Chhapra: हर वर्ष लगने वाले जल जमाव के अतिरिक्त बाढ़ जैसी आपदा से निपटने में नमामि गंगे के तहत आने वाली परियोजनाएँ सारण के लिए वरदान साबित होंगी. सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) योजना से गंगा का प्रदूषण तो घटेगा ही, शहर भी साफ-सुथरा होगा और किसानों को उनके खेतों की सिंचाई के लिए पानी भी उपलब्ध होगा. उक्त बातें सारण लोकसभा क्षेत्र के सांसद सह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव प्रताप रुडी ने कही.
नमामि गंगे योजना के तहत सांसद श्री रुडी ने बुडकों के आनन्द कुमार, संवेदक एजेंसी के प्रतिनिधियों व अन्य अधिकारियों के साथ सारण के लिए STP और I&D योजना की एक विशेष बैठक की जिसका कार्य शीघ्र शुरू होगा. बैठक के दौरान श्री रुडी ने संवेदक और कार्य एजेंसी को त्वरित कार्य संपादन का निर्देश दिया.
विदित हो कि सांसद के प्रयास से राष्ट्रीय महत्व के नमामि गंगे परियोजना में सारण को भी शामिल किया गया था. इन्हीं योजनाओं में एक छपरा शहर में नमामि गंगे योजना के तहत शहर के सभी मुख्य नालों को कवर करते हुए 236 करोड़ की लागत से 32 MLD का STP (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) की योजना भी शामिल है.
सांसद श्री रुडी ने बैठक के दौरान संवेदक और कार्य करने वाली एजेंसी को निर्देश दिया कि यह जनहित का मामला है इसलिए इस कार्य का संपादन शीघ्र होना चाहिए और कार्य की गुणवत्ता भी बरकरार रहनी चाहिए. सांसद ने बताया कि योजना मे यह भी प्रावधान किया गया है कि इसको पूरा करने वाली एजेंसी ही को 15 वर्षों तक इसके रख-रखाव के लिए जिम्मेदार होगी. उन्होंने बताया कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में गंदे पानी और घर में प्रयोग किये गये जल के दूषणकारी अवयवों को विशेष विधि से साफ कर दुबारा प्रयोग में लाने लायक बनाया जायेगा.
मालूम हो कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में गंदे पानी और घर में प्रयोग किये गये जल के दूषणकारी अवयवों को विशेष विधि से साफ किया जाता है. इसको साफ करने के लिए भौतिक, रासायनिक और जैविक विधि का प्रयोग किया जाता है. इसके माध्यम से दूषित पानी को दोबारा प्रयोग में लाने लायक बनाया जाता है.
प्लांट में गंदे पानी से पहले, ठोस पदार्थ को अलग किया जाता है, फिर जैविक पदार्थ को एक ठोस समूह एवं वातावरण के अनुकूल बनाकर इसका प्रयोग खाद एवं लाभदायक उर्वरक के रूप में किया जाता है. इसके बाद उस पानी को प्रयोग में लाया जाता है. इसके निर्माण से छपरा शहर को जल जमाव से मुक्ति में विशेष मदद मिलेगी और वह क्षेत्र जल जमाव से हमेशा के लिए मुक्त हो जायेगा. साथ ही कुछ इलाकों को नदी में आई बाढ़ का खतरा भी रहता था, उससे भी निजात मिले.