आंध्र प्रदेश के कर्नूल में रविवार तड़के भीषण सड़क हादसा हुआ है. जिले के वेलढूर्ती मंडल के मधापुरम गांव के नजदीक एक मिनी बस लॉरी से जा टकराई जिसमें 14 लोगों की मौत हो गई है, जबकि कई लोग गंभीर रूप से घायल बताए जा रहे हैं. घायलों में कम-से-कम चार की हालत नाजुक बनी हुई है.

पीएम मोदी ने हादसे पर जताया दुख

वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे पर दुख जताया और घायलों के जल्द ठीक होने की कामना की है. जानकारी के मुताबिक यह हादसा रविवार तड़के लगभग चार बजे हैदराबाद-बंगलुरु राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक मिनी बस डिवाइडर से टकराने के बाद सामने आ रही लॉरी से जा टकराई. मिनी बस में 18 लोग सवार थे.

अब तक केवल चार मृतकों की हो पाई पहचान

टक्कर इतनी जबर्दस्त थी कि मिनी बस पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई और 14 लोगों ने घटनास्थल पर ही दम तोड़ दिया. शवों को क्रेन की मदद से निकाला गया. शव इतने क्षतिग्रस्त हालत में थे कि उन्हें पहचानने में मुश्किलें पेश आ रही हैं. अभी तक सिर्फ चार मृतकों की पहचान हो पाई है जिसमें यास्मिन (12), कासिम (14), आस्मा (36) और मुस्ताक (42) शामिल हैं. सभी शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है.

सभी मृतक एक ही परिवार के

मरने वाले सभी एक ही परिवार के बताये जा रहे हैं. इनकी पहचान चित्तूर जिले के मदनपल्ले निवासी के रूप में हुई है. ये सभी एक मिनी बस में सवार होकर अजमेर शरीफ के लिए निकले थे. पुलिस की तरफ से मृतक के परिजनों को हादसे की जानकारी दे दी गयी है.

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Chennai: चेन्नई में एक समारोह के दौरान सेना प्रमुख जनरल एम.एम. नरवणे को पहला स्वदेशी अर्जुन मार्क- 1ए मुख्य युद्धक टैंक (एमबीटी) सौंपा.

इस टैंक को डीआरडीओ द्वारा विकसित किया गया है. गौरतलब हो बीते साल जैसलमेर सीमा पर जवानों के साथ दीपावली मनाने के बाद जब प्रधानमंत्री मोदी ने अर्जुन टैंक पर सवारी की थी, तभी लम्बे समय से लंबित चले आ रहे अर्जुन एमके-1ए टैंक के जल्द ही पूरा होने के संकेत मिल गए थे.

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New Delhi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को चेन्नई में एक समारोह के दौरान सेना प्रमुख जनरल एम.एम. नरवणे को पहला स्वदेशी अर्जुन मार्क- 1ए मुख्य युद्धक टैंक (एमबीटी) सौंपेंगे.

बता दें इस टैंक को डीआरडीओ द्वारा विकसित किया गया है। गौरतलब हो बीते साल जैसलमेर सीमा पर जवानों के साथ दीपावली मनाने के बाद जब प्रधानमंत्री मोदी ने अर्जुन टैंक पर सवारी की थी, तभी लम्बे समय से लंबित चले आ रहे अर्जुन एमके-1ए टैंक के जल्द ही पूरा होने के संकेत मिल गए थे. उसी समय उन्होंने ‘लोकल फॉर वोकल’ का साफ संदेश भी दिया था.

अर्जुन एमबीटी के अंतिम बैच के उत्पादन के लिए औपचारिक रूप से आदेश देने का रास्ता हो जाएगा साफ

इसी के साथ 6,600 करोड़ रुपये के अर्जुन एमबीटी के अंतिम बैच के उत्पादन के लिए औपचारिक रूप से आदेश देने का रास्ता साफ हो जाएगा. मुख्य बैटल टैंक (एमबीटी) अर्जुन कॉम्बैट वाहन अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (सीवीआरडीई) के साथ डीआरडीओ का एक बहु-प्रयोगशाला कार्यक्रम है, जिसमें मुख्य प्रयोगशाला है. यह बेहतर अग्नि शक्ति, उच्च गतिशीलता और उत्कृष्ट सुरक्षा के साथ एक अत्याधुनिक टैंक है. एमबीटी अर्जुन के बारह एमके 1 प्रोटोटाइप का निर्माण किया गया है और उनके प्रदर्शन परीक्षणों ने संतोषजनक परिणाम प्रदान किए हैं. MBT अर्जुन के विकास के दौरान CVRDE द्वारा हासिल की गई कुछ सफलताएं इंजन, ट्रांसमिशन, ह्य्द्रोपन्यूमाटिक सस्पेंशन, सस्पेंशन, हल और टुर्रेट और गन कंट्रोल सिस्टम में हैं.

