अधिक खतरनाक एवं जानलेवा होता है. इसकी रोकथाम जन्म के समय टीका देकर की जा सकती है. थकावट, गहरे रंग का पेशाब, पीला मल, पेट में दर्द, भूख का ख़त्म हो जाना, वजन में अप्रत्याशित कमी, त्वचा एवं आँखों का पीला पड़ना एवं गंभीर स्थिति में मुँह से ख़ून की उल्टी जैसे लक्षण हेपाटाइटिस वायरस संक्रमण के होते हैं.

इनमें संक्रमण का होता है अधिक ख़तरा

  • जन्म के समय हेपाटाइटिस-बी का टीका नहीं लेने वाले
  •  शरीर पर टैटू करवाने से
  •  असुरक्षित यौन संबंध बनाने से
  • माता से गर्भस्थ शिशु को
  • नशीली दवा सेवन करने से
  • हेपाटाइटिस पीड़ित से उसके पार्टनर को
  •  बेहतर स्वच्छता नहीं रखने से
  •  घर में किसी संक्रमित व्यक्ति के साथ रहने से
  •  संक्रमित ख़ून चढ़ाने से

जागरूकता अभियान के क्रियान्वयन के साथ मोनिट्रिंग को बेहतर करने के लिए संबंधित कर्मियों के प्रशिक्षण को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए.

डॉ. माधवेश्वर झा, सिविल सर्जन सारण

0Shares
A valid URL was not provided.

छपरा टुडे डॉट कॉम की खबरों को Facebook पर पढ़ने कर लिए @ChhapraToday पर Like करे. हमें ट्विटर पर @ChhapraToday पर Follow करें. Video न्यूज़ के लिए हमारे YouTube चैनल को @ChhapraToday पर Subscribe करें