गोपालगंज: बिहार के गोपलगंज में भी अब कश्मीर और हिमाचल प्रदेश जैसे ठंडे इलाकों में होने वाले सेब की खेती जिले के 100 किसान करेंगे। इसके लिए आत्मा निदेशक ने पंचदेवरी प्रखंड के एक किसान को दो सेब के पौधे देकर खेती करने का गुर सिखाया। दो पौधे में आए सेब के फल को देखकर विभाग ने जिले के लिए 56 किसानों के लिए 1400 पौधे की मांग अमरपुरा गांधीनगर गुजरात से किया है। जो 14 प्रखंडों के 56 किसनों के बीच वितरण किया जाएगा।। इसमें एक किसान को 25 पौधे को 4.25 कट्टे जमीन पर लगानी होगी।
किसानों के चयन के लिए डीएम डॉ नवल किशोर चौधरी ने आत्मा सहायक निदेशक को आदेश दिया है। जिसके बाद आत्मा विभाग ने प्रखंड के वैसे किसानों के चयन करने में लगे हुए जो सेव की खेती करने में उनकी रुची है.
आत्मा सहायक निदेशक विकास कुमार ने बताया कि बिहार के कई विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक इस दिशा में शोध कर रहे हैं कि सेब की इस प्रजाति के लक्षणों में किस स्तर तक बदलाव लाया जाए कि इसकी गुणवत्ता ठंडे प्रदेशों में होने वाले फल की तरह हो जाए। साथ ही उत्पादन दर में बढ़ोतरी हो सके। सेब की इस प्रजाति के पौधे गर्मी के मौसम में फल देते हैं। जबकि सभी जानते हैं कि सेब ठंडे प्रदेशों में ठंडे मौसम में उगता है लेकिन हरमन 99 गर्मियों में भी आसानी से फल लग सकता है।
उन्होंने कहा कि इस सेब का पौधा 40 से 48 डिग्री तापमान पर भी आसानी से पनप सकता है। इसमें स्व परागण के जरिए प्रजनन होता है। इसे कोई भी अपने आंगन या बगीचे में लगा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि अपने जिले और बिहार की मिट्टी में यह पौधा आसानी से उगाया जा सकता है और इसके फल का लाभ लिया जा सकता है।नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन (एनआइएफ) के अनुसार जिस गर्म प्रदेशों में होने वाले सेब की प्रजाति के जनक हिमाचल प्रदेश के विलासपुर निवासी किसान हरिमन शर्मा हैं। इसलिए इसका नाम हरिमन सेब रखा गया है।
एनआइएफ के सहयोग से इसकी नर्सरी बनाई गई है। संस्था की ओर से देश के विभिन्न राज्यों में प्रयोग के तौर पर इसके पौधे लगाए जा रहे हैं। बिहार के छह जिलों में 200 पौधे लगाए गए थे। इसमें फल होने लगा है। इसकी गुणवत्ता और इसमें ठंडे प्रदेश के सेब की तुलना में कमी का अध्ययन करने के लिए इन पौधों के कई वैज्ञानिक शोध कर रहे है।
उन्होंने बताया कि चयनित किसानों को नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन के वैज्ञानिक विशेष प्रशिक्षण देकर सेव की खेती करने का गुर सिखाया जाएगा। इसके लिए नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन को जिलाधिकारी के माध्यम से पत्र भेजने की प्रक्रिया की जा रही है। उन्होंने बताया कि पंचदेवरी प्रखंड के कोईसा खुर्द गांव में मनोज पंडित को दाे सेव का पौधा देकर उसे खेती के लिए प्रोत्साहित किया गया। जिसने दो पौधे को लगाकर सेव का उत्पादन किया। जिसको देखकर यहां के मिट्टी पर सेव का उत्पादन के संभावना को देखकर सेव की खेती करने के लिए विभाग को पत्र भेजा गया। जिसके बाद इसकी स्वीकृति मिली। आत्मा निदेशक मानते हैं कि नौकरी से बेहतर खेती है अगर तकनीकी स्तर पर ठीक से की जाए। खेती को व्यावसायिक रूप देकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। वे बताते हैं कि दो बीघे की खेती में अगर सेब बढ़िया से फल दे तो साल में 14-15 लाख रुपया कमाया जा सकता है।दो बीघे की खेती कर कोई किसान चाहे तो महीने में 1 से 1.5 लाख रुपये तक की कमाई कर सकता है। बशर्ते कि परंपरागत खेती न कर नकदी फसलों की खेती की जाए जिसका कॉमर्शियल वैल्यू बहुत ज्यादा हो।
सवाल ये भी है कि हिमाचल और कश्मीर में जिस तरह की मिट्टी है, वैसी बिहार में नहीं है। ऐसे में गोपालगंज में सेब की खेती कैसे हो सकती है? इसके जवाब में मनोज पंडित ने कहा कि हरमन-99 वेरायटी किसी भी तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है, चाहे वह पथरीली मिट्टी हो या दोमट या लाल। इस हिसाब से जिले में भी इसकी उपयुक्त खेती की जा सकती है। इस फसल के लिए सबसे जरूरी बात जलवायु है जिसे देखते हुए हरमन-99 तैयार किया गया है। हमने दो पौधे लगाकर देखा है। फल लगे है। लोग सुबह से शाम तक देखने आ रहे है। इस बार वे 25 पौधे सेव का लगाकर खेती करेंगे।आत्मा के सहायक निदेशक ने कहा कि गोपालगंज में सेब का उत्पादन होना किसानों की उपलब्धि है। आने वाले समय में किसानों को गुणवत्तापूर्ण पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे।