बाढ़ में बर्बाद हुए आशियाने को फिर से खड़ा करना पीड़ितों के लिए बनी चुनौती

बाढ़ में बर्बाद हुए आशियाने को फिर से खड़ा करना पीड़ितों के लिए बनी चुनौती

छपरा: नदी का जलस्तर घटने लगा है पर बाढ़ ने इस बार जिले में चारों ओर जो तबाही मचाई उसने हर किसी को सोंचने पर मजबूर कर दिया. हर तरफ पानी के सैलाब के बीच लाखों प्रभावित लोगों की दयनीय स्थिति ने भयावहता का जो मंजर खड़ा किया उसने हर किसी को विवश कर दिया. हजारों लोगों के आशियाने इस भीषण तबाही की भेंट चढ़ गए और हजारों लोग आज भी सड़कों पर रहने को मजबूर हैं.

हालाँकि नदी के जलस्तर में काफी तेजी से कमी आने लगी है. ऐसे में निचले इलाकों में रहने वाले लोग जिनके घर पानी में डूब गए हैं या बाढ़ के कारण बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं. इन लोगों के पास बाढ़ के तबाही के बाद अपने घरों को फिर से खड़ा करने की चुनौती बनी हुई है. जलस्तर घटने के बाद सड़कों एवं रेलवे लाइन के किनारे सहारा लिए हुए लोग अब धीरे-धीरे अपने घरों की और लौट रहे हैं पर इन पीड़ितों का घर इस प्रकोप में जमींदोज हो गया है. कुछ लोग घर के टूटे हुए अवशेष को फिर से खड़ा करने की कोशिश कर रहे है और कुछ लोग सरकारी मुआवजे के सहारे अपने आशियाने को फिर से बनाने के प्रयास में तमाम कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं.

सरकार ने बाढ़ पीड़ितों की झोंपड़ी क्षतिग्रस्त होने पर 4100 रूपए जबकि कच्चा मकान के आंशिक क्षतिग्रस्त होने पर 3200 रूपए के अनुदान की व्यवस्था की है पर गंगा, घाघरा और सोन में आये उफान से प्रभावित बाढ़ पीड़ितों के डूब चुके घर को बनाने के सरकार ने जिस अनुदान राशि की व्यवस्था की है वो इन पीड़ितों के लिए नाकाफी साबित हो रही है.

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