आक्रोश को प्रेरणा बना कर देश के लिए समर्पित हो गए ‘भगत सिंह’

आक्रोश को प्रेरणा बना कर देश के लिए समर्पित हो गए ‘भगत सिंह’

‘वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आस्मां, हम अभी से क्या बताएं क्या हमारे दिल में है’

उनका वक्त भी आया और उन्होंने खुद को साबित भी कर दिया. उन्होंने साबित कर दिया कि एक सच्चे भारतीय के लिए उसका देश ही सबकुछ है. समर्पण, त्याग, शहादत और बलिदान जैसे शब्द भी उनकी वीरता के आगे कमजोर साबित हो जाते हैं, ऐसे महान देश भक्त थे ‘भगत सिंह’ जिन्होंने शहीद होकर भी देश के लिए एक ऐसी मिशाल कायम की जिसका उद्धाहरण आज करोड़ो हिन्दुस्तानियों के लिए ऊर्जा और प्रेरणा का काम करता है.

भगत सिंह का जन्म सही मायनों में भारत माँ की आजादी के लिए ही हुआ था. ईश्वर ने उन्हें सिर्फ और सिर्फ इस लिए ही इस पावन धरा पर भेजा था ताकि वो अपनी माँ के पैरों में लगे बेड़ियों को तोड़ कर उसे आजाद कर सकें. भगत सिंह ने आजादी के प्रति अपनी दीवानगी के उन्माद में न सिर्फ उन बेड़ियों पर करारा प्रहार किया बल्कि गुलामी की जड़ों को इतना कमजोर कर दिया जिससे हम आज भी उन्मुक्त गगन में सांस ले रहे हैं.

तत्कालीन अंग्रेजी साम्राज्य की जड़े कमजोर करने में उनका योगदान हमसब के लिए संस्मरणीय है. भगत सिंह की शहादत ने युवाओं में जो जोश भरा उसकी चिंगारी ने ब्रिटिश साम्राज्य को नष्टोनाबूद कर दिया. उन्होंने आक्रोश को प्रेरणा बना कर भारत के युवाओं को जो सन्देश दिया उसी को आधार बना कर आजादी की अंतिम लड़ाई लड़ी गई. 64 दिनों तक भूख हड़ताल पर रखकर भी उनके मन में कभी आत्मसमर्पण का भाव नहीं आया. शायद भगत सिंह और उनके साथियों का जेल में किया गया वो अनशन ही था जिसने अंग्रेजों को अहसास करा दिया कि अब हमारे दिन लद गए हैं और कहीं न कहीं अंग्रेजों ने उस वक्त से ही भारत पर लंबे समय तक एकाधिकार रखने का दिवास्वप्न त्याग दिया था.

देश को अंग्रेजों से आजादी भी मिली और भगत सिंह शहीदे आज़म भी हुए. क्रांति की जो परिभाषा वो गढ़ गए वो हमारे लिए आज भी गर्व का विषय है. पर क्या उनका त्याग और बलिदान आज हमारे समाज के लिए सिर्फ एक उद्धाहरण मात्र बनकर रह गया है. आधुनिक भारत ने उनके समर्पण से मिली आजादी को तो बड़े शान से अपना लिया है पर उनके विचारों को अपनाने में हम संकोच क्यों दिखाते हैं. सीने में तो आग सबके धकधकती है पर उस आग को क्रांति बनाकर समाज के उत्थान के लिए सबको लड़ना होगा.

आज देश में जो माहौल है इस वक्त भारत को जरूरत है एक और भगत सिंह की. शहीदे आजम जैस जज्बा आज भी हिन्दुस्तानियों में है पर बस उसे एक दिशा देने की जरूरत है. सरफ़रोशी की तम्मना लिए कुछ कर गुजरना होगा हमें अपनी भारत माँ के सम्मान के लिए. भगत सिंह के जन्मदिन पर हमें मिलकर ये प्रण लेना होगा कि

 
”डराने से नहीं डरते, झुकाने से नहीं झुकते, वतन के नाम पर हम सर कटाने से पीछे नहीं हटते”.
…….भगत सिंह के जन्मदिवस पर उन्हें शत-शत नमन

0Shares
A valid URL was not provided.

छपरा टुडे डॉट कॉम की खबरों को Facebook पर पढ़ने कर लिए @ChhapraToday पर Like करे. हमें ट्विटर पर @ChhapraToday पर Follow करें. Video न्यूज़ के लिए हमारे YouTube चैनल को @ChhapraToday पर Subscribe करें