सैनिकों के साथ लोंगेवाला में दिवाली मना ने गए पीएम मोदी ने इसी टैंक पर की थी सवारी

अर्जुन टैंक को डीआरडीओ के कॉम्बैट व्हीकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (सीवीआरडीई) ने डिजाइन किया है. डीआरडीओ के चेयरमैन जी सतीश रेड्डी प्रधानमंत्री मोदी को पहला अर्जुन मार्क – 1ए सौंपेंगे. टैंक का निर्माण ऑर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड (ओएफबी) के हेवी व्हीकल फैक्ट्री अवाडी द्वारा किया जाएगा. सरकार से अनुबंध पर हस्ताक्षर होने के 30 महीनों के भीतर पांच एमबीटी का पहला बैच सेना को सौंप दिया जाएगा.

अर्जुन युद्धक टैंक पूरी तरह से स्वदेश निर्मित है जिसे पहली बार 2004 में अर्जुन टैंक को भारतीय सेना में शामिल किया गया था. मौजूदा समय में सेना के पास 124 अर्जुन टैंक की दो रेजिमेंट हैं, जिन्हें जैसलमेर में भारत-पाकिस्तान की सीमा पर तैनात किया गया है. प्रधानमंत्री मोदी जब नवम्बर में सैनिकों के साथ दिवाली मना ने पाकिस्तान से लगी जैसलमेर (राजस्थान) के लोंगेवाला सीमा पर गए थे तो उन्होंने जिस अर्जुन टैंक की सवारी की थी, उसी का यह उन्नत संस्करण एमके-1ए है.

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New Delhi: दिल्ली समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में शुक्रवार रात करीब 10:34 में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. भूकंप के झटके पंजाब, हरियाणा, हिमांचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और दिल्ली में महसूस किए गए.

भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.1 मापी गयी. इसका केंद्र  तजाकिस्तान में था.

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार शाम दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद मीडिया से बात करते हुए बिहार में रोजगार को लेकर बड़ा दिया. उन्होंने कहा कि बिहार में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. चाहे वो सरकारी हो या गैरसरकारी क्षेत्र दोनों में अवसर बढ़ेंगे. लोगों को मौका मिलेगा. हम उसी दृष्टिकोण से काम कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि हम लोगों ने जो कहा है उसे सिद्ध किया है. एक सवाल के जवाब में कहा कि जब हम लोगों को मौका मिला, उसके पहले के लोग कहां किसी को रोजगार देते थे. अब कितने लोगों को रोजगार मिला है आप देख सकते हैं. चाहे वो सरकार क्षेत्र हो या कुछ और.

सीएम नीतीश ने कहा कि आप बिहार पुलिस में महिलाओं की भागीदारी की स्थिति देखिए. आज क्या स्थिति है. बिहार में जनप्रतिनिधियों में भी महिलाओं की स्थिति देखिए. किसी से किसी से छिपा नहीं है. कहा कि आज कल इन दिनों पॉजिटिव चीजों को किनारे कर के कुछ कुछ करता है. वो जब 15 साल रहे थे तो कुछ किए थे?

पीएम मोदी से मुलाकात के बाद सीएम नीतीश ने कहा कि यह औपचारिक मुलाकात थी. सीएम ने कहा कि सड़क से लेकर अन्य कई चीजों में केंद्र की महत्वपूर्ण भूमिका है और इस पर पहले से बातचीत होती रही है. लेकिन प्रधानमंत्री से आज की मुलाकात औपचारिक मुलाकात थी. उन्होंने कहा कि बिहार चुनाव के बाद मुझे आकर मिलना ही था, उसी को लेकर आये हैं. कोरोना से पहले भी हम दिल्ली आये थे. अब तो आने-जाने की शुरुआत हो गयी है.

