बाजार में बढ़ गई मिट्टी से बने देसी फ्रिज की डिमांड

बाजार में बढ़ गई मिट्टी से बने देसी फ्रिज की डिमांड

सूर्य की तपिश ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है। बिहार के अन्य हिस्सों के साथ सारण में पारा 41 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया है। मौसम विभाग ने हीटवेव का अलर्ट जारी किया है। गर्मी से सभी बेहाल हैं।

ऐसे में अपने शरीर को ठंडा रखने के लिए संपन्न लोग तो फ्रीज का सहारा ले रहे हैं लेकिन मिट्टी के फ्रिज की भी काफी डिमांड हो गई है। मिट्टी का फ्रिज यानी मिट्टी के घड़े का डिमांड गांव से लेकर शहरों तक काफी बढ़ गई है।

खास बात है कि बदलते युग के साथ अब इसमें भी आधुनिकता आ गई है। मिट्टी के कलाकारों ने उसमें नल (टोंटी) लगा दिया। बाजार में यह मिट्टी का घड़ा दो सौ से चार सौ तक में बिक रहा है और बड़े पैमाने पर लोग खरीद रहे हैं। गर्मी में मटके का पानी जितना ठंडा और सुकूनदायक लगता है, स्वास्थ्य के लिए भी उतना ही फायदेमंद भी होता है।

आयुर्वेद चिकित्सा से जुड़े लोगों का कहना है कि मिट्टी के घड़े का पानी पीना सेहत के लिए फायदेमंद है। इसका तापमान सामान्य से थोड़ा ही कम होता है जो ठंडक तो देता ही है, पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में भी मदद करता है। इसे पीने से शरीर में टेस्टोस्टेरॉन का स्तर बढ़ता है। इसमें मृदा के गुण भी होते हैं जो पानी की अशुद्धियों को दूर कर लाभकारी मिनरल्स प्रदान करते हैं।

शरीर को विषैले तत्वों से मुक्त कर प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने में यह पानी फायदेमंद होता है। फ्रिज के पानी की अपेक्षा यह अधिक फायदेमंद है, इस पानी से कब्ज और गला खराब होने जैसी समस्याएं नहीं होती। इसके अलावा यह सही मायने में शरीर को ठंडक देता है। इस पानी का पीएच संतुलन सही होता है। जो शरीर को किसी भी तरह की हानि से बचाते हैं, संतुलन बिगड़ने नहीं देते।

मटके का पानी प्राकृतिक तौर पर ठंडा होता है, जबकि फ्रिज का पानी इलेक्ट्रिसिटी की मदद से। एक बड़ा फायदा यह भी है कि इसमें बिजली की बचत होती है और मटके बनाने वालों को रोजगार मिलते रहता है। मिट्टी में कई प्रकार के रोगों से लड़ने की क्षमता पाई जाती है। मिट्टी के बर्तनों में पानी रखा जाए, तो उसमें मिट्टी के गुण आ जाते हैं। इसलिए घड़े में रखा पानी हमें स्वस्थ बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं।

शहर में घड़ा बेच रहे दुकानदार बताते हैं कि लोग आधुनिकता के दौर में मटके को भूल चुके हैं लेकिन मटके में भी जब आधुनिकता आई तो डिमांड बढ़ी। हम अब मिट्टी का घड़ा बनाकर उसमें नल लगा देते हैं। जिससे लोगों को पानी निकालने में सहूलियत हो रही है। पिछले सप्ताह से जब गर्मी बढ़ी तो डिमांड बढ़ गई है।

गर्मी के दिन में प्यास बुझाने के लिए लोग ठंडा पानी पीते हैं। पानी ठंडा करने के लिए ज्यादातर लोग फ्रिज का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन गरीबों के लिए तो मिट्टी का बना घड़ा ही देसी फ्रिज है। पीढ़ियों से घरों में पानी रखने के लिए मिट्टी के बर्तन का इस्तेमाल किया जाता रहा है।

मिट्टी की भीनी-भीनी खुशबू के कारण घड़े का पानी पीने का आनंद अलग है। मिट्टी के बने मटके में सूक्ष्म छिद्र होते हैं। पानी का ठंडा होना वाष्पीकरण की क्रिया पर निर्भर करता है। जितना ज्यादा वाष्पीकरण होगा, उतना ही ज्यादा पानी भी ठंडा होगा। इन सूक्ष्म छिद्रों द्वारा मटके का पानी बाहर निकलता रहता है। गर्मी के कारण पानी वाष्प बन कर उड़ जाता है। वाष्प बनने के लिए गर्मी यह मटके के पानी से लेता है। इससे मटके का तापमान कम हो जाता है और पानी ठंडा रहता है।

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