संघर्ष की गाथा, एक ईमानदार ऑफिसर की कहानी : Mission Raniganj Film Review

संघर्ष की गाथा, एक ईमानदार ऑफिसर की कहानी : Mission Raniganj Film Review

Review by : Abhinandan Dwivedi (Former RJ)

Mission Raniganj | One Word Review : Impactful

धरती माता की जय, हनुमान चालीसा की बोल, 65 वर्कर्स के कोल माइन्स में फंसने, फिर उनके Rescued करने तक फ़िल्म की कहानी में कई मोड़ आते हैं। ये वक्त समझाने का नहीं, समझने का है… Akshay Kumar का ये Dialogue Raniganj गाँव के निवासियों की उम्मीद का बैसाखी बनता है।

फ़िल्म मजदूरों का संघर्ष, रोजगार की भूख, कोलकाता की राजनीति, सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार, अधिकारियों की लापरवाही जैसे तमाम पहलुओं पर दर्शकों का ध्यान अपने तरफ खिंचती है। वक्त और उम्मीद के बीच परिजनों का अपने परिवार को जीवित देखने की आस को फ़िल्म बड़े ही गंभीरता से कहती है। अपने प्रमुख विषय को सादगी से दिखाते हुए, फ़िल्म में एक माँ की ममता, एक अर्धांगिनी का दर्द, एक पिता का प्यार, एक बहन की शादी का बोझ जैसे कई पहलू दिल को छू जाते हैं। फ़िल्म आपको रुलाती है, हँसाती है, सरकारी तंत्र के भृष्ट अधिकारियों पर आक्रोश और मानवता की मिसाल का उदाहरण पेश करती है। आखिर में धर्म में आस्था और प्यार में विश्वास की जीत, आँख में आंसू लाते हैं।

Special Mention

फ़िल्म में इंटरवल के बाद शुरू होता रेस्क्यू ऑपरेशन धर्यता के साथ परिस्थितियों से लड़ने की परिभाषा बताता है। 65 वर्कर्स को 40 घंटो में बाहर निकलने के लिए वक्त कम था और उम्मीदें ज्यादा थीं। उम्मीद सरकार से, उम्मीद अपने अधिकारियों से, उम्मीद उस सृष्टि के रचयिता से जिसके बोल पूरी फिल्म में सुनाई पढ़ते हैं। हर एक मजदूर का कोल फील्ड से बाहर आने पर “धरती माता की जय…” का उद्घोष अपने आप में आस्था और विश्वास का एक उदाहरण पेश करता है। मजदूरों द्वारा गम्भीर परिस्थिति में फंसने के बाद “हनुमान चालीसा” का पाठ करना ये दर्शाता है कि हर संकट को हरने वाले भगवान हनुमान की कृपा जरूर होगी।

Story :

फ़िल्म की कहानी 1989 में रानीगंज क्षेत्र के महावीर माइन्स में फंसे 65 मजदूरों की है, जिन्हें IIT धनबाद के एक चालक इंजीनियर जसवंत सिंह गिल द्वारा एक महत्वपूर्ण रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम देने की है।

फ़िल्म की कहानी शुरू होती है एक गाँव रानीगंज से जहां ग्रामीणों में एक तरफ महाभारत देखने का उत्साह है तो दूसरी तरफ ‘बिशु’ की बेटी की शादी को लेकर तैयारी की चर्चा है। उसी रात ओवरटाइम करने गए रानीगंज गाँव के मजदूरों के साथ कुछ ऐसा होता जिससे वो कोल माइन्स में फंस जाते हैं और गाँव की खुशियां पल में बिखर जाती है। ओवरटाइम करने गए 65 मजदूरों द्वारा कोयले की खनन को लेकर एक ब्लास्ट किया जाता है। ब्लास्ट करने के बाद मजदूरों ने देखा कि कहीं से पानी की बूंदे खदान में आरही हैं, उन्हें शक होता है कि ब्लास्ट की वजह से पानी का टैंक फट गया होगा ! और कुछ ही मिनटों में कोयला खदान पानी की तेज बहाव से भरने लगता है। खदान में अफरता – तफरी मचती है। अलग – अलग स्पॉट पर काम कर रहें मजदूरों को फ़ोन पर अलर्ट का संदेश भेजा जाता है। उन्हीं में से एक स्पॉट पर काम कर रहें मजदूर के सोने की वजह अलर्ट नहीं मिल पाता और 71 मजदूर खदान से बाहर नहीं निकल पातें। कुछ ही देर बाद 4 मजदूरों की मौत की खबर आती है।

महावीर माइन्स में 65 मजदूरों के फसने की खबर पूरे राज्य में फैल जाती है। मंत्री, अधिकारियों के कान खड़े हो जाते हैं। यूनियन लीडर द्वारा सभी मजदूरों को बाहर निकलने के लिए सभी सफल मदद का आष्वासन दिया जाता है। लेकिन हर सरकारी तंत्र की कहानी जैसी घटना यहाँ भी शुरू होती है। तंत्र में बैठे भ्रष्ट अधिकारी मजदूरों की जान को नजरअंदाज कर अपने पैसे और पोजीशन को बचाने में लग जाते हैं, तो दूसरी तरफ कुछ ईमानदार अधिकारी अपनी मानवता का परिचय देते हुए रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम देते हैं। क्या सभी 65 मजदूरों खदान से बाहर निकल आते हैं ? क्या रेस्क्यू ऑपरेशन कामयाब होता है ? या मजदूरों की मौत हो जाती है ? IIT इंजीनियर द्वारा कैसे ऑपेरशन को अंजाम दिया जाता है। क्या भ्रष्ट अधिकारियों का पर्दाफाश होता है ? ऐसे तमाम सवालों का जवाब फ़िल्म के ख़त्म होने तक मिलता है।

