संपूर्ण क्रांति के प्रणेता लोकनायक जय प्रकाश नारायण की आज 114वीं जयंती है. जयप्रकाश नारायण जिन्होंने अपने अटल इरादे और कुशल नेतृत्व से ‘संपूर्ण क्रांति’ का आगाज किया. उनके आहवान पर युवाओं के साथ साथ देश की जनता जाएगी और सत्ता पर आसीन सरकार को यह अहसास कराया की लोकतंत्र में जनता ही असली शासक होती है.
लोकनायक ने देश को एक नयी दिशा दिखाई. उन्होंने बगैर किसी राजनितिक दल में शामिल हुए देश में नयी क्रांति को जन्म दिया. रजनीति को एक नयी दिशा दिखाई.
आज जब हम उनकी जयंती मना रहे है, ऐसे में उनके आदर्शों को आज के राजनेताओं को भी अपनाने की जरुरत है. अपने को जेपी का अनुयायी या यूँ कहे कि शिष्य कहने वाले आज सत्ता पर तो जरूर आसीन है पर उनके विचारों को आत्मसात करने की जगह से शायद भटक चुके है. सत्ता पर आसीन लोग अपनी राजनीति को चमकाने के लिए जेपी का नाम तो जरूर लेते है पर उनके आदर्शों को भूल गए है. ऐसे में जरुरत है कि हम और आप मिलकर जयप्रकाश के सपने के भारत को साकार करने की दिशा में पहल करें.
जयप्रकाश की संपूर्ण क्रांति केवल सत्ता परिवर्तन के लिए नहीं बल्कि भ्रष्टाचार, गरीबी के खिलाफ थी. लोकनायक नें कहा कि सम्पूर्ण क्रांति में सात क्रांतियाँ शामिल है-राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक व आध्यात्मिक क्रांति. इन सातों क्रांतियों को मिलाकर सम्पूर्ण क्रान्ति होती है.
जीवन परिचय
जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्तूबर, 1902 ई. को बिहार के सारण जिले के सिताबदियारा में हुआ था. उनके पिता का नाम ‘देवकी बाबू’ और माता का नाम ‘फूलरानी देवी’ था. 1920 में जयप्रकाश का विवाह ‘प्रभा’ नामक लड़की से हुआ. पटना मे अपने विद्यार्थी जीवन में जयप्रकाश नारायण ने स्वतंत्रता संग्राम मे हिस्सा लिया. उन्हें 1970 में इंदिरा गांधी के विरुद्ध विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है. इन्दिरा गांधी को पदच्युत करने के लिये उन्होने ‘सम्पूर्ण क्रांति’ नामक आन्दोलन चलाया. वे समाज-सेवक थे, जिन्हें ‘लोकनायक’ के नाम से भी जाना जाता है. 1999 में उन्हें मरणोपरान्त भारत रत्न से सम्मानित किया गया.