सारण जिले के प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों ने काला बिल्ला लगाकर किया प्रदर्शन

सारण जिले के प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों ने काला बिल्ला लगाकर किया प्रदर्शन

Chhapra: प्रोग्रेसिव प्राइवेट स्कूल ऑर्गेनाइजेशन एंड किड्स वेलफेयर ट्रस्ट सारण के तत्वाधान में आज पूरे जिले के प्राइवेट स्कूलों के निदेशकों, संचालकों, प्राध्यापकों और शिक्षकों ने काला बिल्ला लगाकर प्रदर्शन किया. शिक्षकों की नाराजगी इस बात को लेकर है कि सरकार परिवहन से लेकर सरकारी कार्यालयों को संचालन कर रही है । साथ ही साथ सरकारी विद्यालयों का संचालन करा है. लेकिन प्राइवेट स्कूलों को नहीं खोलने दे रही है. इससे प्राइवेट स्कूलों में काम करने वाले शिक्षक और उनके कर्मी भुखमरी के कगार पर पहुंच चुके हैं. कई शिक्षकों ने तो आत्महत्या तक कर ली है.

संगठन के अध्यक्ष सियाराम सिंह, महासचिव जमाल हैदर, उपाध्यक्ष संजय कुमार, दीनदयाल यादव, सुलेखा पांडेय, सरफ़राज़ अहमद समेत अन्य ने सरकार से अभिलंब प्राइवेट स्कूलों को खोलने की मांग की है. कम से कम सप्ताह में हर दिन एक कक्षा के संचालन की अनुमति मांगी है. अध्यक्ष ने सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि आज केवल सारण जिले में 16 हजार से अधिक प्राइवेट शिक्षक भुखमरी के कगार पर पहुंच चुके हैं. उनके बच्चों का पढ़ाई बाधित है. उनका भोजन बाधित है. साथ ही साथ वे अपने परिवार के बीमार माता-पिता और बच्चों को भी इलाज नहीं करा पा रहे हैं.

महासचिव जमाल हैदर ने कहा कि यदि सरकार अविलंब निर्णय नहीं लेती है तो संगठन आक्रामक रुख अख्तियार करेगा. वहीं उपाध्यक्ष संजय कुमार ने कहा कि सरकार प्राइवेट स्कूलों में हमेशा के लिए ताला लगाने का मन बना चुकी है और लाखों लोगों के पेट पर लात मारने का काम करने का प्रयास कर रही है. संगठन यह बर्दाश्त नहीं करेगा और पूरे राज्य में संगठन का विस्तार करते हुए इस आंदोलन को उग्र रूप देगा. जिले के मढौरा, इसुआपुर, गरखा रिविलगंज, नगरा, छपरा सदर, छपरा नगर, जलालपुर, बनियापुर, लहलादपुर, पानापुर, सोनपुर, मकेर समेत अन्य प्रखंडों में हजारों के शिक्षकों ने अपने स्कूल परिसर में ही काला बिल्ला लगाकर प्रदर्शन किया.

इस आंदोलन के बाद संगठन ने निर्णय लिया है कि अब जिला मुख्यालयों से प्रखंड मुख्यालय में धरना प्रदर्शन का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. आर पार की लड़ाई सरकार से लड़ी जाएगी. अध्यक्ष सियाराम सिंह ने कहा कि प्राइवेट स्कूलों को ना तो किसी प्रकार का क्षतिपूर्ति अनुदान दिया गया है और ना ही किसी तरह का पैकेज. ऐसे में प्राइवेट स्कूल में काम करने वाले शिक्षक व कर्मी कहां जाए. उन्होंने नीतीश सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि चुनाव में सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा.

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