– पूर्वी लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में नियमित रूप से की जा रही है निगरानी
– अपाचे अटैक और चिनूक हेवी-लिफ्ट हेलीकॉप्टरों को भी उड़ान भरते देखा गया

नई दिल्ली: अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बीच पूर्वी लद्दाख में चीन सीमा पर भी हवाई गतिविधियां बढ़ी हैं। भारत और चीन की वायु सेनाओं के लड़ाकू विमान एलएसी के पास लगातार उड़ान भर रहे हैं। पिछले दिनों चीनी वायु सेना की गतिविधियां बढ़ने के बाद से पहले ही उच्चतम स्तर का सैन्य नेतृत्व पूर्वी लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में नियमित रूप से निगरानी रख रहा है।

चीन के साथ तनाव के बीच भारतीय वायु सेना पूर्वी लद्दाख सेक्टर में रात के समय लड़ाकू हवाई गश्त कर रही है। चीन सीमा के पास एक अग्रिम एयरबेस से भारतीय वायु सेना अपने लड़ाकू विमानों को शामिल करते हुए गहन रात्रि अभियान चला रही है। मिग-29 और सुखोई-30 एमकेआई सहित अन्य लड़ाकू विमान अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर और चिनूक हेवी-लिफ्ट हेलीकॉप्टरों के साथ उड़ान भर रहे हैं। चीन की सीमा के पास अग्रिम हवाई अड्डे पर अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर देखे गए हैं। अपाचे हेलीकॉप्टरों के पायलटों को उनके नाइट विजन गॉगल्स के साथ उड़ान भरते देखा जा सकता है।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने सोमवार को कहा था कि अगर पेलोसी ताइवान का दौरा करती हैं तो यह ‘चीन के आंतरिक मामलों में एक बड़ा हस्तक्षेप’ होगा। उन्होंने चेतावनी भरे अंदाज में कहा कि हम संयुक्त राज्य अमेरिका को एक बार फिर से बताना चाहते हैं कि चीन अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए दृढ़ प्रतिक्रिया और मजबूत जवाबी कार्रवाई करेगा। चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी कभी भी चैन से नहीं बैठेगी और इसके ‘बहुत गंभीर’ परिणाम होंगे। यह पूछे जाने पर कि पीएलए किस तरह के उपाय कर सकती है, तो झाओ ने कहा कि अगर वह ताइवान जाने की हिम्मत करती हैं, तो आइए प्रतीक्षा करें और देखें।

चीन ने फ़ुज़ियान प्रांत में सैन्य उपकरण तैनात किये हैं, यह इलाका ताइवान जलडमरूमध्य का सामना करता है। पेलोसी की यात्रा पर ताइवान जलडमरूमध्य में तनाव बढ़ रहा है। सैन्य उपकरणों में टाइप 63ए उभयचर टैंक हैं, इनसे समुद्र तटों पर हमले किये जा सकते हैं। वायरल हो रहे वीडियो में फ़ुज़ियान प्रांत में काफी संख्या में टैंक विचरण करते हुए दिखाई दे रहे हैं। ज़ियामेन एयर ने मंगलवार को हवाई यातायात नियंत्रण का हवाला देते हुए पूर्वी चीन के फ़ुज़ियान प्रांत में हवाई अड्डों के अंदर और बाहर अपनी दर्जनों उड़ानों में समायोजन की घोषणा की है।

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बर्मिंघम: भारतीय स्टार महिला भारोत्तोलक मीराबाई चानू ने इतिहास रचते हुए राष्ट्रमंडल खेल 2022 के महिलाओं के 49 किग्रा वर्ग में भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाया। चानू ने अपने पहले क्लीन एंड जर्क प्रयास में 109 किग्रा की सफल लिफ्ट के साथ स्वर्ण पदक हासिल किया। उन्होंने कुल 201 किग्रा (स्नैच में 88 किग्रा और क्लीन एंड जर्क में 113 किग्रा) का भार उठाया।

चानू क्लीन एंड जर्क दौर में अपने तीसरे प्रयास में 115 किग्रा भार उठाने में विफल रही। बहरहाल टीम इंडिया को बर्मिंघम में पहला स्वर्ण पदक मिला।