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New Delhi: राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर के चार सदस्य गुलाम नबी आजाद, शमशेर सिंह, मीर मोहम्मद फैयाज और नजीर अहमद का कार्यकाल आज समाप्त हो गया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को राज्यसभा में चारों सदस्यों के साथ कार्यकाल समाप्ति के बाद विदाई देते हुए भावुक हो उठे। जिसके बाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद भी अपने विदाई भाषण में भावुक हो गये। इस दौरान उन्होंने कश्मीर से आतंकवाद के खात्मे की कामना की और कहा कि वो खुश किस्मत हैं कि उन्हें पाकिस्तान जाने का मौका नहीं मिला। उन्हें एक हिंदुस्तानी मुसलमान होने पर गर्व है।

भारतीय मुसलमान होने पर गर्व
राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित अन्य नेताओं के विदाई वक्तव्य के बाद गुलाम नबी आजाद ने अपने संबोधन में कहा कि उनका जन्म जम्मू में हुआ लेकिन उनकी शिक्षा कश्मीर में हुई। उन्होंने वह दौर भी देखा है जब वहां पाकिस्तान की आजादी के दिन 14 अगस्त को जश्न मनाया जाता था। तब वह उन गिने-चुने लोगों में से होते थे जो भारत का गणतंत्र दिवस मनाते थे। आज वह जब पाकिस्तान की ओर देखते हैं तो उन्हें भारतीय मुसलमान होने पर गर्व महसूस होता है।

सौभाग्यशाली हूं, जो कभी पाकिस्तान नहीं गया
आजाद ने कहा, “मैं कभी पाकिस्तान नहीं गया और मुझे लगता है कि मैं भाग्यशाली हूं। मैं उन सौभाग्यशाली लोगों में से हूं, जो कभी पाकिस्तान नहीं गए। जब मैं पाकिस्तान में परिस्थितियों के बारे में पढ़ता हूं, तो मुझे हिंदुस्तानी मुसलमान होने पर गर्व महसूस होता है।” आजाद ने अपने भाषण में उन क्षणों का जिक्र किया जब वह संजय गांधी, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के निधन पर बहुत रोए थे। ओडिशा में बाढ़ के दौरान हालात देखकर और जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले में गुजरात के लोगों की मौत पर भी वह बहुत रोए थे। गुजरात के लोगों पर आतंकी हमले का जिक्र आते ही वह भावुक हो गए और कहा कि आज वह यही दुआ करते हैं कि इस देश से आतंकवाद खत्म हो जाए।

उजड़े आशियाने के लिए फिर से प्रयास करना होगा
कश्मीरी पंडितों का जिक्र करते हुए आजाद ने कहा कि उजड़े आशियानों के लिए आज हमें फिर से प्रयास करना है। उन्होंने कहा, “गुजर गया वो जो छोटा सा एक फसाना था, फूल थे चमन था आशियाना था। न पूछ उजड़े नशेमन की दांस्तां, मत पूछ कि चार तिनके थे लेकिन आशियाना तो था।” उन्होंने सदन से अलग होने के बाद भी मिलते रहने तथा याद किए जाने को लेकर आशा व्यक्त करते हुए कहा, “दिल ना उम्मीद तो नहीं, नाकाम ही तो है, लम्बी है गम की शाम, मगर शाम ही तो है।”

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New Delhi: राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद और अन्य तीन सदस्यों के कार्यकाल समाप्ति के बाद विदाई दी गयी. जम्मू-कश्मीर के चार सदस्य गुलाम नबी आजाद, शमशेर सिंह, मीर मोहम्मद फैयाज और नजीर अहमद का कार्यकाल समाप्त हो गया.

इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुलाम नबी आजाद के कार्यकाल को याद कर भावुक हो उठे. उन्होंने एक वाकया याद करते हुए गुलाम नबी आजाद की कर्तव्य निष्ठा और मानवीय संवेदनाओं को सलाम किया. इस अवसर पर अपने विदाई संदेश में प्रधानमंत्री ने कहा कि वह अपने अनुभव और विचारों से उन्हें आने वाले समय में भी सहयोग देते रहेंगे, ऐसी वह कामना करते हैं.

