श्री राम एक ऐसा नाम हैं जिसने हर व्यक्ति को असीम शांन्ति प्रदान की है. राम नाम से श्रेष्ठ रसायन पूरे विश्व में कहीं उपलब्ध नहीं है. राम का जन्म ही समाज को नई दिशा प्रदान करने के लिए हुआ था.राम ने जो उद्धाहरण हमारे समाज के समक्ष प्रस्तुत किया उसकी बराबरी कर पाना किसी भी पुरुष के लिए संभव नहीं है. यही कारण है कि राम को पुरुषोत्तम की संज्ञा दी गई है.
माता-पिता की आज्ञा,पत्नी के सम्मान की रक्षा और मित्र के अधिकार के लिए युद्ध, हर समय श्री राम ने अपनी उत्तम सोंच और निश्चल व्यवहार का एक अनोखा उद्धाहरण प्रस्तुत किया है. राम ने संघर्ष के रास्ते पर चलकर सफलता की जो नींव रखी वो आज भी हमारे वर्तमान के लिए एक मजबूत आधार है.
इतिहास के कई कालखंडों में श्रीराम के द्वारा स्थापित आदर्श एवं उनके विचारों की नींव को गिराने की कोशिश की गई, पर राम ने आदर्श समाज की जो परिकल्पना की थी उसके अस्तित्व को गिराना तो दूर हिलाना भी संभव नहीं हो सका.
श्रीराम ने सदैव कठिन मार्गों का चयन किया और अपनी वास्तविकता को कभी खंडित नहीं होने दिया. अनवरत कठिनाइयों को झेलकर लोगों के ह्रदय में अपने प्रति सम्मान और प्रेम का भाव स्थापित करना सिर्फ राम के लिए ही संभव था.
आज का प्रगतिशील समाज तरक्की तो चाहता है पर उसकी कीमत चुकाने से घबराता है. आज हर व्यक्ति प्रतिष्ठित तो होना चाहता है पर प्रतिष्ठा के लिए जंग नहीं लड़ना चाहता. श्रीराम रूपी व्यक्तित्व पाने के लिए त्याग और समर्पण का भाव होना चाहिए.
कुछ लोगों ने तो श्रीराम के अस्तित्व पर भी प्रहार करने की कोशिश की है, पर ऐसे लोगों को अपने इतिहास में झांकने की जरूरत है. इतिहास सिर्फ एक ही जवाब देगा कि राम को सम्मान देना स्वयं को सम्मान देने जैसा होता है. “राम तो विराम हैं, इनके आगे कुछ भी नहीं”
राम नवमी के पावन अवसर पर पुरुषोत्तम राम को प्रणाम…’जय श्री राम’….
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