चानू ने इससे पहले 49 किग्रा वर्ग के स्नैच दौर में अपने दूसरे प्रयास में 88 किग्रा की सफल लिफ्ट के साथ अपना नया व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ और राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया। यह एक नया राष्ट्रमंडल रिकॉर्ड भी है। हालांकि इसके बाद वह अपने तीसरे स्नैच प्रयास में 90 किग्रा भार उठाने में विफल रही।

मॉरीशस की मारिया हैनिट्रा ने कुल 172 किग्रा ( स्नैच में 76 किग्रा और क्लीन एंड जर्क में 96 किग्रा) भार के साथ रजत पदक जीता वहीं, कनाडा की हन्नाह कामिंस्की ने कुल 171 किग्रा ( स्नैच में 74 किग्रा और क्लीन एंड जर्क में 97 किग्रा) वजन के साथ कांस्य पदक जीता

बता दें कि मीराबाई ने गोल्डकोस्ट में हुए 2018 के राष्ट्रमंडल खेल में भी स्वर्ण पदक जीता था। बता दें कि राष्ट्रमंडल खेलों में भारत का ये तीसरा पदक है। तीनों ही पदक भारोत्तोलन में आए हैं। इससे पहले संकेत सरगर ने रजत और गुरूराजा पुजारी ने कांस्य पदक जीता था।

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नई दिल्ली: मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह 1-4 अगस्त तक भारत की आधिकारिक यात्रा पर रहेंगे। राष्ट्रपति सोलिह के साथ एक उच्च स्तरीय आधिकारिक और व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल भी आएगा।

विदेश मंत्रालय के अनुसार यात्रा के दौरान राष्ट्रपति सोलिह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलेंगे और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ बातचीत करेंगे। विदेश मंत्री एस जयशंकर भी राष्ट्रपति सोलिह से मुलाकात करेंगे।

नई दिल्ली में आधिकारिक कार्यक्रमों के अलावा, राष्ट्रपति सोलिह दिल्ली में एक भारतीय व्यापार प्रतिनिधिमंडल के साथ चर्चा करेंगे। राष्ट्रपति सोलिह मुंबई, महाराष्ट्र का भी दौरा करेंगे और व्यापारिक कार्यक्रमों में भाग लेंगे।

उल्लेखनीय है कि मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र में भारत का प्रमुख पड़ोसी देश है और भारत की नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी में एक विशेष स्थान रखता है। हाल के वर्षों में, साझेदारी ने सहयोग के सभी क्षेत्रों में तेजी से विकास देखा है।

मंत्रालय के अनुसार राष्ट्रपति सोलिह की आगामी आधिकारिक यात्रा दोनों नेताओं को इस व्यापक साझेदारी में हुई प्रगति की समीक्षा करने और दोनों पक्षों को दिशा प्रदान करने का अवसर प्रदान करेगी जो इस साझेदारी को और गति प्रदान करेगी।

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 कांगो में यूएन के खिलाफ सशस्त्र विरोध, 15 की मौत, बीएसएफ के दो शांति सैनिक शहीद

किंशासा (एजेंसी): डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो के पूर्वी शहरों गोमा और बुटेम्बो में संयुक्त राष्ट्र विरोधी हिंसक प्रदर्शनों के दूसरे दिन मंगलवार को कम से कम 15 लोग मारे गए और लगभग 50 घायल हो गए। मरने वालों में सशस्त्र प्रदर्शनकारियों के साथ संयुक्त राष्ट्र के शांति सैनिक भी शामिल हैं। सशस्त्र विद्रोहियों के हमले में बीएसएफ के दो जवान भी शहीद हो गए हैं।

प्रदर्शनकारियों ने गोमा में संयुक्त राष्ट्र की इमारतों में पत्थर फेंके और तोड़फोड़ कर आग लगा दी। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र के शांति सैनिकों ने जवाबी फायरिंग की। इसमें दो प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई। बताया गया है कि बुटेम्बो में हिंसक भीड़ ने मोरोक्को रैपिड डिप्लॉयमेंट बटालियन को घेर लिया था। यहीं पर बीएसएफ की टुकड़ी तैनात थी। कांगों की पुलिस और सेना हालात पर नियंत्रण नहीं कर पा रहे हैं। हालांकि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए हवा में गोलियां दागी गईं। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए बीएसएफ के जवानों ने धुएं के गोले दागे। बावजूद इसके हिंसा पर आमादा भीड़ ने बटालियन की दीवार तोड़कर सैनिकों पर हमला किया। सशस्त्र प्रदर्शनकारियों ने हमले में संयुक्त राष्ट्र बल के ठिकानों पर पत्थर और पेट्रोल बम फेंके। हमलावरों ने कांगो पुलिस से हथियार भी छीन लिए हैं और संयुक्त राष्ट्र कर्मियों पर गोलीबारी की है।