प्रधानमंत्री ने संबोधन की शुरुआत में कहा “सदन में जीवंतता लाने वाले और सदन के माध्यम से जनसेवा में रत, ऐसे चार हमारे साथी, कार्यकाल पूरा होने पर, नए कार्य की ओर प्रवृत्त हो रहे हैं.”

पीएम मोदी ने इन चारों सदस्यों की राज्यसभा से विदाई के मौके पर कहा “इस सदन की शोभा बढ़ाने के लिए, आपके अनुभव और ज्ञान का सदन और देश को लाभ देने के लिए और अपने क्षेत्र की समस्याओं के समाधान के लिए जो आपने कार्य किया है, उसके लिए मैं आपका धन्यवाद करता हूं.”

नेता-प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद के साथ अपने संस्मरणों को बताते हुए सदन में भावुक हुए प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेता-प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद की विदाई के मौके पर सदन को संबोधित किया. उस दौरान उन्होंने कहा कि पद और सत्ता जीवन में आते रहते हैं, पर उसको पचाना… ये कहकर प्रधानमंत्री ने नेता प्रतिपक्ष को सलाम किया और भावुक हो गए.

गुलाम नबी जी का घटना और अनुभवों के आधार पर मैं आदर करता हूं

पीएम मोदी ने कहा, “गुलाम नबी जी का घटना और अनुभवों के आधार पर मैं आदर करता हूं. मुझे पूरा विश्वास है, उनकी सौम्यता, उनकी नम्रता, देश के लिए कुछ कर गुजरने की उनकी कामना, वो कभी उनको चैन से बैठने नहीं देगी. वे जहां भी, जो भी दायित्व संभालेंगे, देश उससे लाभान्वित होगा.

एक आतंकी घटना के बाद, गुलाम नबी आजाद के साथ फोन पर हुई चर्चा का उल्लेख करते हुए भावुक हुए पीएम

प्रधानमंत्री जम्मू-कश्मीर में एक आतंकी घटना के बाद, गुलाम नबी आजाद के साथ फोन पर हुई चर्चा का उल्लेख करते हुए सदन में भावुक हो गए. उन्होंने कहा कि घटना के बाद, गुलाम नबी जी ने परिवार के सदस्यों की जैसी चिंता की जाती है, वैसे ही गुजरात के उन यात्रियों की चिंता की.

गुलाम नबी आजाद की इस बात को याद कर सदन में भावुक हुए पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदन को बताया कि जब गुलाम नबी आजाद एक मुख्यमंत्री थे तब मैं भी एक राज्य के मुख्यमंत्री के नाते काम करता था. उस काल खंड में हमारी बहुत गहरी निकटता रही है. शायद ही कोई ऐसी घटना मिल सकती है जिसमें कि हमारे बीच कोई सम्पर्क सेतु न रहा हो. एक बार जम्मू कश्मीर में गुजरात के यात्रियों पर आतंकियों ने हमला कर दिया. उस घटना में करीब 8 लोग मारे गए थे. सबसे पहले गुलाम नबी जी का मुझे फोन आया.

वह फोन सिर्फ सूचना देने का नहीं था. फोन पर उनके आंसू रुक नहीं रहे थे। उस समय प्रणब मुखर्जी रक्षा मंत्री थे मैंने उन्हें फोन किया और शवों को फोर्स के हवाई जहाज से लाने का आग्रह किया. देर रात प्रणब मुखर्जी ने मुझे कहा कि मैं व्यवस्था करता हूं आप इसकी चिंता मत कीजिए. इसके बाद मुझे फिर से गुलाम नबी जी का फोन आया वे उस रात को एयरपोर्ट पर थे. मैंने देखा जैसे कोई अपने परिवार की चिंता कर रहा हो ठीक वैसी चिंता मुझे उनमें दिखाई दी.

प्रधानमंत्री ने कहा, “पद और सत्ता जीवन में आती-जाती रहती है लेकिन उसे कैसे पचाना है…( उन्होंने हाथ से सालाम किया).”

