ख़तरनाक Action और जोरदार Dialogue से सजी है फ़िल्म Gadar 2 

ख़तरनाक Action और जोरदार Dialogue से सजी है फ़िल्म Gadar 2 

तुस्सी तारा सिंह को जानते नहीं…, दुश्मनों से पूछो तारा सिंह कौन है…, अपनी माँ के आंख में आंसू देखता हूं तो मन करता है संसार में आग लगा दूं…, कटोरा ले कर घूमोगे… भीख भी नहीं मिलेगी…, ऐसे कई जोरदार Dialogue, शक्तिमान तलवार की रोमांचित कर देने वाली कहानी, Anil Sharma का चित्ताकर्षक निर्देशन, शानदार Screenplay, तारा सिंह का ख़तरनाक एक्शन अवतार, Ameesha Patel की खूबसूरती, उत्कर्ष शर्मा का बढ़िया Screen Presence, मनीष वाधवा का ख़ौफ़नाक विलेन अवतार, बवाल Background Score, सिट्टी मार एक्शन, बंदूकों की आवाज़, बम – बारूद का खेल, हिंदुस्तान – पाकिस्तान के बीच मतभेद, हिंदुस्तान ज़िंदाबाद की गूंज, गीता – कुरान की पवित्रता, लाहौर की वादियां, हिंदुस्तानी की खूबसूरती, नजीब खान की मनोहर कैमरा वर्क, Udit Narayan की Melodius आवाज़, संगीतकार मिथुन की मनमोहक धुन और अंत में मानवतापूर्ण संदेश से सजी है फ़िल्म Gadar 2.

 

Special Mention :

 

एक Mass Entertainer Film, जो कुछ सालों से हिंदी सिनेमा से ग़ायब थी। Film देख कर Audience पागल है। दर्शक सिट्टी मार रही है, ताली बजा रही है, शर्ट खोल कर हवा में लहरा रही है। ऐसा नज़ारा सदियों में एक बार ही किसी फिल्म के लिए देखने मिलता है। फ़िल्म में हर वो स्वाद है जो आपने इससे पहले Gadar में देखा था। फर्क बस इतना सा है कि तब तारा सिंह ने Handpump उखाड़ा था और इस बार बिजली का पोल ही उखाड़ दिया है। तारा सिंह फ़िल्म की जान हैं, जितना बार भी पर्दे पर आते है दर्शक अपना जोश खो देते हैं और हिंदुस्तान ज़िंदाबाद हॉल में गूंज उठता हैं। फ़िल्म के Elements बवाल हैं… सिनेमा हॉल में नहीं देखना एक भूल होगी। Anil Sharma ने जो एक Atmosphere, एक Panorama Create किया है उसका मज़ा 70 mm के पर्दे पर ही आएगा।

 

Story Screenplay & Dialogue : 

 

