छपरा: एक तरफ जहाँ पूरे देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा शुरू की गई सम्पूर्ण भारत स्वच्छ्ता अभियान को सफल बनाने के लिए कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. वहीँ छपरा शहर के साहेबगंज में देश के भविष्य छोटे-छोटे बच्चे गरीबी से संघर्ष करते हुए इसी कचड़े में अपना भविष्य तलाश रहे हैं.
सरकार और उनसे जुड़े जनप्रतिनिधियों द्वारा छपरा शहर को स्वच्छ बनाने का दावा और वादा दोनों हवा-हवाई प्रतीत हो रहा है साथ ही मासूम बच्चों के भविष्य को लेकर भी किसी को कोई सुध नहीं है.
जिन बच्चों को अपना समय शारीरिक और मानसिक विकास में लगाना चाहिए वही बच्चे गरीबी और आभाव से त्रस्त होकर कचड़े के ढ़ेर से प्लास्टिक इत्यादि चुनते हैं जिसे बेचकर उन्हें कुछ पैसे मिल जाएं ताकि वो अपना पेट भर सकें.
शहर के साहेबगंज पर फैला कचड़ा साफ़-सफाई व्यवस्था पर तो प्रश्नचिन्ह खड़ा करता ही है. साथ ही साथ उन बच्चों के भविष्य की सुरक्षा और उज्ज्वलता पर भी एक बड़ा सवालिया निशान है जो कचड़े की ढेर से अपने एक वक्त की रोटी का जुगाड़ बीनते रहते हैं.
शहर में साफ़-सफाई को लेकर विगत दिनों प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा तमाम वादे किये गए. कई योजनाएं भी चलाई गईं पर साहेबगंज चौक का नजारा इन तमाम वादों की सच्चाई सबके सामने ला रहा है. आने वाले समय में स्थिति कैसी होगी ये तो देखने वाली बात होगी, पर फिलहाल स्थिति जस की तस बनी हुई है.