संयुक्त राष्ट्र के उप प्रवक्ता फरहान हक ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों के मारे जाने से आहत है।मंगलवार को सोशल मीडिया पर संयुक्त राष्ट्र के खिलाफ व्यक्तियों और समूहों की शत्रुतापूर्ण टिप्पणियों और धमकियों से प्रेरित सैकड़ों हमलावरों ने गोमा के साथ-साथ उत्तरी किवु के अन्य हिस्सों में हमला किया है।

हक ने कहा है कि यह लोग लूटपाट भी कर रहे हैं। त्वरित प्रतिक्रिया बलों को भेजकर स्थिति को संभालने की कोशिश की जा रही है।

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कोलंबो: भीषण आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका के नए राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने गुरुवार को देश के आठवें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। उन्हें बुधवार को संसद ने नया राष्ट्रपति चुना था। विक्रमसिंघे इससे पहले लंबे समय तक देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं।

श्रीलंका में भयावह आर्थिक संकट के बीच पहले प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे, फिर राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को इस्तीफा देना पड़ा था। जनाक्रोश के जलते गोटबाया को तो देश छोड़कर भागना पड़ा। ऐसे में महिंदा राजपक्षे को हटाकर प्रधानमंत्री बनाए गए रानिल विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति का कार्यभार सौंपा गया था।

बुधवार को संसद में मतदान के माध्यम से नए राष्ट्रपति का चुनाव कराया गया। कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के अलावा सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) पार्टी के सदस्य दुल्लास अल्हाप्पेरुमा व वामपंथी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) के अनुरा कुमारा दिसानायके भी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार थे।

225 सदस्यीय श्रीलंका की संसद ने कल विक्रमसिंघे को नया राष्ट्रपति चुना था। उन्हें 134 वोट मिले, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी दुल्लास अल्हाप्परुमा को 82 वोट मिले। त्रिकोणीय मुकाबले में अनुरा कुमारा दिसानायके को सिर्फ तीन वोट मिले थे। देश के संविधान के अनुसार संसद द्वारा चुने जाने वाले वे पहले श्रीलंकाई राष्ट्रपति हैं। उनसे पहले डीबी विजेतुंगा मई 1993 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रेमदासा के निधन के बाद निर्विरोध निर्वाचित हुए थे।

श्रीलंका के प्रधान न्यायाधीश जयंत जयसूर्या ने गुरुवार को 73 वर्षीय विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई। विक्रमसिंघे के सामने सबसे बड़ी चुनौती और अग्नि परीक्षा देश को इस संकट से निकाल कर फिर पटरी पर लाना है। उनके सामने देश को आर्थिक संकट से निकालने के साथ महीनों के बड़े विरोध के बाद कानून व्यवस्था बहाल करने की चुनौती है। माना जा रहा है कि राष्ट्रपति विक्रमसिंघे अगले कुछ दिनों में 20-25 सदस्यों का मंत्रिमंडल बनाएंगे।

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– दोनों की 16वें दौर की सैन्य वार्ता बेनतीजा, नहीं निकला विवादित मुद्दों का समाधान
– पूर्वी लद्दाख में सभी विवादित इलाकों से सैनिकों की वापसी के लिए चीन पर बनाया दबाव

नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच 17 जुलाई को साढ़े 12 घंटे हुई 16वें दौर की कोर कमांडर स्तर की बैठक के बाद साझा बयान जारी किया गया है। इसमें स्वीकार किया गया है कि भारतीय इलाके के चुशूल-मोल्दो बॉर्डर मीटिंग प्वाइंट पर हुई बैठक विवादित मुद्दों को हल करने में नाकाम रही, लेकिन दोनों पक्ष जल्द ही पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान पर पहुंचने के लिए बातचीत जारी रखने पर सहमत हुए। वार्ता के दौरान भारत ने पूर्वी लद्दाख में सभी विवादित इलाकों से सैनिकों की शीघ्र वापसी के लिए दृढ़ता से दबाव डाला और यथास्थिति बहाल करने की मांग को दोहराया।