फ़िल्म की कहानी को लिखा है शक्तिमान तलवार ने और ये मानना पड़ेगा कि कहानी दर्शकों को बांधे रखती है। कहानी में वो दम है जो एक मसाला फ़िल्म में होना चाहिए। कहानी शुरू होती है 1947 के बंटवारे से जहां देश में मातम से माहौल के बीच लोग अपने शरण की तलाश में भटक रहे हैं। इसी बीच पाकिस्तान में मेजर जनरल हामिद इक़बाल के किरदार में मनीष वाधवा एक भारतिय के सामने गीता और कुरान में से एक चुनने को कहते हैं। भारतीय व्यक्ति द्वारा गीता चुनने पर मेजर जनरल अपनी क्रूरता दिखाते हुए उसका सर कलम कर देते हैं। दूसरी तरफ तारा सिंह, सकीना अपने बेटे जीते के साथ खुशी से ज़िंदगी बसर कर रहे होते है। समय बीतता है और अचानक बॉर्डर पर हालात जब बिगड़ने लगते हैं तब लेफ्टिनेंट कर्नल देवेंद्र रावत मदद के लिए तारा सिंह को बुलाते हैं और तारा सिंह को सेना की मदद के लिए बॉर्डर पर भेज देते हैं। तारा सिंह अपने ज़ाबाज़ी से भारतिय सेना की मदद करते हुए पाकिस्तानी सिमा के नजदीक चले जाते हैं और भारतीय सेना के लाख कोशिशों के बावजूद भी नहीं मिल पाते। ये ख़बर सुन कर सकीना की हालत ख़राब हो जाती है। अपनी माँ को परेशान देख कर बेटा जीते पाकिस्तान जा कर वहाँ अपने पिता तारा सिंह को ढूंढने निकल जाता है। नकली पासपोर्ट बना कर वो पाकिस्तान में घुस तो जाता है लेकिन कोई पकड़ ना ले इसका डर उसे हमेशा बना रहता है। तारा सिंह को खोजने के लिए वो एक मुस्लिम परिवार में काम करने लगता है जहां उसकी मुलाकात मुस्कान (सिमरत कौर) से होती है। वक्त के साथ दोनो में प्यार हो जाता है और मुस्कान को जीते का सच पता चल जाता है, इसके बावजूद भी वो जीते की मदद करती है। एक रात तारा सिंह को ढूंढने जीते चोरी छिपे जेल के अंदर गुस तो जाता है लेकिन उसके बाद क्या होता है, इसका जवाब आपको सिनेमा हॉल के अंदर मिलेगा। तारा सिंह अचानक सेना की मदद करते कहा ग़ायब हो जाते हैं ? क्या जीते तारा सिंह को बचाया पाएगा ? क्या जीते पाकिस्तान से वापस भारत आ पाता है ? क्या तारा सिंह पाकिस्तान में है ? ऐसे कई सवालों का जवाब आपको फ़िल्म खत्म होते मिलता है।

 

फ़िल्म का Screenplay उतना ही शानदार है जितना फ़िल्म की कहानी। शुरू में ऐसा लगता है कि फ़िल्म को लम्बा खिंचा जा रहा है लेकिन धीरे धीरे कहानी अपनी रफ्तार पकड़ लेती है। कुछ sceen को काटने की गुंजाइश लगती है लेकिन दर्शक कहानी में इस कदर खो जाते हैं कि उसकी जरूरत नहीं लगती।

 

फ़िल्म में Dialogue जोरदार हैं। Gadar के पहले क़िस्त ने भी दर्शकों के बीच सनी देओल के फौलादी जिगर और आवाज़ के साथ Dialogue को जोरदार तरीके से पेश किया था। इस बार भी फ़िल्म ऐसा करने में कामयाब दिखती है। तारा सिंह की भारी – भरकम आवाज़ में हर एक Dialogue भौकाल जैसे लगते हैं और दर्शकों को ताली और सिट्टी बजाने पर मजबूर करते हैं। उत्कर्ष शर्मा के जिम्मे भी कुछ Dialogue हैं जिसे उन्होंने ने भी अच्छे अंदाज़ में पेश किया है।

 

Actor Performance :

 

फ़िल्म की आन – बान – शान और जान तारा सिंह का के किरदार पर शायद कुछ कहना ठीक नहीं होगा। 20 साल पहले जिस किरदार को देख दर्शक पागल हो गयी थी आज फिर उसे दोहरा पाना एक चुनौती वाला काम था जिसे सनी पाजी से बहुत ही आले दर्जे से निभाया है। उनका चलना, उनका हँसना, उनकी आवाज़, उनका एक्शन हर चीज मानो जैसे उनके लिए ही बना हो। सनी पाजी के किरदार पर निर्देशक ने बढ़िया मेहनत किया है। सकीना के किरदार में अमीषा पटेल तब में और अब में फर्क नज़र आता है। वो नूर, वो खूबसूरत, वो एक्टिंग कहि ग़ायब दिखी। जीते के किरदार में उत्कर्ष शर्मा ने शानदार काम किया है। एक्टर वो अच्छे हैं इसके कोई शक नहीं है। बशर्ते कि उनसे अच्छे से काम लिया जाए। एक्शन सिन करते उत्कर्ष बहुत एनर्जेटिक दिखते है। हालांकि उनकी पिछली और पहली फ़िल्म ‘जिनिस’ (निर्देशक – अनिल शर्मा) बॉक्स आफिस पर फ्लॉप साबित हुई थी। मुस्कान के किरदार में सिमरत कौर खूबसूरत दिखती हैं। उत्कर्ष शर्मा के साथ उनके जितने भी सिन फिल्माए गए हैं वो काफी खूबसूरत दिखते हैं। Dialogue के संदर्भ में सिमरत कौर के पास करने कोई कुछ ज्यादा नहीं था लेकिन वो अपने किरदार के साथ इंसाफ़ करने में सफल साबित हुईं हैं। मेजर जनरल हामिद इक़बाल के किरदार में मनीष वाधवा ने अपना काम खतरनाक किया है। एक नेगेटिव किरदार के लिए जो मूलभूत जरूरत होती है उसे वो दर्शकों तक पहुचाने में सफल हुए हैं। हालांकि अमरेश पूरी की कमी हर दर्शक को खली है। बाकी और भी बहुतेरों किरदार हैं जिन्होंने अपना काम बख़ूबी किया है।

