(कबीर अहमद) दिन-प्रतिदिन युवाओं पर चढ़ रहे Selfie के खुमार को दरकिनार नही किया जा सकता है. सेल्फी का शौक और उसका क्रेज़ युवाओं के सर चढ़कर बोल रहा है. सेल्फी के लिए युवा कुछ भी कर गुजरने को तैयार हो जा रहे है. आये दिन बढ़ रही सेल्फी की वजह से दुर्घटनाये कहीं न कहीं मौज-मस्ती की चाह और कुछ नया कर गुजरने की ख्वाहिश रखने वाले युवा के लिए चिंता का सबब है. लेकिन ज्यादातर युवा इसे नज़रअंदाज़ करते है और हम इसका भयावह स्वरूप देखते है.
सेल्फी स्मार्टफ़ोन की देन है. जिसमे फ़ोन के सामने लगे कैमरे इसमें अहम भूमिका निभाते है. अगर आपके पास समार्टफ़ोन है तभी आप सेल्फी ले सकते है. पिछले दिनों आये सेल्फी स्टिक ने इसकी दीवानगी और बढ़ा दी है. खतरनाक तरीके से सेल्फी लेना और उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट कर उसके कितने लाईक मिले और किसने क्या कमेंट किया, ये सब कहीं न कहीं सेल्फी लेते वक्त युवाओं के जेहन में होता है. सोशल मीडिया के इस दौर में सेल्फी के जूनून में युवाओं को सोचने की जरुरत है कि कही सेल्फी ज़िन्दगी पर भारी न पड़ जाये.
ज्यादातर देखा तो यह जाता है कि पिकनिक स्पॉट, समंदर की लहरों, ऊंची चट्टानों, नदी की जलधारा युवाओं को सेल्फी लेने के लिए आकर्षित करती है और यही दीवानगी जानलेवा साबित हो जाती है. खतरनाक जगहों पर युवा और भी खतरनाक स्थिति में सेल्फी लेने के लिए उतावले हो जाते हैं,ऐसी स्थिति में सेल्फी की चाहत दुर्घटना को निमंत्रण देती है और कभी-कभी मौत का कारण भी बन जाती है.
सबसे ज्यादा सेल्फी लेने के चक्कर से भारत में मौतें होती है. इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए पिछले साल नासिक कुंभ मेले के दौरान कुछ जगहों पर ‘नो सेल्फी जोन्स’ भी बनाए गए थे.