एकबार गुलाम नबी आजाद ने पत्रकारों को कहा था कि हम सब एक परिवार की तरह हैं

प्रधानमंत्री ने एक और वाकया याद किया और बताया कि संसद में एकबार उनके साथ आजाद जी ने पत्रकारों को कहा था कि हम सब एक परिवार की तरह हैं. प्रधानमंत्री ने बताया कि उनकी ही सलाह पर कोरोना काल में उन्होंने सभी पार्टी के नेताओं की बैठक बुलाई थी.

ऐतिहासिक क्षण जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के भी साक्षी बने ये चार नेता

प्रधानमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से आने वाले ये चार नेता अपने कार्यकाल के दौरान एक ऐतिहासिक क्षण जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के भी साक्षी बने हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि वह चारों सदस्यों की सदन की शोभा बढ़ाने, उसे जीवंत बनाने और यहां रहकर समाज सेवा में योगदान करने के लिए वह सभी का धन्यवाद करते हैं.

उन्होंने कहा कि मीर मोहम्मद फैयाज और नजीर अहमद ने कई बार उन्हें कश्मीर की वास्तविक स्थिति और समस्याओं से अवगत कराया है. वहीं शमशेर सिंह के साथ उनका पुराना नाता रहा है और वह उनके साथ कार्यकर्ता रहते हुए स्कूटर पर भी घूमे हैं.

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को राज्यभा में अपने भाषण में कहा कि कृषि कानून अच्छे कानून हैं और इन्हें लागू करने का यह सही समय है. उन्होंने किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील की और कहा कि ‘आंदोलनकारियों को समझाते हुए देश को आगे ले जाना होगा. आओ मिलकर चलें. अच्छा कदम है, किसी न किसी को करना था. मैंने किया है, गालियां मेरे हिस्से में जा रही हैं, जाने दो. कृषि मंत्री लगातार काम कर रहे हैं. एक-दूसरे को समझने-समझाने की जरूरत है.’


PM ने कहा कि ‘किसान आंदोलन कर रहे हैं और यह उनका हक है लेकिन वहां बुजुर्ग बैठे हुए हैं, अच्छी बात नहीं है. उन्हें वापस ले जाइए. हम मिलकर बैठकर बात करेंगे. मैं बार-बार कह रहा हूं. हम सब मिल-बैठकर बात करने को तैयार हैं. मैं आज सदन से भी निमंत्रण देता हूं. पीएम ने किसानों को आश्वासन भी दिया कि ‘MSP था, MSP है और MSP रहेगा. हमें भ्रम नहीं फैलाना चाहिए.’

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New Delhi: उत्तराखंड के चमोली जिले में आज ग्लेशियर टूटने की घटना के बाद से उत्पन्न हालात के बारे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से बात की और हरसंभव मदद मुहैया कराने का भरोसा दिया.

पीएम मोदी ने बचाव और राहत कार्य का जायजा लिया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज असम में हैं. उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत और वरिष्ठ अधिकारियों से फोन पर बात की और ताजा हालात की जानकारी ली. प्रधानमंत्री कार्यालय ने बयान जारी कर बताया, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से बात की. उन्होंने बचाव और राहत कार्य का जायजा लिया है. अधिकारी प्रभावित लोगों को हर संभव मदद प्रदान करने के लिए काम कर रहे हैं.”

गृह मंत्री अमित शाह ने भी मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से की बात

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से बात की. उन्होंने आपदा की इस घड़ी में राज्य को हरसंभव मदद मुहैया कराने का भरोसा दिया. बाद में उन्होंने ट्वीट किया, “उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा की सूचना के सम्बंध में मैंने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, डीजी आईटीबीपी और डीजी एनडीआरएफ से बात की हैं. सभी सम्बंधित अधिकारी लोगों को सुरक्षित करने में युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं. एनडीआरएफ की टीमें बचाव कार्य के लिए निकल गयी हैं. देवभूमि को हर सम्भव मदद दी जाएगी. एनडीआरएफ की कुछ और टीमें दिल्ली से एयर लिफ्ट करके उत्तराखंड भेजी जा रही हैं. हम वहां की स्थिति को निरंतर मॉनिटर कर रहे हैं.”