भारत और चीन के बीच पिछली बैठक 11 मार्च को हुई थी, जिसके बाद दोनों पक्षों ने 16वें दौर की वार्ता के दौरान पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी के साथ विवादित मुद्दों का समाधान करने के लिए रचनात्मक तरीके से चर्चा जारी रखी। शेष मुद्दों का जल्द से जल्द समाधान करने के लिए विचारों का स्पष्ट और गहन आदान-प्रदान किया। दोनों पक्ष सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से आगे भी बातचीत जारी रखने और जल्द से जल्द शेष मुद्दों का पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान निकालने पर सहमत हुए। दोनों पक्ष क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने के लिए भी सहमत हुए।

भारत और चीन के बीच रविवार को 12 घंटे की लंबी चर्चा के बाद साझा बयान में कहा गया है कि लंबित मुद्दों के समाधान से पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति और शांति बहाल करने में मदद मिलेगी और द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति को सक्षम बनाया जा सकेगा। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि वार्ता में भारत ने पूर्वी लद्दाख क्षेत्र के सभी विवादित बिंदुओं से सैनिकों को जल्द से जल्द हटाने के लिए जोर दिया और सैन्य गतिरोध शुरू होने से पहले अप्रैल, 2020 वाली यथास्थिति बहाल करने की मांग को दोहराया।

संयुक्त बयान में यह भी कहा गया है कि दोनों पक्ष पूर्वी लद्दाख में जमीन पर सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने के लिए सहमत हुए। वार्ता से पहले हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में पेट्रोलिंग प्वाइंट-15 पर विघटन प्रक्रिया में प्रगति होने की उम्मीदें थीं। भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने डेप्सांग बुलगे और डेमचोक में लंबित मुद्दों के समाधान की भी मांग रखी। भारत लगातार इस बात पर कायम रहा है कि एलएसी पर शांति द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण है। वार्ता के दौरान भारत ने पूर्वी लद्दाख में सभी विवादित इलाकों से सैनिकों की शीघ्र वापसी के लिए दृढ़ता से दबाव डाला और यथास्थिति बहाल करने की मांग को दोहराया।

भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह स्थित 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता ने किया, जबकि चीनी टीम का नेतृत्व दक्षिण शिनजियांग सैन्य जिला प्रमुख मेजर जनरल यांग लिन कर रहे थे। सैन्य और कूटनीतिक वार्ता की एक श्रृंखला के परिणामस्वरूप दोनों पक्षों ने पिछले साल पैन्गोंग झील के उत्तर और दक्षिण तट पर और गोगरा क्षेत्र से अपने-अपने सैनिक पीछे किये थे। पैन्गोंग झील क्षेत्रों में हिंसक झड़प के बाद 5 मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध शुरू हो गया। इसके बाद दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे हजारों सैनिकों के साथ-साथ भारी हथियारों को लेकर अपनी तैनाती बढ़ा दी। मौजूदा समय में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के संवेदनशील इलाकों में भारत और चीन के लगभग 50-60 हजार सैनिक तैनात हैं।

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नई दिल्ली: भारत ने अफगानिस्तान के लोगों के लिए दो उड़ानों में 27 टन आपातकालीन राहत सहायता भेजी है। 22 जून को अफगानिस्तान में भूकंप के भारी तबाही हुई और बहुमूल्य जीवन की हानि हुई थी।

राहत सहायता में परिवारों के लिए रिज टेंट, स्लीपिंग बैग, कंबल, स्लीपिंग मैट आदि आवश्यक वस्तुएं शामिल हैं। राहत की खेप काबुल में संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय और अफगान रेड क्रिसेंट सोसाइटी को सौंपी जाएगी।

विदेश मंत्रालय के अनुसार हमेशा की तरह भारत अफगानिस्तान के लोगों के साथ खड़ा है। अफगानिस्तान के साथ हमारे सदियों पुराने संबंध हैं। भारत अफगान लोगों को तत्काल राहत सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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कीव: यूक्रेन पर रूस के हमले के 100 से अधिक दिन बीतने के बाद भी युद्ध जारी है। ऐसे में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा है कि कोई नहीं जानता कि उनके देश में युद्ध कितने समय तक चलेगा। जेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेनी सेना रूसी सैनिकों का पूर्वी यूक्रेन में मुकाबला कर उनकी उम्मीदों पर पानी फेर रही है।

