छपरा (कबीर की रिपोर्ट): छात्रों को अगर किसी बात की चिंता सताती है तो वो है उनका करियर. जब उसी के साथ खिलवाड़ हो तो ये कहाँ तक जायज है. जिस साल उनके हाथ में स्नातक की डिग्री होनी चाहिए थी. उस साल अब तक उन्हें प्रथम वर्ष के रिजल्ट को कौंन पूछे एडमिट कार्ड भी नही मिला है.
छात्र छात्राएं अपनी गलती ना होते हुए भी अपने किस्मत को कोसते नज़र आ रहे है. वही इससे अभिभावक भी परेशान है. जहाँ चार छात्र-छात्राएं खड़े होते है वहीँ अपने भविष्य को लेकर चर्चा शुरू हो जाती है.
हम बात कर रहे है सारण प्रमंडल के छात्रों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वाली जयप्रकाश विश्वविद्यालय की. जहाँ राजनीति, ट्रान्सफर, पोस्टिंग तो जरुर होती है पर शिक्षा नहीं होती है और ना ही समय पर परीक्षा. जिस उद्देश्य से विश्वविद्यालय की स्थापना हुयी उसी जयप्रकाश विश्वविद्यालय से आज शैक्षणिक व्यवस्था नदारद है. छात्र अपने भविष्य के लिए लगातार चिंतित है और उनकी सुनने वाला कोई नहीं.
छात्र टकटकी लगाकर देख रहे कि आख़िर परीक्षा की तिथि कब घोषित होगी. वर्ष 2017 चल रहा है और सत्र 2014-15. स्नातक के छात्रों का प्रथम खंड की परीक्षा भी अब तक नही हुयी.
सबसे बड़ा सवाल है कि इन छात्रों के बर्बाद 3 वर्षो की भरपाई कैसे होगी ? इसका जिम्मेवार कौन है? इन छात्रों के स्वर्णिम भविष्य को वापस कौन लौटाएगा ?
अब देखने वाली बात यह है कि विश्वविद्यालय प्रशासन की गहरी नींद कब टूटेगी ? छात्रों की चिंता उन्हें कब तक होती है.
हालांकि कुलपति प्रो.हरिकेश सिंह ने पदभार ग्रहण करने के बाद लंबित परीक्षाओं को आयोजित कराने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताई है और कुछ परीक्षाएं हुई भी है पर स्नातक पार्ट वन की परीक्षा को लेकर अबतक कोई सार्थक कदम नही उठाया जा सका है.