मजदूर दिवस विशेष: देश की तरक्की में अहम योगदान देने वाले मजदूरों का ‘दिवस’

मजदूर दिवस विशेष: देश की तरक्की में अहम योगदान देने वाले मजदूरों का ‘दिवस’

{सुरभित दत्त सिन्हा} मजदूरों को सम्मान और उन्हें वाजिब हक दिलाने लिए प्रत्येक वर्ष पूरे विश्व में 1 मई को ‘मजदूर दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. ‘मजदूर दिवस’ के दिन सार्वजानिक अवकाश रहता है. नेता, अधिकारी, कर्मचारी सभी छुट्टी मनाते है. बस, एक वही है जो आज भी काम पर जाता है, मजदूरी करता है, कमाता है, बच्चो को खिलाता है, वह है ‘मजदूर’.

मजदूर को ‘मजदूर दिवस’ से क्या लेना देना अगर वह आज अन्य के जैसे छुट्टी मनाये तो शाम में बच्चे भूख से बिलख पड़ेंगे. दिन भर कमरतोड़ मेहनत और फिर पैसा लेकर घर पहुँचाना ताकि घर में चूल्हा जल सके. अगर वह छुट्टी मनाने लगे तो बच्चे भूखे मर जायेंगे. परिवार के पालन पोषण के लिए ये गर्मी देखते हैं सर्दी. चाहे कोई भी मौसम हो मजदूर अपना काम नियमित करते रहते हैं. दो जून की रोजी रोटी कमाने के लिए ये हाड़ तोड़ मजदूरी करते हैं तब जाकर इन्हें शाम को रोटी नसीब होती है.

दुनिया के कई देश 1 मई को मजदूर दिवस मनाते हैं. भारत में पहली बार 1 मई 1923 को हिंदुस्तान किसान पार्टी ने मद्रास में मजदूर दिवस मनाया था. 1 मई को 80 से ज्यादा देशों में राष्ट्रीय छुट्टी होती है.

मजदूर दिवस की शुरुआत कनाडा में 1972 में हुई. यह मजदूरों के अधिकारों की मांग के लिए शुरू किया गया था. मजदूर दिवस को उत्सव के रूप में पहली बार अमेरिका में 5 सितंबर 1882 को मनाया गया. दुनिया के कई देशों में मजदूर दिवस ‘मई डे’ के रूप में मनाया जाता है. इसकी शुरुआत शिकागो से हुई थी. मजदूरों ने वहां मांग की कि वे सिर्फ 8 घंटे काम करेंगे. इसके लिए उन्होंने कैंपेन चलाया, हड़ताल और प्रदर्शन भी किया.

भारत में सरकार ने मजदूरों के कल्याणार्थ कई योजनाएं चला रखी है. पर शायद उनका सही लाभ मजदूरों तक नहीं पहुँच रहा है. मजदूर काम की तलाश में लगातार एक जगह से दुसरे जगह पलायन कर रहे है. काम की तलाश उन्हें अपने घर से हजारों किलोमीटर दूर जाने को विवश कर रही है.

मजदूर दिवस पर प्रत्येक वर्ष मजदूरों के हक़ की बड़ी बड़ी बातें होती है पर इसके बाद कुछ विशेष नहीं होता. केंद्र और राज्य सरकारों को इस पर ध्यान देने की जरुरत है.

फोटो साभार: मनोरंजन पाठक

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