सेना में जाकर देश की सेवा करना गाँव के युवाओं का है पैशन, कड़ी मेहनत के बाद मात्र 10% ही हो पाते हैं सफल

सेना में जाकर देश की सेवा करना गाँव के युवाओं का है पैशन, कड़ी मेहनत के बाद मात्र 10% ही हो पाते हैं सफल

(Santosh Kumar Banti)
Chhapra: युवावस्था में सेना में जाकर देश सेवा करने और शरीर पर आर्मी की वर्दी देखने का सपना सबका होता है. युवा इस सपने को हकीकत में बदलने के लिए कमरतोड़ मेहनत करते हैं और सफल भी होते हैं. जिनके कारण हमारे देश की सरहद सुरक्षित है. उम्र के इस दौर में जब देश के लिए सेना में जाने की ललक पैदा होती है, उस उम्र के युवा अब मोबाइल पर व्यस्त हैं, हालांकि इसके बावजूद प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में युवा इस जोशीले ओहदे को प्राप्त कर देश की सुरक्षा सेवा में लगकर अपना अहम योगदान दे रहे है.

सेना में जाने को जद्दोजहद गांवों में अब भी बरकरार
सेना में जाने की जद्दोजहद गांवों में अब भी बरकरार है. सारण जिले में 20 प्रखंड हैं. शहर में रहने वाले लोग भी इसी 20 प्रखंडों से आते है. सेना में जाकर देश की सेवा करने वाले सभी प्रखंडों से है. इसके बावजूद भी एकमा, कोपा, बनियापुर, जलालपुर, छपरा सदर, मसरख एवं परसा के युवाओं की संख्या ज्यादा है और प्रति वर्ष यह संख्या और बढ़ ही रही है.

सूर्य की पहली किरण दिखने से पहले सड़कों पर अपने मजबूत इरादों के साथ पसीना बहाते हुए सभी मौसम में कठिन परिश्रम कर युवा अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जीते है. सड़क इनके दौड़ने की जगह, टूटे बिजली के खंभे से बने पुशअप, मिट्टी की गठरी से बीम खींचना तथा खेतों में कुदाल चलाकर शारीरिक श्रम करना ही इनके लिए प्रैक्टिस का साधन है.

युवा लोकल और आत्मनिर्भरता के बावजूद मजबूत इरादों और जज़्बे के साथ यह आर्मी रैलियों में भाग लेते हैं और अपने सपनों को पूरा करते हैं. हालांकि कुछेक की थोड़ी चूक उनके सपनों को तोड़ देती है.

सेना में जाने का तरीका भी अब बदल चुका है प्रतियोगिता के बढ़ते दौर में अब वहां भी शारीरिक परीक्षाओं के साथ-साथ लिखित परीक्षाओं से युवाओं को गुजरना पड़ रहा है. जिसके कारण अब युवा इन दोनों की तैयारी कर रहे है.

आईटीबीपी कैम्प खुलने से युवाओं में बढ़ा क्रेज
शहर से सटे जलालपुर के कोठियां में आईटीबीपी कैम्प खुलने से भी युवाओं में इस क्षेत्र में नौकरी पाने का क्रेज बढ़ा है. खासकर जलालपुर, एकमा, बनियापुर के युवा दिन रात एक कर मेहनत कर सेना में चयन का प्रयास कर रहे है.

जिले के साथ-साथ पड़ोसी जिले आरा, सिवान और गोपालगंज में दर्जनों ऐसे निजी शिक्षण संस्थान है जो सेना भर्ती की तैयारी कराते है. जहां शारीरिक एवं शैक्षणिक दोनों तैयारियां कराई जाती है. लेकिन मेहनत युवाओं को ही करनी पड़ती है. पूरे जिले में ऐसा कोई स्थान नहीं है जहां युवाओं को कुशल प्रशिक्षण मिले जिनसे कि उनका चयन शत प्रतिशत आर्मी में हो सके.

बहरहाल चुनौतियां कितनी भी हो. चयन कितना भी मुश्किल हो. अपने सीने पर देश की वर्दी पहनने के जज्बे के साथ सड़कों पर प्रतिदिन अपने मंसूबों को हासिल करने के लिए युवा दौड़ लगा रहे है. जरूरत है तो बस उचित मार्गदर्शन और संसाधन की. जिसके उपरांत इनका चयन सेना में हो और यह देश की सुरक्षा कर सकें.

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