जेलेंस्की ने एक वीडियो संदेश में कहा कि उन्हें डोनबास क्षेत्र में रूसी सैनिकों को रोकने के लिए लड़ रहे यूक्रेन के अपने रक्षकों पर गर्व है। उन्होंने कहा कि यह युद्ध का 108वां दिन है और युद्ध की शुरुआत में, यूक्रेन की राजधानी कीव पर कब्जा करने में विफल रहने के बाद रूस ने बड़े पैमाने पर रूसी भाषी डोनबास के हिस्सों के अलावा देश के दक्षिणी तट पर कब्जा करने पर ध्यान केंद्रित किया। जेलेंस्की ने कहा कि जब युद्ध का अंत दिखाई नहीं दे रहा है तो यूक्रेन को अपनी रक्षा करने के लिए हरसंभव प्रयास करना चाहिए।

जेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन की तुलना में रूस के तीन गुना अधिक सैनिक हताहत हुए हैं। उन्होंने कहा कि युद्ध किस लिए है और रूस को इससे क्या मिला है।

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अबुधाबी/छपरा: विदेश में रहकर भी अपनी संस्कृति के अनुसार पर्व त्योहार मनाना बेबद खास होता है.

संयुक्त अरब अमीरात के अबुधाबी में बिहार समाज अबुधाबी की महिला सदस्यों ने वट सावित्री पर्व पर पूजन कर व्रत किया.

बिहार, झारखंड तथा भारत के अन्य जगहों की महिलाओं ने धूमधाम से वट सावित्री पूजन किया.

अपनी संस्कृति को विदेशों में बनाए रखने को प्रतिबध्द संस्था बिहार समाज अबुधाबी के सदस्यों द्वारा महिलाओं को पूजा के लिए अबुधाबी के विभिन्न पार्को में वट बृक्ष की जानकारी उपलब्ध कराई गयी थी. जहां महिलाओं ने अलग अलग समूह में अपने नजदीकी वट बृक्ष के पास जाकर विधि पूर्वक पूजा किया.

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नेपाल में विमान लापता,  22 यात्री थे सवार, 4 भारतीय भी शामिल, सेना का हेलीकाप्टर सर्च आपरेशन में

Nepal: नेपाल में तारा एयर के एक विमान का संपर्क टूट गया है. विमान ने रविवार सुबह उड़ान भरी थी. एयरपोर्ट के अधिकारियों के मुताबिक, तारा एयर के डबल इंजन विमान ने रविवार सुबह पोखरा से जोमसोम के लिए उड़ान भरी थी. सीपीआर 2022 आखिरी बार विमान से सुबह 9 बजकर 55 मिनट पर संपर्क हुआ था. अधिकारियों ने बताया कि विमान केवल 15 मिनट की उड़ान पर था और इसमें 22 यात्री सवार हैं.

बारिश में शहर की स्थिति पांव रखने के लिए जगह खोज रहे है पैदल चलने वाले राहगीर

बताते चले कि तारा एयर कंपनी मुख्य रूप से कनाडा में निर्मित ट्विन ओटर विमानों को उड़ाता है. नेपाल के स्थानीय मीडिया के अनुसार लापता विमान में 4 भारतीय और 3 जापानी नागरिक भी सवार हैं. बाकी सभी शेष नेपाली नागरिक थे और विमान में चालक दल सहित कुल 22 यात्री हैं. मीडिया के अनुसार अधिकारी लगातार संपर्क साधने की कोशिश में जुटे हुए हैं. बता दें कि जोमसोम विदेशी पर्वतारोहियों के लिए एक लोकप्रिय मार्ग है जो पर्वतीय इलाकों पर ट्रेकिंग करते हैं. यहां भारतीय और नेपाली तीर्थयात्री काफी संख्या में श्रद्धेय मुक्तिनाथ मंदिर जाते हैं. नेपाली सेना के प्रवक्ता नारायण सिलवाल ने बताया कि नेपाली सेना का एक एमआई-17 हेलीकाप्टर हाल ही में लेटे, मस्टैंग के लिए रवाना हुआ है. वहीं नेपाल के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता फदींद्र मणि पोखरेल के अनुसार मंत्रालय ने लापता विमान की तलाश के लिए मस्टैंग और पोखरा से दो निजी हेलीकाप्टर भी विमान के सर्च में तैनात किए हैं.

