आये तो थे बारात, मगर हो गए Lockdown, 23 दिन से बाराती मेहमानों की गांव वाले कर रहे है सेवा

(संतोष कुमार ‘बंटी’)

Chhapra: आये तो थे दुल्हन ले जाने, लेकिन कोरोना में Lockdown हो गए, अब गांव के लोग सभी बारातियों को मेहमान बनाकर 23 दिनों से सेवा कर रहे है. सुनने में यह पूरा वाक्य किसी फिल्मी कहानी की तरह है.

खासकर रामायण के एक प्रसंग से भी मिलता जुलता है जब श्रीराम राजा जनक के यहां बारात लेकर गए थे तो पूरे बाराती लगभग एक वर्ष तक राजा जनक की सीमा में रहे थे. लेकिन उस समय की बात और थी अभी की बात और है.

पूरा मामला सारण जिले के मांझी प्रखंड के इनायतपुर का है जहां पिछले 23 दिनों से एक बारात लड़की पक्ष के गांव स्थित विद्यालय में रुकी है. बारात में लड़की पक्ष के रिश्तेदार सहित 3 दर्जन लोग शामिल है. बारातियों के पास ना भोजन है, ना कपड़े है और आर्थिक स्थिति भी समाप्त हो चुकी है.

22 मार्च को हुआ था निकाह

सारण जिले के मांझी प्रखंड स्थित इनायतपुर भिखमही में नैमुल्लाह सिद्दकी के यहां 22 मार्च को कोलकाता के बंडील जंक्शन से बारात आयी. करीब 30 की संख्या में बाराती और रिश्तेदार 21 को कोलकाता से चलकर ट्रेन से 22 मार्च को छपरा और फिर मांझी पहुंचे. धूमधाम से जनता कर्फ्यू के बीच इनायतपुर के नैमुल्लाह सिद्दीकी की बेटी खुश्बू खातून का विवाह कोलकाता के शमीम अख्तर के बेटे फिरोज अख्तर के साथ निकाह हुआ. बारात को रुख़्सती 23 मार्च को थी. लेकिन इसी बीच कोरोना वायरस संक्रमण के कारण बिहार में Lockdown हो गया. अगले दिन 24 मार्च को बिहार के साथ पूरे देश मे Lockdown की घोषणा हो गई. बारात ट्रेन से आई थी तो अब इनके जाने की कोई व्यवस्था नही हो पाई. लड़की पक्ष द्वारा सभी बारातियों के साथ दूल्हा दुल्हन को गांव के उर्दू उत्क्रमित मध्य विद्यालय में तत्काल रहने की व्यवस्था कराई गई. साथ ही साथ भोजन की व्यवस्था भी कराई गई.एसडीओ ने किया था सहयोग, लेकिन झारखंड सीमा से बस को कर दिया वापस

गांव के गणमान्य लोगों के साथ वधु पक्ष के सहयोग से अनुमंडल पदाधिकारी अभिलाषा शर्मा से बारातियों को उनके घर कोलकाता भेजने की पहल की गई जिसपर प्रशासन ने वाहन पास निर्गत किया. सभी बाराती बस से कोलकाता के लिए 31 मार्च को रवाना हुए लेकिन बिहार झारखंड सीमा पर पुलिस ने रोक दिया और जाने से मना करते हुए वापस कर दिया. सभी वापस अब उसी स्कूल में पिछले 23 दिनों से Lockdown है. बारातियों के साथ लड़की पक्ष के रिश्तेदार कुल मिलाकर तीन दर्जन लोग रह रहे है.बाराती जिला प्रशासन से लगा रहे है सहयोग की गुहार

बारातियों को जिला प्रशासन से सहयोग की अपेक्षा है. वर एवं वधु पक्ष के लोगो का कहना है कि प्रशासन मदद करे. उन्हें उनके घर तक पहुंचाने की व्यवस्था कर दे. जिसके लिए वह प्रशासन के आभारी रहेंगे. 23 दिनों से वह किसी तरह सिर्फ अपने और अपने परिवार की जिन्दा रखे हुए है अगर गांव का सहयोग नही मिलता तो उन्हें दो वख्त की रोटी भी नसीब नही होती.

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