नंदप्रयाग से आगे अलकनंदा नदी का बहाव सामान्य

उधर, हेलीकॉप्टर से दोपहर बाद चमोली पहुंचे मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने जानकारी दी है, “राहत की खबर ये है कि नंदप्रयाग से आगे अलकनंदा नदी का बहाव सामान्य हो गया है. नदी का जलस्तर सामान्य से अब 1 मीटर ऊपर है लेकिन बहाव कम होता जा रहा है. राज्य के मुख्य सचिव, आपदा सचिव, पुलिस अधिकारी एवं मेरी समस्त टीम आपदा कंट्रोल रूम में स्थिति पर लगातार नज़र रख रही है। ग्लेशियर फटने से वहां बन रहे बांध को क्षति पहुंची है. मानवक्षति के बारे में अभी अधिकृत तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता है. पानी की तीव्रता चमोली तक आते-आते काफी कम हो गई है.”

आईटीबीपी को सुबह 10 बजे ऋषि गंगा के ऊपर अचानक पानी का बहाव बढ़ने की मिली थी सूचना

इस बीच आईटीबीपी के प्रवक्ता ने बताया, “आईटीबीपी को सुबह 10 बजे के पास सूचना मिली थी कि ऋषि गंगा के ऊपर अचानक पानी का बहाव बढ़ गया और जोरों की आवाज आई. वहां कुछ मजदूर काम कर रहे थे. हम स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर कार्रवाई कर रहे हैं. हमने 200 से ज़्यादा जवानों को तैनात किया है. स्थिति नियंत्रण में है.”

चमोली और जोशीमठ के आसपास ग्लेशियर फटने से बांध पर असर

एनडीआरएफ के डीजी एसएन प्रधान के अनुसार चमोली और जोशीमठ के आसपास ग्लेशियर फटने से बांध पर असर हुआ है. ग्लेशियर ऋषिगंगा पर आकर गिरा है, बीआरओ द्वारा जो ब्रिज बनाया जा रहा था, उस पर भी असर हुआ है. एसडीआरएफ और आईटीबीपी पहले से जोशीमठ में है. हम एनडीआरएफ की 3-4 टीमों को रवाना कर रहे हैं.

वायुसेना के एयरक्राफ्ट से एनडीआरएफ की टीम को रेस्क्यू के लिए ले जाया जा रहा है

इंडियन एयरफोर्स के सी-130 और एएन-32 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट से एनडीआरएफ की टीम को रेस्क्यू के लिए ले जाया जा रहा है, इन्हें जॉलीग्रांट से एयरलिफ्ट किया गया है. भारतीय सेना ने बाढ़ से निपटने के लिए उत्तराखंड सरकार और एनडीआरएफ को समर्थन देने के लिए हेलीकॉप्टरों और सैनिकों को तैनात किया है. ऋषिकेश के निकट सैन्य स्टेशन सक्रिय रूप से स्थानीय प्रशासन के साथ बचाव और राहत कार्यों के समन्वय में शामिल है. सेना मुख्यालय निरंतर स्थिति की निगरानी कर रहा है.

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New Delhi: भारत तिब्बत सीमा क्षेत्र में ग्लेशियर टूटने से भारी तबाही की सूचना है। जानकारी मिली है कि धौली गंगा में जलस्तर में भारी बढ़ोतरी से बड़ी संख्या में लोगों के बह जाने का अंदेशा है। हादसे में चमोली-ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट को भारी नुकसान होने की बात सामने आई है। तपोवन बैराज पूरी तरह ध्वस्त होने की सूचना मिल रही है। नदी के किनारे बसे तमाम इलाकों में अलर्ट जारी कर मुनादी करायी जा रही है।

एनडीआरएफ के अधिकारी व कर्मचारी पहुंचे मौके पर

घटना पर जिला प्रशासन व एनडीआरएफ के अधिकारी व कर्मचारी पहुंच गए हैं। राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आपदा प्रबंधन सचिव और चमोली के जिलाधिकारी से घटना की जानकारी लेकर जरूरी निर्देश दिये हैं।

10:55 बजे जोशीमठ थाना द्वारा रैणी गांव में ग्लेशियर टूटने की सूचना दी गयी

एनडीआरएफ के जोशीमठ पोस्ट के हेड कांस्टेबल मंगल सिंह ने बताया कि 10:55 बजे जोशीमठ थाना द्वारा रैणी गांव में ग्लेशियर टूटने की सूचना दी गयी जिसके बाद तत्काल टीम को घटनास्थल के लिए रवाना कर दिया गया।