माउंट धौलागिरी पहुंचने के बाद से संपर्क टूटा

वहां के मुख्य जिला अधिकारी नेत्र प्रसाद शर्मा ने एएनआइ को बताया कि विमान को मस्टैंग जिले में जोमसोम के आसमान के ऊपर देखा गया था और फिर उसे माउंट धौलागिरी की ओर मोड़ दिया गया था. उन्होंने बताया कि इसके बाद से यह संपर्क में नहीं आया है.

डाकघरों में अब क्यू आर कोड से करे भुगतान

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लिस्बन:  कोरोना वायरस का प्रकोप अभी खत्म भी नहीं हुआ है और इस बीच भारत सहित कई देशों में मंकी पॉक्स वायरस के मामले मिलने लगे हैं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन, यूके और यूएस के बाद अब भारत में भी मंकीपॉक्स के केस समाने आने लगे हैं। अब पुर्तगाल में भी मंकीपॉक्स के मामले मिले हैं लेकिन विषेशज्ञों का कहना है पुर्तगाल के मामले ज्यादा गंभीर नहीं है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ डाउटर रिकार्डो जॉर्ज ने मंगलवार को कहा कि पुर्तगाल में फैलने वाला मंकीपॉक्स वायरस पश्चिम अफ्रीका में फैलने वाले वायरस से कम आक्रामक है।

डब्ल्यूएचओ ने टीकाकरण शुरू करने को कहा

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बढ़ते संक्रमण से निपटने के लिए सरकारों से सीमित टीकाकरण शुरू करने को कहा है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक अब तक 237 संदिग्ध संक्रमित सामने आए हैं। मई की शुरुआत से अब तक 19 देशों में मंकीपाक्स के मामलों की पुष्टि हुई है। यह संख्या और बढ़ने की उम्मीद है। राहत वाली बात ये है कि अब तक अधिकांश संक्रमण गंभीर नहीं हुए हैं।इंग्लैंड में मंगलवार को 14 नए केस मिले। इसी के साथ यहां संक्रमितों का आंकड़ा 70 पर पहुंच गया है। यूएई में मंकीपाक्स का पहला केस मिला है। उधर जर्मनी ने मंकीपाक्स को फैलने से रोकने के लिए एहतियात के तौर पर 40 हजार वैक्सीन डोज बनाने का आर्डर दिया है।

गोम्स ने लुसा समाचार एजेंसी को बताया कि संस्थान के संक्रामक रोग विभाग की जैव सूचना विज्ञान इकाई के प्रमुख जोआओ पाउलो गोम्स की शोध टीम ने देश में फैले मंकीपॉक्स वायरस की जीनोम-सीक्वेंसिंग पूरी कर ली है।

पुर्तगाली मंकीपॉक्स वायरस ज्यादा खतरनाक नहीं

विशेषज्ञ के अनुसार, पुर्तगाली मंकीपॉक्स वायरस 2018 और 2019 में ब्रिटेन, इज़राइल और सिंगापुर में पाए गए मंकीपॉक्स वायरस से अधिक निकटता से संबंधित है, जिन्होंने नोट किया कि मध्य अफ्रीका में मंकीपॉक्स का एक और अधिक आक्रामक वंश है। उन्होंने कहा, सैद्धांतिक रूप से, यह हमारी अपेक्षा से अधिक विकसित होता है। आखिरकार, हम यह देखने में सक्षम होंगे कि जीनोमिक लक्षण अधिक संप्रेषणीयता से संबंधित हो सकते हैं।

इस तथ्य के बावजूद कि ‘चिंता का कोई कारण नहीं है,’ माइक्रोबायोलॉजिस्ट ने राष्ट्रों से ‘कार्य करने, संचरण की श्रृंखला को अवरुद्ध करने, और गहन निगरानी करने और संदिग्ध मामलों को जल्दी से खारिज करन’ का आह्वान किया। मंकीपॉक्स एक दुर्लभ बीमारी है, जो शरीर के तरल पदार्थ के सीधे संपर्क में आने या दूषित कपड़ों या बेडशीट के संपर्क में आने से फैल सकती है।

पुर्तगाल ने अब तक 39 मामलों की पुष्टि की है, जिनमें 27 से 61 वर्ष की आयु के सभी रोगी हैं, जिनमें से अधिकांश 40 वर्ष से कम आयु के हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 7 मई को पहला मामला सामने आने के बाद से, मंगलवार तक, अफ्रीका के बाहर 19 देशों में 131 मंकीपॉक्स के मामले और 106 संदिग्ध मामले थे।

