जिंदगी की जंग हार गया माँ भारती का वीर सपूत, हनुमनथप्पा का निधन

नयी दिल्ली: सियाचिन में बर्फीले तूफ़ान के चपेट में आकर 35 फुट बर्फ के नीचे फंसे रहने का बाद बचाव दल द्वारा जिन्दा निकाले गए लांसनायक हनुमनथप्पा नहीं रहे. गुरुवार सुबह 11:45 बजे उन्होंने दिल्ली के सेना के आरआर अस्पताल में आखिरी सांस ली. 

लांस नायक #Hanamanthappa नहीं रहे….सेना के अस्पताल में भर्ती थे. सियाचिन हादसे में 6 दिनों तक दबे रहने के बाद उन्हें जिन्दा बाहर निकाला गया था. भारत माँ के इस वीर सपूत को हमारी श्रद्धांजलि….

Posted by Chhapra Today on Wednesday, February 10, 2016

इससे पहले खबर मिली थी कि उनकी हालत और बिगड़ गई है और वह गहरे कोमा में चले गए हैं. हनुमंतप्पा के शरीर के कई अंग काम नहीं कर रहे थे, उनके दोनों फेफड़ों में निमोनिया के लक्षण पाए गए थे, तथा उनके दिमाग तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच रहा थी. उनकी हालत बेहद गंभीर बताई गई थी.

हनुमंतथप्पा का सफ़र
33 साल के हनुमंतप्पा अक्टूबर 2002 में सेना से जुड़े. वे मद्रास रेजिमेंट की 19वीं बटालियन में रहे. अब तक की 13 साल की नौकरी में उन्होंने 10 साल बेहद चुनौती भरे इलाक़ों में गुजारी. 2003 से 2006 तक जम्मू-कश्मीर के माहोर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में शामिल रहे. 2008 से 2010 के बीच फिर जम्मू-कश्मीर में 54, राष्ट्रीय राइफ़ल्स, मद्रास के साथ 2010 से 2012 के बीच पूर्वोत्तर में एनडीएफ़बी और उल्फ़ा से लड़े. अगस्त 2015 से सियाचिन में दिसंबर 2015 में 19,600 फुट ऊंची चौकी पर तैनाती हुई थी.

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