अंतरराष्ट्रीय योग दिवस विशेष: मस्तिष्क और मन को निरोग रखता है योग

प्रभुनाथ शुक्ल

योग हमारा आध्यात्मिक और वैज्ञानिक ज्ञान है। योग की सार्थकता को दुनिया के कई धर्मों ने स्वीकार किया है। योग सिर्फ व्यायाम का नाम नहीं है बल्कि मन, मस्तिष्क, शारीरिक और विकारों को नियंत्रित करने का माध्यम भी है। जब समाज अच्छा होगा तो देश की प्रगति में हमारा अहम योगदान होगा। आज पूरी दुनिया योग और प्राणायाम की तरफ बढ़ रही है। योग भारत के लिए आने वाले दिनों में बड़ा बाजार साबित हो सकता है। विश्व के लगभग 200 से अधिक देश भारत की इस गौरवशाली वैदिक परंपरा का अनुसरण कर रहे हैं। योग को अब वैश्विक मान्यता मिल गई है। कोरोना संक्रमण काल में भी योग हमारे लिए संजीवनी साबित हो रहा है। हम योग को अपना कर इस महामारी में भी अपने स्वस्थ रख सकते हैं। भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है-‘योगः कर्मसु कौशलम’ यानी हमारे कर्मों में सर्वश्रेष्ठ योग है। योग यज्ञ है और यज्ञ कर्म है। योग जीवात्मा और परमेश्वर के मिलन का साधन मात्र ही नहीं बल्कि ईश साधना का भी साध्य भी है। योगेश्वर भगवान कृष्ण ने योग को सर्वोपरि बताया है। उन्होंने कहा है कि ‘योगस्थः कुरु कर्माणि’ इसका तात्पर्य है कि योग में स्थिर होकर ही सद्चित कर्म संभव है। गीता का छठवां अध्याय योग को समर्पित है।

भारत में योग की परंपरा 5000 हजार साल पुरानी है। 11 दिसम्बर, 2014 को इसका प्रस्ताव भारत ने संयुक्त राष्ट्र में दिया था। अमेरिका और यूरोप समेत दुनिया के 177 देशों ने भारत के पक्ष में वोट किया था, जिसके बाद भारत दुनिया का विश्वगुरु बन गया। संयुक्त राष्ट्र संघ ने 90 दिनों के भीतर पीएम मोदी के प्रस्ताव को मंजूर किया। हम योग के 21 आसनों को अपनाकर अपनी जिंदगी को सुखी, शांत और निरोगी बनाकर खुशहाल जीवन जी सकते हैं। जब हम तन और मन से स्वस्थ रहेंगे तो राष्ट्र निर्माण और उसके विकास में अपनी अहम भूमिका निभा सकते हैं। योगगुरु बाबा रामदेव योग को वैश्विक मान्यता मिलने पर इसे भारत की जीत बताया था। दुनिया योग को अपने जीवन की दिनचर्या बना लिया है। योग संपूर्ण जीवन और चिकित्सा पद्धिति बन गया है। दुनिया में शांति युद्ध से नहीं योग से आएगी। भारत के साथ दुनिया में 20 करोड़ से अधिक लोग योग साधना का लाभ उठा रहे हैं। आधुनिक युग की व्यस्त दिनचर्या में योग हमारे लिए अमृत है। अपनी जिंदगी को खुशहाल और डिप्रेशन मुक्त बनाने के लिए योग हमें खुला आकाश देता है। हम धर्म, जाति, भाषा, संप्रदाय के साथ बंधकर स्वयं के साथ देश का अहित करेंगे।