क्या हैं इसके लक्षण

मंकीपॉक्स के शुरुआती लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, सूजन और पीठ दर्द शामिल है। मरीजों में आमतौर पर बुखार आने के एक से तीन दिन बाद दाने निकल आते हैं, यह अक्सर चेहरे से शुरू होता है और शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाता है, जैसे हाथों की हथेलियों और पैरों के तलवों में और इन दाने में खुजली भी होता है। संक्रमण आमतौर पर दो से चार हफ्ते तक रहता है।

कैसे फैलता है मंकीपॉक्स

मंकीपॉक्स तब फैलता है जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति, जानवर या वायरस से संक्रमित के संपर्क में आता है। वायरस त्वचा, रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट या आंख, नाक और मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकता है। मानव-से-मानव में यह आमतौर पर रेस्पिरेटरी ड्रॉपलेट्स के माध्यम से फैलता है। पशु से इंसानों में यह काटने या खरोंच के माध्यम से फैल सकता है।

क्या है इसका इलाज

मंकीपॉक्स के लिए वर्तमान में कोई प्रमाणित और सुरक्षित इलाज नहीं है, हालांकि अधिकांश मामले हल्के होते हैं। जिन लोगों को वायरस से संक्रमित होने का संदेह है, उन्हें कमरे में अलग-थलग किया जा सकता है। रोगियों को अलग करने के लिए उपयोग किए जाने वाले स्थान और पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट का उपयोग करके हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स द्वारा निगरानी की जाती है। हालांकि, चेचक के टीके वायरस के प्रसार को रोकने में काफी हद तक प्रभावी साबित हुए हैं।

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बुखारेस्ट/नई दिल्ली (एजेंसी): यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद संकट में फंसे भारतीय छात्रों की सुरक्षित वापसी के लिए भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन गंगा’ अभियान को तेज कर दिया है। इस कड़ी में एयर इंडिया का एक विमान 219 भारतीयों को लेकर शनिवार को बुखारेस्ट से मुंबई पहुंच चुका है। केंद्र सरकार के भारतीयों को सुरक्षित निकालने के लिए अभियान चलाने की प्रशंसा करते हुए छात्रों ने वहां अपने हाथों में तिरंगा लेकर भारत सरकार को धन्यवाद किया है।

बता दें कि भारतीय नागरिक सड़क मार्ग से यूक्रेन-रोमानिया सीमा पर पहुंचे थे, उन्हें भारत सरकार के अधिकारी बुखारेस्ट ले गए ताकि उन्हें एयर इंडिया की उड़ान के जरिए स्वदेश लाया जा सके। अधिकारियों ने बताया कि पहली निकासी उड़ान एआई-1944 भारतीय समयानुसार दोपहर एक बजकर 55 मिनट पर बुखारेस्ट से रवाना हुई थी।

अधिकारियों ने बताया कि एयरलाइन की दूसरी निकासी उड़ान सुबह 11 बजकर 40 मिनट पर दिल्ली से रवाना हुई है। उन्होंने बताया कि दूसरी निकासी उड़ान एआई1942 के 250 और भारतीय नागरिकों को लेकर रविवार तड़के दिल्ली लौटने की उम्मीद है।

एयर इंडिया यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों को स्वदेश लाने के लिए बुखारेस्ट और हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट के लिए रविवार को और उड़ानें संचालित करेगी।

दरअसल गुरुवार को यूक्रेन के अधिकारियों ने यात्री विमानों के परिचालन के लिए अपने देश का हवाई क्षेत्र बंद कर दिया था, इसलिए भारतीयों को स्वदेश लाने के लिए ये उड़ानें बुखारेस्ट और बुडापेस्ट से परिचालित की जा रही हैं। अधिकारियों का कहना है कि यूक्रेन में फिलहाल करीब 20,000 भारतीय फंसे हुए हैं, जिनमें ज्यादातर विद्यार्थी हैं।

जय हिंद के साथ जताया आभार
बुखारेस्ट से एयर इंडिया के विमान में बैठने के बाद छात्राओं और छात्रों ने भारत माता की जय कर केंद्र सरकार का आभार जताया है। केंद्र सरकार द्वारा सभी भारतीयों को निशुल्क सुरक्षित वापसी की घोषणा के बाद से वहां फंसे सभी लोगों को सुरक्षित वापसी की उम्मीद जगी है।

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