साहित्य में क्षेत्रीय आवाज लाने वाले क्रांतिकारी उपन्यासकार थे रेणु : शैलेंद्र प्रताप सिंह

साहित्य में क्षेत्रीय आवाज लाने वाले क्रांतिकारी उपन्यासकार थे रेणु : शैलेंद्र प्रताप सिंह

Chhapra: जयप्रकाश विश्वविद्यालय में मंगलवार काे प्रसिद्ध उपन्यासकार फणीश्वर नाथ रेणु की जयंती मनाई गई. इस दौरान जनता दल यूनाइटेड के वरिष्ठ नेता शैलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि फणीश्वरनाथ रेणु हिंदी साहित्य के एक प्रसिद्ध क्रांतिकारी उपन्यासकार थे. वे समकालीन ग्रामीण भारत की आवाज थे और मुख्यधारा हिंदी साहित्य के बीच में क्षेत्रीय आवाज लाने के लिए अग्रणी थे.

फणीश्वरनाथ रेणु की लेखन शैली अंतर्मन को छूने वाली थी, जिसे उन्होंने स्थानीय भाषा से विकसित किया था. ऐसे बहुत कम लेखक होते हैं जो अपने जीते जी ही किंवदंतियों का हिस्सा हो जाते हैं, लेकिन रेणु ऐसे ही विरले थे.

शैलेंद्र प्रताप सिंह ने रेणु की लेखन शैली के बारे में कहा कि रेणु की लेखन-शैली विवरणात्मक थी. उनकी लेखन-शैली प्रेमचंद से काफी मिलती थी और उन्हें आजादी के बाद का प्रेमचंद भी माना जाता है, फणीश्वरनाथ नाथ रेणु ने लघु कथाएं भी लिखी हैं, जिसमें मारे गये गुलफाम, एक आदिम रात्रि की महक, लाल पान की बेगम, पंचलाइट, ठेस, संवदिया, तबे एकला चलो रे और कुछ कहानियों का संग्रह ठुमरी, अग्निखोर और अच्छे आदमी शामिल हैं. उनकी लघु कथा पंचलाइट मानव व्यवहार के शानदार चित्रण के लिए जानी जाती हैं.

शैलेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि रेणु की लेखनी जितनी मजबूत थी, उनकी संवेदनशीलता उससे कहीं अधिक मजबूत थी.
आपातकाल के दौर में जब पूरा देश तानाशाही के खिलाफ सड़कों पर था तो मानवीय संवेदनाओं की खातिर रेणु ने अपना पद्मश्री सम्मान भी लौटा दिया था. रेणु की कृतियों को प्रणाम, उनके व्यक्तित्व को नमन.

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