मौना पंचायत भवन: जाड़ा गर्मी या बरसात, इस सड़क का है नरक वाला हाल, नेतृत्व बदला लेकिन व्यवस्था नहीं बदली

मौना पंचायत भवन: जाड़ा गर्मी या बरसात, इस सड़क का है नरक वाला हाल, नेतृत्व बदला लेकिन व्यवस्था नहीं बदली

Chhapra: “जाड़ा गर्मी या हो बरसात इस सड़क का है नरक वाला हाल” छपरा नगर निगम क्षेत्र के कई ऐसे वार्ड है जिनकी कोई ना कोई सड़क कुछ महीने ही पानी में डूबी हुई रहती है. लेकिन इसी नगर निगम के वार्ड 33, 34 एवं 35 यानी जहां तीन वार्ड आपस में जुड़ते है वहां पूरे वर्ष भर या यू कहे कि विगत पांच-सात वर्षो से पूरे 365 दिन सड़कों पर पानी जमा रहता है. हालात यह है कि अब स्थानीय या फिर करीब लाखों की आबादी जो इस रास्ते से होकर गुजरती है उन्होंने अब इस सड़क पर चलने की उम्मीद ही छोड़ दी है. अगल बगल के लोग ईट के सहारे किनारे किनारे चले जाते है.

विगत नगर निकाय चुनाव में तीनों वार्ड के वार्ड पार्षद प्रत्याशियों ने इस समस्या का समस्या के स्थाई निजात दिलाने की हामी भरी थी, वही मेयर और डिप्टी मेयर के प्रत्याशियों ने भी समस्या से निजात दिलाने के नाम पर वोट मांगा. कई ने तो “हम आयेगे बदलाव लाएंगे” के स्लोगन के साथ जनता से समर्थन मांगा लेकिन अफसोस कि जितने के बाद मेयर, डिप्टी मेयर, वार्ड 33, 34, 35 के वार्ड पार्षद अपनी डफली अपना राग अलाप रहे है. लोगों ने विश्वास कर नेतृत्व भले बदल दिया लेकिन व्यवस्था नहीं बदली. जेठ और आषाढ़ की प्रचंड तपिश वाली गर्मी में भी इस सड़क पर जलजमाव है. नाली का पानी सड़क पर और लोग उसी में पैदल जाते है.

नगर निगम क्षेत्र का मौना पंचायत भवन एक दशक से जल जमाव का दंश झेल रहा है. तीन वार्ड क्षेत्र के समागम स्थल के कारण इसके स्थाई निदान को लेकर कभी समन्वय नही बन पाया जिससे कि इसका स्थाई निदान हो सकें.

एक दशक से कई वार्ड पार्षद के चेहरे बदले लेकिन इसका असर कुछ नही दिखा. मौना पकड़ी, मौना सांढा रोड से नेहरू चौक जाने के लिए यह एक अति महत्वपूर्ण सड़क है. इन दिनों डबल डेकर पुल निर्माण से इसकी महत्ता और बढ़ गई है, गांधी चौक से नेहरू चौक जाने वाली सड़क अवरुद्ध है, ऐसे में यह एकमात्र ऐसी सड़क है जिससे आप नेहरू चौक जा सकते है. पूरे दिन इस सड़क पर गाड़ियों एवं पैदल राहगीरों की आवाजाही लगी रहती है. राहगीर भी नाले के पानी में पैर डालकर किसी तरह बचते बचाते बैतरणी को पार करते है. नालियों की सफाई होती है लेकिन जलजमाव लगा रहता है.

स्थानीय लोगों की माने तो अब इस समस्या से दो चार करने की उनकी आदत सी हो गई है. प्रतिदिन घर में घुसने से पहले पैर को धोना आम सा हो गया है. जलजमाव के कारण बच्चे घर के अंदर ही रहते है. हालाकि उन्हें हरवख्त एक डर रहता है कि कही कोई बीमारी ना पनपे जिसकी चपेट में वह आ जाए. कीड़े, मच्छर और जलीय छोटे जीव का घर में आना आम बात है. 

इस रास्ते से होकर प्रतिदिन गुजरने वाले का कहना है कि जलनिकासी के लिए कोई स्थान नहीं है, आसपास की सड़क ऊंची हो चुकी है, जिससे यहां जलजमाव बना रहता है. प्रशासन या प्रतिनिधि को इसका स्थाई निदान निकालना चाहिए. उन्होंने बताया कि एक दशक से यह समस्या बनी हुई है अब आदत सी हो है. कई बार प्रयास के बावजूद निदान ना होने से लोग अब थक चुके है और किसी तरह इस नरक में जीवन व्यतीत कर रहे है.

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