Actors Performance

फ़िल्म की कास्ट बड़ी है। कलाकारों की संख्या भी बहुत है, शायद यही कारण है कि पर्दे पर फ़िल्म देखते आप कहानी से जुड़े रहते हैं। बात सबसे पहले माइन्स वर्कर की करें तो : – रवि किशन, सुधीर पांडेय, ओमकार दास, वरुण वडोला, जमील खान जैसे कलाकारों ने अपने किरदार को पर्दे पर जीवंत किया है। एक मजदूर के दर्द को इन कलाकारों ने अपनी जबरदस्त एक्टिंग से पर्दे पर उकेरा है। यूनियन लीडर के किरदार में राजेश शर्मा का काम लाजवाब है। भ्रष्ट अधिकारी के किरदार में दिव्येंदू भट्टाचार्य का काम आपको पागल का देगा। दिव्येंदू का किरदार इस फ़िल्म की जान है, जब भी वो पर्दे पर आते हैं दर्शकों में उमंग का संचार होता है। एक ईमानदार अधिकारी के किरदार में कुमुद मिश्रा का काम बहुत ही खूबसूरत है। उनके हाव – भाव सन्दर्भ के अनुसार रच जाता है। पवन मल्होत्रा का काम फ़िल्म में महत्वपूर्ण है, जिसे आप नज़रअंदाज़ नहीं कर सकतें। जसवंत सिंह गिल के किरदार में अक्षय कुमार का काम आपका दिल जीत लेगा। एक पंजाबी ईमानदार इंजीनियर के अवतार में अक्षय कुमार ने अपने काम से फ़िल्म को मजबूत किया है। अक्षय कुमार के Dialogue कई बार आँखों मे आंसू लाते हैं। परिणीति चोपड़ा का किरदार छोटा है लेकिन परिणीति और जसवंत सिंह के बीच प्यार की डोर मजबूत रखी गयी है। जिसे कहानी के अंत में बड़े ही सादगी से दिखाया गया है। बाकी और भी बहुतेरों कलाकार हैं, जिन्होंने पर्दे पर खुद को साबित किया है।

Writing & Direction :

फ़िल्म के निदेशन का कार्यभार संभाल रहे टीनू सुरेश देसाई ने इससे पहले 1920 : London और Rustom का निर्देशन किया है। टीनू सुरेश ने अक्षय कुमार के साथ इससे पहले Rustom में अपने सुझली हुए निर्देशन का परिचय दिया था।

6 साल बाद एक बार फिर टीनू देसाई कुछ नए कलेवर का फ़िल्म दर्शक के बीच ले कर आये हैं। Mission Raniganj में हर वो चीज है जिसे दर्शक एक फ़िल्म में देखना चाहते हैं। फ़िल्म में निर्देशक ने सस्पेंस और थ्रिलर को बड़े ही उत्साहित कलेवर में दिखाया है। कुछ एक सीन में कॉमेडी का तड़का फ़िल्म में अलग उमंग भरने का काम करता है। इंटरवल के पहले या बाद, फ़िल्म की रफ्तार को बनाये रखे फ़िल्म अपनी कहानी को कहती नज़र आती है। शायद यही बात टीनू देसाई को अलग बनाती है।

पटकथा और संवाद की बात करें तो, दीपक किंगरणी की कहानी अपने उद्देश्य से नहीं भटकती है। दीपक अपने क्रिएटिव थॉट को दर्शक तक पहुँचाने में कामयाब रहें हैं। फ़िल्म की पटकथा को लिखा है विपुल के रावल ने और ये कहना पड़ेगा कि पटकथा कमाल की है। पूरी फिल्म आपको बाँधे रखती है। कुछ एक फ्रेम ऐसे भी हैं जिनको देख आंसू अपनी रास्ते ढूंढ लेती है। कोल माइन्स के अंदर का हर एक फ्रेम परिपक्व लगता है। कहानी, पटकथा और संवाद तीनों ही क्षेत्र में फ़िल्म सफल रही है।

Box Office Prediction :

ये फ़िल्म पैसा नहीं, प्यार कमाने आई है। Box Office Collection जो भी रहें, दर्शकों के आंखों से आंसू नहीं रुकने वाले। एक जरुरी फ़िल्म है, जो वक्त से लड़ना सिखाती है, धर्यता का परिचय देती है, संघर्ष की गाथा कहती है।

क्यों देखे ये फ़िल्म ?

एक ईमानदार योद्धा जिसने 65 कोल माइन्स वर्कर्स को मौत के सौदागर से बाहर निकाला, एक ज़ाबाज़ अधिकारी, एक रियल लाइफ हीरो की कहानी देखना चाहते हैं तो ये फ़िल्म आपके लिए है।

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