एक से सात जून 2022 तक मनाया गया ’बाढ़ सुरक्षा सप्ताह’

Chhapra: जिले में बाढ़ सुरक्षा सप्ताह का आयोजन एक जून से सात जून-2022 तक किया गया। जिलाधिकारी राजेश मीणा के निर्देशानुसार प्रभारी पदाधिकारी, जिला आपदा प्रबंधन शाखा गंगाकान्त ठाकुर ने बताया कि  बाढ़ सुरक्षा सप्ताह में बाढ जैसे भीषण आपदा के समय स्वयं अथवा परिवार की सुरक्षा हेतु फ्लैक्स एवं अन्य कार्यक्रम के माध्यम से जानकारी उपलब्ध करायी जा रही है ताकि अधिक से अधिक इस भीषण आपदा में अपनी सुरक्षा स्वयं कर सके।

प्रभारी पदाधिकारी, जिला आपदा प्रबंधन शाखा, सारण के द्वारा बताया गया कि बाढ़ से पूर्व, बाढ़ के दौरान एवं बाढ़ के बाद बचाव के उपायों को अपनाकर बाढ़ से होने वाली क्षति को कम किया जा सकता है। बाढ़ से सुरक्षा के लिए बाढ़ के समय हमें हैलोजेन (क्लोरीन) टेबलेट की एक गोली 20 लीटर पानी में डालकर लगभग 30 मिनट बाद पानी का उपयोग पीने के लिए करना चाहिए। कोशिश करना है कि पानी को उबाल कर ही पिया जाय। पीने के पानी व भोजन को हमेशा ढक कर रखें। सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें। सांप के काटे व्यक्ति को तुरन्त अस्पताल ले जाये। सांप काटे व्यक्ति का हौंसला बढाये रखें। शौच के बाद हाथों को साबुन या मिट्टी या राख से अच्छी तरह साफ करना चाहिए। बाढ़ के समय नदी में नाविक के निर्देशों का पालन अवश्य करें।

उन्होंने कहा कि बाढ़ में डूबे चापाकल, कुआँ का पानी न पियें। बाढ़ के समय फैले माहवारी के समय सफाई का विशेष ख्याल रखें। प्रसव के लिये गांव की आशा बहन से संपर्क कर आवश्यकतानुसार एम्बुलेन्स की सहायता से नजदीकी अस्पताल पर जायें। तेज बुखार हो जाने पर शरीर को पानी से पोछते रहे व डाक्टर से संपर्क करें। पशुओं को ऊंचे एवं सुरक्षित स्थान पर पहुँचा दें। बाढ़ के बाद पशुओं को कीड़े की दवा अवश्य दें। अपने एवं अपने पशुओं के लिए एक आपातकालीन किट तैयार रखें। अपने पशुओं को पर्याप्त चारा, पानी, पशु चिकित्सा देखभाल प्रदान करें। हर हाल में बीमार पशुओं को अन्य पशुओं से अलग रखें ताकि अन्य पशुओं को बीमार होने से बचाया जा सके।

बाढ़ से आपदा में कभी भी पीने के पानी में हाथ नही डालें। भोजन एवं पानी को खुला न रखें। गीला कपड़ा न पहनें। बहुत जरुरी होने पर रात को बाहर जाये। रात में बाहर जाते समय बिना टार्च, लाठी या डण्डे के न जाए। सांप के काटने पर झाड़-फूंक न करायें। नाव पर क्षमता से ज्यादा बोझ न दें। बिना घुले हुए कपड़े न पहनें। कूड़े कचरे को नाला में न फेंके। अपनी सुरक्षा के उपाय किये बिना, डूबते हुए को बचाने का प्रयास न करें। डूबने से बचाए हुए व्यक्ति को बिना डाक्टर की सलाह के कोई दवा न दें। प्रसव के दौरान किसी भी गन्दी वस्तु जैसे कपड़ा, पुराना ब्लेड आदि का प्रयोग बिल्कुल न करें। तेज बुखार के दौरान व्यक्ति को चादर, कम्बल न ओढ़ायें। कीचड़ वाले स्थान पर पशुओं को न बाँधे। पशुओं को अलग-अलग बाँधे। पशुओं को सड़ा एवं पहले का भीगा हुआ भूसा न खिलायें। इस तरह की सावधानियों को अपना कर हम स्वयं एवं अपने परिवार सहित समाज को भी बाढ़ जैसे आपदा के समय आवश्यक मदद कर सकते है।

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