छपरा: जिले में इन दिनों अगलगी की घटनाओं में इजाफा हुआ है. ऐसे में डीएम दीपक आनंद ने जिले में प्रतिदिन हो रहे अगलगी की घटनाओं पर गंभीर चिन्ता व्यक्त की है और प्रभावित परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की है. इसके साथ ही डीएम ने अपर समाहर्ता, सभी अनुमंडल पदाधिकारियों, सभी अंचल अधिकारियों को निर्देश दिया है कि प्रभावित परिवारों को बिना किसी विलम्ब के सरकार द्वारा निर्धारित मानक के अनुरूप सभी सहायता उपलब्ध कराये.
वही दूसरी ओर डीएम ने जिले में अगलगी की घटनाओं की रोकथाम हेतु जिले के सभी आम-अवाम विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र में निवास कर रहे लोगों से “क्या करें, क्या न करें“ संबंधी अपील करते हुए उसका अक्षरशः अनुपालन करने का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा है कि इसके पालन करने से अगलगी की घटनाओं में निश्चित रूप से कमी आएगी.
अगलगी से बचाव हेतु उपाय
क्या करेंः-
- स्टोव या लकड़ी, गोईठा आदि के जलावन वाले चूल्हे पर खाना बनाने समय सावधानी बरते। हमेशा सुती वस्त्र पहन कर खाना बनाये.
- गेहूं ओसनी का काम हमेशा रात में तथा गांव के बाहर खलीहान में जा कर करें
- घर और खलीहान पर समुचित पानी एवं बालू की व्यवस्था रखें
- खाना पकाते समय रसोईघर में व्यस्क मौजूद रहे। बच्चों को अकेला ना छोड़े।
- खिड़की से स्टोव के बर्नर तक हवा न पहुंच पाए। इस बात की पूरी तसल्ली कर ले।
- सरकारी सहायता पाने के उद्देश्य से जानबुझकर अपनी सम्पति में आग लगाने वालो के विरूद्ध कठोर कार्रवाई करने में प्रशासन की मदद कर जागरूक नागरिक अवश्य बने।
- तौलिये या कपड़े का इस्तेमाल सावधानी से गर्म बर्तन उतारने के लिए करे।
- तैलिये पदार्थ से लगी आग पर पानी ना डाले।
- तैलिय पदार्थ से लगी आग पर पानी न डाल कर सिर्फ बैकिंग सोडा, नमक डाले या उसे ढ़क दें।
- खिड़की के बाहर कोई चादर या तौलियां लटका दे ताकि बाहर लोगो को पता चल सके की आप कहां है और आपको मदद चाहिए।
- गैस चूल्हे इस्तेमाल करने के तुरंत बाद सिलिंडर का नांब तुरंत बन्द कर दें।
- बिजली तारो एवं उपकरणो की नियमित जांच करें।
- घर में अग्नि समन कार्यालय तथा अन्य आपातकालीन नम्बर लिखा हुआ हो और घर के सभी सदस्यो को इन नम्बरो के बारे में पता हो।
- आग लगने पर दमकल विभाग को फोन करे एवं उन्हे अपना पुरा पता बताएं फिर दमकल विभाग जैसा कहे वैसा ही करे।
क्या न करेंः-
- बच्चों को माचिस या आग फैलाने वाले अन्य समानो के पास न जाने दे।
- बीड़ी, सिगरेट, हुक्का आदि पीकर जहां-तहां न फेके, उसे पुरी तरह बुझने के बाद ही फेके।
- चूल्हा, डीबरी, मोमबती, कपूर आदि जला कर न छोड़े।
- अनाज के ढ़ेर, फुस या खपरैल की झोपड़ी के निकट अलाव व डीजल इंजन न चलाए।
- सार्वजनिक स्थलों, ट्रेनो व बसों आदि में ज्वलनशील पदार्थ न ले जाय।
- आपके कपड़े में अगर आग लग जाए तो दौड़ना नही चाहिए बल्कि जमीन पर लेट कर गोल-गोल कर आग बुझावे।
- खाना बनाने के समय ढ़ीले-ढ़ाले कपड़े न पहने।
- अग्नि दुर्घटना के दौरान कभी भी लिफ्ट का प्रयोग नही करें।
- गैस की दुर्गंध आने पर बिजली के स्वीच को न छुएं।
- खाना पकाते समय रसोई घर में बच्चों को अकेला न छोड़े।
- मवेशियों को मच्छर से बचाने के लिए जलाये गये घुर के पास पर्याप्त मात्रा में पानी रखे एवं निगरानी करते रहें।
- घर में किसी उत्सव के लिए लगाये गये कनात अथवा टेंट के निचे से बिजली की तार न ले जायें।
- सामुहिक भोजन इत्यादि के लिए हो रहे कार्य स्थान पर 2-3 ड्रम पानी अवश्य रखे तथा भोजन बनाने का कार्य तेज हवा के समय में नहीं किया जाय।
- थ्रेसर, आटा चक्की एवं रोलर से निकलने वाली आग पर ध्यान रखे तथा इसके पास भी पर्याप्त मात्रा में पानी की व्यवस्था रखें।