 

Music & Background Score : 

 

फ़िल्म में संगीत मिथुन का है। एक सुलझे हुए संगीतकार के रूप में मिथुन की पहचान रही है। आशिक़ी 2, हाफ गर्लफ्रैंड, हेट स्टोरी 2, एक विलेन, कबीर सिंह, राधे श्याम जैसी फिल्मों में हिट गाने के पीछे मिथुन का धुन रहा है। एक बार फिर गदर में मिथुन ने अपने जबरदस्त संगीत से लोगों का दिल जीत है। गायक की बात करें तो तब की आवाज़ और अब की आवाज़ में अगर कुछ नहीं बदला है तो वो है उदित नारायण की Melody. फ़िल्म की शुरुआत में ही उदित नारायण की आवाज़ में दो गाने आपको मदहोश कर देगा। उदित नारायण की आवाज़ आपको फ़िल्म से भवनात्मक रूप से जोड़ देती है। फ़िल्म में Background Score Monty Sharma का है। एक एक्शन फिल्म में जिस टोन का म्यूजिक दर्शक को कहानी से जोड़े रखता है उसकी कमी को Monty Sharma ने पूरा किया है। इसके पहले Monty ने अनिल शर्मा की ही पिछली फिल्म ‘जिनिस’ में Background Score दिया है। वहां भी Monty के काम की तारीफ हुई थी। हालांकि फिल्म बॉक्स आफिस पर कामयाब नहीं हो पाई थी।

 

Direction & Technical Aspects

अनिल शर्मा का निर्देशन हिंदी सिनेमा के लिए एक लकीर रही है। उनकी हर फिल्म ने हिंदी सिनेमा को यादगार लम्हा दिया है। वीर, अपने, अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों, गदर, द हीरो, महाराजा, सिंह साहब द ग्रेट, हुकूमत जिसे कई सुपरहिट फिल्मों के निर्देशन में अनिल शर्मा ने अपना लोहा मनवाया है। इस फेरिस्त में गदर 2 भी अब शामिल होने जा रही है। एक्शन फिल्म का हर एक स्वाद इस फ़िल्म में अनिल शर्मा ने डाला है। अनिल शर्मा के डायरेक्शन स्टाइल का हर कोई दीवाना है। कहानी का सोल ज़िंदा रखते हुए जिस तरह से वो कहानी के अंदर जाते हैं और फिर स्टोरी को फोल्ड करते है ये सबके बस की बात नहीं। एक बाद फिर अनिल शर्मा ने अपने जबरदस्त निर्देशन से दर्शकों का दिल जीता है।

 

क्यों देखें ये फ़िल्म ?

मसाला फिल्मों के शौकीन हैं, एक्शन फिल्में देखना पसंद है, Sunny Deol को सालों बाद एक्शन अवतार में देखना चाहते हैं तो ये फ़िल्म आपके लिए है।

‘Gadar 2’ One Word Review : ख़तरनाक (A Complete 90’s era Film)

 

Review by : Abhinandan Dwivedi (Former RJ)

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