सफाई के नाम पर एक दिन में खर्च होते थे 1 लाख 40 हजार, बावजूद हल्की बारिश में डूब जाती है छपरा की व्यवसायिक मंडी

सफाई के नाम पर एक दिन में खर्च होते थे 1 लाख 40 हजार, बावजूद हल्की बारिश में डूब जाती है छपरा की व्यवसायिक मंडी

सफाई के नाम पर एक दिन में खर्च होते थे 1 लाख 40 हजार, बावजूद हल्की बारिश में डूब जाती है छपरा की व्यवसायिक मंडी

Chhapra: एक माह में छपरा नगर निगम क्षेत्र में सफाई व्यवस्था के नाम पर करीब 42 लाख खर्च किये गए है. प्रतिदिन औसतन 1 लाख 40 हजार रुपए कचड़ा उठाने और झाड़ू लगाने के नाम पर खर्च हो रही जनता के टैक्स की राशि के सदुपयोग का अंदाजा हम इसी से लगा सकते है कि जैसे ही बारिश शुरू होती है समाप्त होने के साथ ही सड़कें जलमग्न हो जाती है. बारिश कम हो या ज्यादा सड़कों पर जलजमाव होना आम बात है. हालांकि यह बड़े शहरों में भी स्थिति यही है बारिश में सड़कें जलमग्न होती है लेकिन सिर्फ कुछ घंटों के लिए.

लेकिन छपरा नगर निगम की स्थिति थोड़ी अलग है. नगर निगम वार्ड एक से लेकर वार्ड 44 तक घरों से कचड़ा उठाने, मुख्य सड़क की साफ सफाई से लेकर कचड़ा उठाने के नाम पर प्रतिदिन अबतक करीब 1 लाख 40 हजार की राशि खर्च की जाती रही है. इसके बावजूद इसकी स्थिति जस की तस बनी है.

मंगलवार की रात तेज हवाओं के साथ बारिश ने गर्मी से लोगों को राहत भले ही दे दी हो लेकिन कीचड़ से लथपथ सड़क उनकी मुश्किलों को दुगना कर गई. शहर के मुख्य बाजार मौना चौक से लेकर साहेबगंज, मौना सांढा रोड, गुदरी बाजार की हालत भगवान भरोसे है. व्यवसायिक मंडी के तौर पार पहचान स्थापित करने वाली सड़कों पर या तो जलजमाव है या कीचड़ से सनी है. निगम को टैक्स देने वाले दुकानदार व्यवसाय करने से पहले सड़कों से कीचड़ हटाते है फिर व्यवसाय शुरू करते है. शहर की कुछेक सड़कों को छोड़ बारिश में अमूमन यही हाल है रही सही कसर डबल डेकर का निर्माण कर पूरा कर देता है. जिसमे निगम को साफ सफाई में अवरोध का एक रटा रटाया बहाना मिल जाता है.

बहरहाल निगम द्वारा इस बार प्रतिमाह 96 लाख रुपए में टेंडर निकाला गया था. किन्ही कारणों से मामला अभी लंबित है.

इस अनुसार छपरा नगर निगम क्षेत्र के घरों से कचड़ा उठाने, मुख्य मार्ग पर झाड़ू लगाने एवं कचड़ा उठाने के लिए प्रतिदिन औसतन 3 लाख 20 हजार रुपए खर्च करने जा रही है. शहर को आईने की तरह चमचमाते हुए दिखाने की कवायद है. मानसून के पूर्व साफ सफाई की तगड़ी व्यवस्था के दावे और घोषणाएं भी किए जा रहे है जिससे बारिश में शहर की सड़कों पर जलजमाव ना हो सकें.

लेकिन शहरवासी इन मंसूबों से वाकिफ है. सफाई के नाम पर जनप्रतिनिधियों से लेकर पदाधिकारियों तक में लूट मची है. लूट का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है जिस शहर की सफाई प्रतिदिन करीब 1 लाख 40 हजार में होती थी. उसी क्षेत्र के लिए 3 लाख 20 हजार में टेंडर खोला गया. जबकि शहर की कई सड़कों पर डबल डेकर निर्माणधीन है जिससे उन सड़कों पर फिलहाल ना झाड़ू लग सकता है ना पूर्ण साफ सफाई हो सकती है.

बारिश आने वाली है सफाई व्यवस्था के लिए अबतक कोई एजेंसी नही है ऐसे में शहर का बारिश में डूबना तय है. जनता घुटनों भर पानी में चलने के लिए बाध्य है और प्रतिनिधि और शासन एयरकंडीशन रूम में बैठकर सिर्फ कागजों और शहर की दीवारों पर स्वच्छ छपरा सुंदर छपरा की तस्वीर दिखा रहे है.

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