तीन सौ से अधिक लोगों के धौली गंगा में बह जाने के आशंका

जानकारी के मुताबिक इस घटना में तीन सौ से अधिक लोगों के धौली गंगा में बह जाने के अनुमान है. इससे चमोली-ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट को भारी नुकसान पहुंचा है। पूरे इलाके में इससे अफरातफरी की स्थिति देखी जा रही है। इस ताजा घटनाक्रम के बाद प्रशासन ने जिले भर में नदी तट पर बसे तमाम गांवों और शहरों को अलर्ट जारी कर दिया है। हालांकि प्रशासन द्वारा अभी तक किसी के जानमाल के नुकसान की पुष्टि नहीं की गई है.

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New Delhi: केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने अपनी प्रथम महिला वाहिनी ‘88’ के स्थापना दिवस पर अपने विशेष बल ‘कोबरा’ में महिला कर्मिकों की तैनाती को स्वीकृति प्रदान की है। सीआरपीएफ का यह कदम महिला सशक्तिकरण के प्रति अपने संकल्प को आगे बढ़ाते हुए नक्सल विरोधी अभियान को और मजबूती दी है।

महिला योद्धाओं का सशक्त एवं सुनहरा इतिहास

सीआरपीएफ के महानिदेशक डॉ. एपी माहेश्वरी ने शनिवार को कहा कि बल में महिला योद्धाओं का सशक्त एवं सुनहरा इतिहास है जिन्होंने न केवल भारत में बल्कि संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न शांति अभियानों में भाग लेकर विदेशी धरती पर अपना लोहा मनवाकर राष्ट्र को गौरवान्वित किया है। उन्होंने कहा कि जहां एक ओर महिलाओं का बल में होना बल में विविधता लाता है वहीं दूसरी ओर सशक्त नारी के द्वारा ही सशक्त परिवार की उत्पत्ति होती है जिससे सशक्त राष्ट्र बनता है।

34 महिला को 3 माह की कड़ी कोबरा प्री-इन्डक्शन ट्रेनिंग दी जाएगी

डॉ. माहेश्वरी के अनुसार प्रथम संपूर्ण महिला ब्रास बैंड गठित कर सांस्कृतिक क्षेत्र में भी उनकी भूमिका बढ़ाई जा रही है। सभी 06 महिला बटालियनों की 34 महिला कार्मिक आज ‘कोबरा’ में सम्मिलित हो रहीं हैं जिनको 03 माह की कड़ी कोबरा प्री-इन्डक्शन ट्रेनिंग दी जाएगी। इस प्रशिक्षण में इन्हें विशेष हथियारों को चलाने, सामरिक योजना बनाने, फील्ड़ क्राफ्ट्स, विस्फोटकों को जानने, जंगल में जीवित रहने की कला आदि सिखाई जाएगी जिससे इनकी शारीरिक क्षमता और सामरिक कौशल में वृद्धि होगी। इन महिला कार्मिकों का प्रशिक्षण पूर्ण होने के बाद इन्हें पुरुष कार्मिकों के साथ नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा। ब्रास बैंड में शामिल हो रही महिला कार्मिकों को संगीत वाद्ययंत्रों पर अपेक्षित कौशल प्राप्त करने के लिए एक प्रशिक्षण पाठ्यकम से गुजरना होगा। ज्ञात हो कि बल में पहले से ही महिला पाईप बैंड भी है।

महिला वाहिनी का गठन

सीआरपीएफ के प्रवक्ता एम दिनाकरन ने बताया कि 1986 में आज ही के दिन 88वीं महिला वाहिनी का गठन किया गया, जिसने आज राष्ट्रसेवा में सफल एवथ स्वर्णिम 34 वर्ष पूर्ण किए हैं। इसने देश के सभी भू-भागों में अपनी सेवाएं दी हैं। संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। प्रवक्ता के अनुसार सात बहादुर शेरनियों ने कर्तव्य की वेदी पर सर्वोच्च बलिदान देकर अपने आपको अमर कर लिया है। बटालियन की महिला योद्धओं ने वीरता के कई रिकार्ड बनाए हैं जिसके फलस्वरूप उन्हें अनेक वीरता पदकों के साथ शांतिकाल का सर्वोच्च वीरता पदक ‘अशोक चक्र’ भी प्रदान किया गया है।

