क्रांतिकारियों के जन्म स्थान को क्रांतितीर्थ के तौर पर विकसित करने की आश्यकता: आशुतोष भटनागर

क्रांतिकारियों के जन्म स्थान को क्रांतितीर्थ के तौर पर विकसित करने की आश्यकता: आशुतोष भटनागर

पटना: स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम एवं अल्पज्ञात सेनानियों की वीरगाथा को आम जनता के सामने लाने और उन्हें श्रद्धांजलि देने के उद्देश्य से देश भर में आयोजित किए जा रहे क्रान्तितीर्थ समारोह की कड़ी में रविवार को बिहार की राजधानी पटना में क्रांतितीर्थ समारोह का आयोजन किया गया।

पटना स्थित चंद्रगुप्त प्रबंध संस्थान में आयोजित राज्य स्तरीय क्रांतितीर्थ कार्यक्रम के समापन समारोह का उद्घाटन पूर्व राज्यपाल गंगा प्रसाद ने किया।

अपने उद्बोधन में पूर्व राज्यपाल गंगा प्रसाद ने बिहार के क्रांतिकारियों के योगदान को नमन करते हुए उनकी भूमिका के महत्व को सामने रखा। कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र के निदेशक आशुतोष भटनागर ने अनाम क्रांतिकारियों को नमन करते हुए उनकी भूमिका को देश की युवा शक्ति के सामने प्रस्तुत किया। उन्होंने भारत के सम्पूर्ण स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों द्वारा स्वाधीनता के संघर्षकाल के बारे में बताया। उन्होंने भारत के आध्यात्मिक गुरुओं द्वारा स्वतंत्रता सेनानियों के सहयोग से स्वाधीनता की लड़ाई में उनके योगदान की जानकारी देते हुए कहा कि जहां-जहां क्रांतिकारियों ने जन्म लिया, आज उसे क्रांतितीर्थ के तौर पर विकसित करने की आश्यकता है।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि एवं चंद्रगुप्त प्रबंध संस्थान के निदेशक राणा सिंह ने स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख केंद्र बिहार की भूमिका के बारे में बताया, जबकि वरिष्ठ कलाकार एवं पद्मश्री श्याम शर्मा ने भारत की अस्मिता को बचाने के लिए अपना बलिदान देने वाले अनाम स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में जानने पर बल दिया।

कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं पटना उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र प्रसाद ने संस्कारों पर बल देते हुए नैतिक मूल्यों की जरूरत पर ध्यान देने पर जोर दिया। कार्यक्रम का आयोजन संस्कार भारती, बिहार प्रदेश एवं इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल एंड कल्चरल स्टडीज के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। बिहार में लगभग 40 दिनों तक चले इस ”क्रांतितीर्थ” कार्यक्रम में चित्रकला, गायन, भाषण, काव्य पाठ वर्ग में 34 जिलों के 471 विद्यालयों और 22 हजार से अधिक विद्यार्थियों ने बिहार की प्रमुख पांच लोकभाषाओं में सहभागिता की। इस दौरान 30 जिलों में नुक्कड़ नाटक और 50 से अधिक स्वंतत्रता सेनानियों के परिजनों का सम्मान किया गया। इस पूरे अभियान के दौरान प्रदेश भर में 400 से अधिक गोष्ठियों द्वारा स्वतंत्रता आंदोलन में बिहार एवं गुमनाम वीरों के बारे में लोगों के बीच उनके परिचय को आगे बढ़ाया।

पटना में आयोजित कार्यक्रम में स्वागत समिति के अध्यक्ष व पद्मश्री से सम्मानित वरिष्ठ चित्रकार श्याम शर्मा, आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं प्रसिद्ध लोक गायक भरत शर्मा व्यास, इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल एंड कल्चरल स्टडीज (कोलकाता) के निदेशक अरिंदम मुखर्जी, चंद्रगुप्त प्रबंध संस्थान के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी कुमोद कुमार संस्कार भारती, बिहार के संगठन मंत्री वेद प्रकाश आदि उपस्थित रहे।

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