छपरा: शहर में नगरपालिका की सफाई व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है. इसे नगर परिषद की लापरवाही कहें या फिर मनमानी कि शहर के कई स्थानों पर डस्टबिन के नही रहने से सड़क पर ही कचड़े फेंके जाते है. कुछ स्थानों पर डस्टबीन तो लगाये गए हैं पर इन्हें जिस लापरवाही के साथ आराम फरमाने के लिए छोड़ दिया गया है उससे नगर परिषद की व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा होता है.
यह डस्टबिन बेपरवाह तरीके से सड़कों की किनारे लावारिस हालात में फेंक दिए गये है वो भी ऐसी जगह जहाँ न कोई कचड़ा फेकने वाला है और न ही कोई उठाने वाले. लेकिन आलम ये है कि अनावश्यक ही यहाँ चार-चार डस्ट बीन रख जरुर दिए गये है.
शहर में कई ऐसे स्थान हैं जैसे नगरपालिका चौक, साहेबगंज चौक, गुदरी चौक, मौना चौक, गाँधी चौक जहां एक या दो से अधिक डस्टबिन की आवश्यकता है. लेकिन ऐसे घनी आबादी वाले मुहल्लों में एक ही डस्टबिन रखी गयी है जिसकी नियमित सफाई भी नहीं है. ऐसी स्थिति में डस्टबिन जल्द ही भर जाता है और लोग सड़क पर ही कचड़ा फेंकने को मजबूर दिखते हैं. नगर परिषद के इस लापरवाह रवैये से ना तो शहर की समुचित सफाई हो पाती है और ना ही यह डस्ट बीन अपने उद्देश्य के प्रति कारगर साबित हो पाता है.
नगरपरिषद की लापरवाही का नमूना शहर के राजेंद्र स्टेडियम के पीछे एकसाथ लावारिस पड़े 5 डस्टबिन को देखने से मिल रहा है. यहाँ न तो कोई रिहायशी इलाका है और न हीं इसे देखने से ऐसा लगता है कि नगर परिषद के कर्मचारी कभी भी इस इलाके में कचड़ा उठाने आते होंगे. इन डब्बों में से कुछ डब्बे तो औंधे मुंह पड़े पड़े हुए है.
स्वच्छ और सुन्दर छपरा के उद्देश्य की पूर्ति हेतु यह डस्टबिन खरीदा गया था. लेकिन यह निर्णय सिर्फ स्वयं स्वार्थ की पूर्ति साबित हो रही है जनता के पैसों की बर्बादी यहाँ साफ़ दिखती है. आवश्यकता के अनुसार अगर यह डस्टबिन जरूरत के जगह पर रखे जाते तो शायद इसका सदुपयोग हो पाता. साथ ही साथ स्वच्छ छपरा के अभियान में सफलता भी मिलती.