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देश भर में महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती का वर्ष मनाया जा रहा है। इसी के तहत नेता जी के सम्मान में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने समग्र शिक्षा के तहत वित्त पोषित आवासीय विद्यालयों और छात्रावासों का नाम “नेताजी सुभाष चंद्र बोस आवासीय विद्यालय अथवा छात्रावास” रखने का निर्णय लिया है।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस रेजिडेंशियल स्कूल अथवा छात्रावास रखने का निर्णय

दरअसल केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालय नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती वर्ष के मद्देनजर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। इसी क्रम में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत सभी को समावेशी एवं गुणवत्तापरक शिक्षा उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के कुल 1063 आवासीय सुविधाओं (383 आवासीय विद्यालय और 680 छात्रावास) का नाम बदल कर नेताजी सुभाष चंद्र बोस रेजिडेंशियल स्कूल अथवा छात्रावास रखने का निर्णय लिया है। यह सभी विद्यालय शिक्षा मंत्रालय की समग्र शिक्षा योजना के तहत वित्त पोषित हैं।

देश में कुल 383 आवासीय विद्यालय और 680 छात्रावास

383 आवासीय विद्यालयों में सबसे अधिक अरुणाचल प्रदेश 155, छत्तीसगढ़ 67, तेलंगाना 33, झारखंड 25, तमिलनाडु 13, पश्चिम बंगाल 12 और मध्य प्रदेश 11 हैं। छात्रावास सबसे अधिक मध्य प्रदेश में 390, अरुणाचल प्रदेश 54, छत्तीसगढ़ 39, राजस्थान 34, पश्चिम बंगाल 19, ओडिसा 18, झारखंड 16, त्रिपुरा और आंध्र प्रदेश 14-14, मिजोरम और नगालैंड में 11-11 हैं।

बच्चों को मिलेगी प्रेरणा

मंत्रालय के अनुसार नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ इन स्कूलों का जुड़ाव बच्चों के लिए एक प्रेरणा के रूप में कार्य करेगा और शिक्षकों, कर्मचारियों और प्रशासन को भी प्रेरित करेगा कि वे उच्च स्तर की उत्कृष्टता हासिल कर सकें। यह कठिन क्षेत्रों में इन आवासीय विद्यालयों और छात्रावासों की सुविधा के बारे में जागरूकता पैदा करने में मदद करेगा और इन विद्यालयों को गुणवत्ता शिक्षा के उच्च मानकों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करेगा।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने दी जानकारी

मंत्रालय के इस निर्णय पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने शुक्रवार को कहा, “शिक्षा मंत्रालय ने कम आबादी वाले खासकर आदिवासी क्षेत्रों में जहां स्कूल खोलना मुश्किल है, ऐसे शहरी बच्चों को जिन्हें देखभाल की विशेष आवश्यकता है, उनके लिए समग्र शिक्षा योजना के तहत राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को आर्थिक सहायता प्रदान की है, ताकि वो आवासीय विद्यालय एवं छात्रावास खोल सकें। हमनें नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए यह निर्णय लिया है कि इन आवासीय विद्यालयों एवं छात्रावासों का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस रेजिडेंशियल स्कूल रखा जाएगा।”

उन्होंने कहा कि देश भर में कुल 383 स्कूल एवं 680 हॉस्टलों का नाम बदला जाएगा। इसके अलावा यह सभी संस्थान कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों के लिए बनाए गए नियमों का पालन करेंगे और उनके जैसी गुणवत्ता प्राप्त करने के लिए प्रयास करेंगे।

निशंक ने कहा, “नेताजी का नाम ना सिर्फ छात्रों बल्कि शिक्षकों, अन्य स्टाफ के सदस्यों को और स्कूलों के प्रशासन को गुणवत्ता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करेगा।”

इन सभी स्कूलों में नियमित करिकुलम के अलावा विशिष्ट कौशल प्रशिक्षण, सेल्फ-डिफेन्स, इत्यादि का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को हुआ था। उन्होंने आजाद हिंद फौज का गठन कर भारत की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आज़ाद हिन्द फ़ौज (आईएनए) के 60 हजार सैनिकों में से 26 हजार सैनिकों ने देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया था।

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