योग शास्त्र का इतिहास गौरवशाली उपलब्धि से अटा पड़ा है। हमारे यहां लययोग, राजयोग का भी वर्णन है। योगशास्त्र का इतिहास गौरवशाली उपलब्धि से अटा पड़ा है। हमारे यहां लययोग, राजयोग का भी वर्णन है। चित्त की निरुद्ध अवस्था लययोग में आती है। राजयोग सभी योगों से श्रेष्ठ बताया गया है। महर्षि पतंजलि की योग परंपरा भारत में अधिक समृद्धशाली है। योगगुरु बाबा रामदेव आज पतंजलि योग व्यवस्था के संवाहक बने हैं। दुनिया भर में योग की महत्व स्थापित करने में पतंजलि योग संस्थान ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है।योग और आयुर्वेद को उन्होंने वैश्विक स्वीकारोक्ति बना दिया है। पतंजलि योग साधना के आठ आयाम हैं। जिसमें यम, नियम, आसन, प्रणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि है। योग का संबंध सिंधु घाटी सभ्यता से भी है। प्राचीन काल की कई मूर्तियां योग मुद्रा में स्थापित हैं।

भगवान शिव को योग मुद्रा में देखा जा सकता है। बुद्ध की मूर्तियां भी योग साधना में स्थापित हैं। बौद्ध और जैनधर्म में भी योग की महत्ता पर काफी कुछ है। बौद्ध और धर्म के अलावा ईसाई और इस्लाम में सूफी संगीत परंपरा में भी योग की बात आई हैं। भारत की योग व्यस्था को पटल पर लाने में योग गुरु बाबा रामदेव और बीकेएस अंयगर के योगदान को नहीं भूलाया जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल से संयुक्तराष्ट्र संघ ने भी योग के महत्व को स्वीकार किया है। प्रधानमंत्री मोदी योग को लेकर स्वयं बेहद जागरूक है। वह योग करते हुए अपने कई वीडियो सोशल मीडिया पर साझा करते रहते हैं। फिट इंडिया, हिट इंडिया उनका मूलमंत्र है। इसके साथ वह लोगों से अपील करते हैं कि आप योग के जरिए अपने मन, मस्तिष्क और शरीर को स्वस्थ रखें, जिससे आपका सहयोग देश के विकास में अच्छे तरीके से हो। विज्ञान और विकास के बढ़ते कदम तनाव की जिंदगी दे रहा है। जिंदगी की गति अधिक तेज हो चली है। लोगों के जीने का नजरिया बदल रहा है। काम का अधिक दबाव बढ़ रहा है इससे हाईपर टेंशन, और दूसरी बीमारियां फैल रही हैं। तनाव का सबसे बेहतर इलाज योग विज्ञान में हैं, वहीं लोगों में सुंदर दिखने की बढ़ती ललक भी योग और आयुर्वेद विज्ञान को नया आयाम देगी। यह पूरे भारत के लिए गर्व का विषय है। आम आदमी के जिंदगी में तनाव तेजी से बढ़ रहा है।

पूरी जिंदगी असंयमित हो गई है, जिसकी वजह से परिवार में तनाव और झगड़े होते हैं। लोगों के पास आज पैसा है लेकिन शांति नहीं है, जिसकी वजह से परिवार में संतुलन गायब है। लोग खुद से संतुष्ट नहीं है। इस स्थिति से निकालने के लिए योग सबसे बेहतर उपाय हो सकता है। इसलिए भागदौड़ की जिदंगी को अगर संयमित और संतुलित करना है तो मन को स्थिर रखना होगा। जब तक हमें मानसिक शांति नहीं मिलेगी तब तक हम जीवन के विकारों से मुक्त नहीं हो सकते हैं। उस स्थिति में योग ही सबसे सरल और सुविधा युक्त माध्यम हमारे पास उपलब्ध है। हमारी हजारों साल की वैदिक परंपरा को वैश्विक मंच मिला है। योग का प्रयोग अब दुनिया भर में चिकित्सा विज्ञान के रूप में भी होने लगा है, उसे स्थिति हमें अपने जीवन के साथ जीने का नजरिया भी बदलना होगा। योग से संबंधित यूनिवर्सिटी, शोध संस्थान, आयुर्वेद मेडिसिन उद्योग नई उम्मीदें और आशाएं लेकर आएगा। भारत और दुनिया भर में योग के लिए संस्थान स्थापित हुए हैं। योग को पर्यटन उद्योग के रूप में विकसित किया जा सकता है। योग स्वस्थ दुनिया की तरफ बढ़ता कदम है।

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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