Chhapra: मानसून के आने में अभी महीनों बाकी है. अलबत्ता शहर में मानसून को लेकर की गई तैयारियों की पोल खुल गयी है. बुधवार की देर रात से अचानक हो रही बारिश ने शहर को झील में तब्दील कर दिया है. शहर की कोई भी सड़क इससे अछूता नही है. शहर में करोड़ों रुपये साफ सफाई पर खर्च होते है लेकिन उस साफ सफाई की पोल हल्की बारिश में खुल जाती है. जनप्रतिनिधि से लेकर शासन और प्रशासन तक चिर निद्रा में सोए रहते है जब बारिश होती है तो उनकी निद्रा टूटती है.
गुरुवार को हुई बारिश से मौना चौक से साहेबगंज, साढा ढाला, करीम चक, नगरपालिका चौक, मालखाना चौक, कटहरी बाग, गुदरी बाजार हर तरफ सिर्फ पानी ही पानी नज़र आ रहा है. मुख्य सड़कें तालाब बनी है वही गली गलियारों में तो यह नदी के रूप में दिख रही है.हालात यह है कि अगर सरकार का लॉक डाउन नही लगा होता तो सड़कों पर पैदल कौन कहे गाड़ियों का चलना भी दूभर था.
इसे भी पढ़ें: बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग के COVID-19 संबंधित जानकारी हेतु महत्वपूर्ण लिंक, यहाँ देखें
करीब 11.51 करोड़ की लागत से दो से तीन वर्ष पहले बनी थी सड़क
सबसे दयनीय स्थिति थाना चौक से नगरपालिका चौक होते हुए योगिनियां कोठी की है. सड़कों पर एक से डेढ़ फीट पानी है. पैदल चलना तो दूर की बात बाइक और छोटी हाइट की कार वालो को भी मुस्किलो का सामना करना पड़ रहा है. करीब 11 करोड़ को लागत से थाना चौक से लेकर नगरपालिका चौक योगिनियां कोठी होते हुए कचहरी स्टेशन तक इस सड़क का निर्माण दो वर्ष पूर्व हुआ था. सड़क निर्माण के साथ दोनों ओर नाला का निर्माण एवं डिवाइडर भी बना लेकिन निर्माण के बाद से ही यह सड़क हल्की बारिश में तालाब बन जाती है. सबसे विकट स्थिति जिलाधिकारी कार्यालय से लेकर नगरपालिका चौक से हरिमोहन दवाखाना, माधो बिहारी लेन तक बनी रहती है.
प्रतिवर्ष बारिश में शहर तालाब बन जाता है लेकिन इसका ठोस निष्कर्ष नही निकाला जाता है. जलजमाव के बाद प्रशासन जागता है और सड़कों से पानी निकलने के बाद सो जाता है. शहर की जल निकासी के लिए लाइफ लाइन करीम चक से लेकर सांढा ढाला तक खनुआ नाला की साफ सफाई का कार्य महीनों से ठप्प है वही पुरानी गुरहट्टी से लेकर छपरा कोर्ट होते हुए बी सेमिनरी तक खनुआ नाला का पुनर्निर्माण कार्य भी अब अधर में है. आनन फानन में शुरू हुए इस दोनो प्रोजेक्ट पर काम शुरू होने के कुछ महीनों के बाद विराम लग चुका है. लेकिन प्रशासन का इस ओर ध्यान नही है.
बहरहाल मानसून की दस्तक बाकी है. जनता की परेशानियों का निदान प्रशासन करेंगे कि जनप्रतिनिधि यह आने वाले बारिश के मौसम में पता चलेगा. फिलहाल जनता तालाब और नदियों में सैर सपाटा करने की आदि है और सारणवासी इस आदत को अपने जीवनशैली में ढाल चुके है.
इसे भी पढ़ें: डॉ आरपी बबलू बने जेपीयू के कुलसचिव
A valid URL was not provided.