Chhapra: मुहर्रम का चांद दिखते ही इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक नया साल शुरू हो गया. मुहर्रम शुरू होते ही मातम और मजलिसों का दौर भी शुरू हो गया. मरहूम बाबर साहब के इमामबाड़े में मुहर्रम की पहली मजलिस के साथ मजलिस का आगाज़ हुआ. जिसमे जनाब अकबर अली ने नौहा पड़ा, परेज नकवी ने सलाम पड़ा, तमाम मेम्बरान ने मातम किया और करबला के शहीदों को याद किया.
बताते चलें कि नया साल शुरू होने पर मुस्लिम समुदाय के लोग खुशी मनाने के बजाय इमाम हुसैन की याद में गम में डूब जाते हैं. पुरुष, महिला व बच्चे काले कपड़ों पहनते है, महिलाएं चूड़ी तोड़ देती हैं. मातम और मजलिस के जरिए गम मनाया जाता है.