छपरा (कबीर अहमद): कल तक प्रधानमंत्री की आलोचना करने वाले लोग आज तारीफ करते नही थक रहे है. दिन भर लाइन में लगे रहे लेकिन प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ भी करते रहे. लोगों का कहना था कि देश की भलाई और गद्दारों को सबक सिखाने के लिए दिनभर तो क्या दो-चार दिन भी लाइन में लगाना पड़े तो लगेंगे. नोट की चर्चा सुबह के दूध के काउंटर से लेकर शाम की सब्जी बाज़ारों तक होती रही. सभी जगह लोग इस फैसले का स्वागत करते ही देखे गये.
जब से नोट बंद होने की घोषणा की गयी है तब से चर्चा सिर्फ नोट की हो रही है. इस फैसले को लेकर कहीं ख़ुशी तो दिख रही है लेकिन कई चेहरों की उदासी छुपाये नही छुप रही. एक दूसरी उदासी उन दुकानदारों के चेहरे पर दिख रही है जो चाह कर भी छुट्टे की वजह से सामान नही बेच पा रहे है.
एक बात तो तय है कि लोगों के जेहन से यह बात जल्दी निकलने वाली नही है. छोटे नोट रखने वाले आज अपने को गौरवान्वित महसूस कर रहे है. वही बड़े नोट रखने वाले बैंकों और पोस्ट ऑफिस के चक्कर काटते दिख रहे है. केंद्र सरकार के इस फैसले को कुछ बुजुर्ग अपने जीवन का सबसे बड़ा और दिलेर फैसला मानते है और कहते है इससे बड़ा फैसला तो कई सरकारें लेती रही है. लेकिन यह फैसला सही मायने में सरकार की दूरदर्शिता और आत्मविश्वास को दर्शाता है.