छपरा: भोजपुरी और दर्शनशास्त्र से पीजी करने के इच्छुक छात्रों के लिए अच्छी खबर नही है. भोजपुरी क्षेत्र में स्थापित जयप्रकाश विश्वविद्यालय में अब भोजपुरी और दर्शनशास्त्र की पढ़ाई नहीं होगी.
विश्वविद्यालय के कुलपति के द्वारा गठित नामांकन समिति के फैसले के बाद ऐसा कदम उठाया गया है. भोजपुरी क्षेत्र में स्थापित विश्वविद्यालय के इस निर्णय से भोजपुरी की पढाई करने की इच्छा रखने वाले विद्यार्थियों की परेशानियां बढ़ गयी है. इसके साथ ही उन विद्यार्थियों की भी परेशानी बढ़ गयी है जिन्होंने पीजी भोजपुरी और दर्शनशास्त्र प्रथम सेमेस्टर में नामांकन के लिए आवेदन किया है. छात्रों का कहना है कि ऐसे निर्णय से विश्वविद्यालय उनके करियर से खिलवाड़ कर रहा है.
इस आदेश के बाद जयप्रकाश विश्वविद्यालय से जुड़े कई छात्र संगठनों ने अपनी नाराजगी व्यक्त की है. छात्र संगठन आरएसए ने एक बैठक कर इस निर्णय को गलत बताते हुए आन्दोलन की चेतावनी दी है. साथ ही कहा है कि जब चांसलर ने कुलपति के नीतिगत निर्णयों पर रोक लगा दी है तो फिर विभाग बंद करने का निर्णय कैसे ले सकते है.
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के छात्र नेताओं ने भी विश्वविद्यालय के इस फैसले को तानाशाही बताते हुए आन्दोलन की बात कही है.
बहरहाल विश्वविद्यालय के इस फैसले से भोजपुरी पढ़ने की इच्छा रखने वाले और इस भाषा के उत्थान में लगे लोगों को तकलीफ हुई है.