Chhapra: कला संस्कृति एवं युवा विभाग एवम सारण जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिवसीय राज्य स्तरीय युवा महोत्सव का शुभारंभ बुधवार को होगा।आयोजन शहर के प्रेक्षागृह और राजेन्द्र स्टेडियम में होगा।

युवा उत्सव का उद्घाटन मुख्य अतिथि कला संस्कृति एवम युवा विभाग के मंत्री जितेंद्र कुमार राय करेंगे।

युवा उत्सव में 1500 से अधिक युवा प्रतिभागी अपना दमखम दिखाएंगे। जिसमें पेंटिंग, गायन, वादन, शास्त्रीय नृत्य, हस्तशिल्प, फोटोग्राफी, मूर्तिकला, लोककथा, लघु नाटक और चित्रकला विधा के कलाकारों की प्रस्तुति होगी।

तीन दिवसीय युवा महोत्सव के सफल आयोजन हेतु वरीय पदाधिकारी की अध्यक्षता में विभिन्न समितियों का गठन किया गया है। आयोजन को सफलतापूर्वक सम्पन्न कराने हेतु महत्वपूर्ण निदेश दिये गये है।

इस आशय की जानकारी जिला जनसंपर्क पदाधिकारी ने दी।

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फिल्मों के साथ ओटीटी प्लेटफॉर्म का भी महत्व बढ़ रहा है। कई फिल्में और सीरियल सीधे ओटीटी पर रिलीज होते हैं और बेहद लोकप्रिय होते हैं। इस प्लेटफॉर्म पर रिलीज होने वाली फिल्में और सीरियल भी नए चेहरे लेकर आते हैं। कई बॉलीवुड कलाकार ओटीटी में अपनी किस्मत आजमा चुके हैं। सैफ अली खान, मनोज बाजपेयी से लेकर शाहिद कपूर तक कई सितारे अब ओटीटी का रुख कर रहे हैं।

इस बार भी फिल्मफेयर का ओटीटी अवॉर्ड समारोह हाल ही में आयोजित किया गया। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता आलिया भट्ट ने इस साल के ओटीटी पुरस्कार भी जीते हैं, जबकि मनोज बाजपेयी की ”सिर्फ एक बंदा काफी है” ने भी अच्छे पुरस्कार जीते हैं। आईए जानते हैं कि फिल्मफेयर ओटीटी अवॉर्ड्स 2023 में किसे अवॉर्ड मिला।

फिल्मफेयर ओटीटी पुरस्कार 2023
सर्वश्रेष्ठ अभिनेता: मनोज बाजपेयी (फिल्म: सिर्फ एक बंदा काफी है)
सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री: आलिया भट्ट (फिल्म: डार्लिंग्स)
सर्वश्रेष्ठ डेब्यू: राजश्री देशपांडे (सीरीज: ट्रायल बाय फायर)
सर्वश्रेष्ठ निर्देशक: अपूर्वा सिंह कार्की (फिल्म: सिर्फ एक बंदा काफी है)
सर्वश्रेष्ठ फिल्म: सिर्फ एक बंदा काफी है
सर्वश्रेष्ठ निर्देशक: विक्रमादित्य मोटवाने (सीरीज: जुबली)
सर्वश्रेष्ठ सीरीज: स्कूप
सर्वश्रेष्ठ अभिनेता समीक्षक: विजय वर्मा (दहाड़)
सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री समीक्षक: करिश्मा तन्ना (स्कूप) और सोनाक्षी सिन्हा (दाहाद)
सर्वश्रेष्ठ निर्देशक आलोचक: रणदीप झा (श्रृंखला:कोहरा)

इसके साथ ही शेफाली शाह ने ”डार्लिंग्स” के लिए और अमृता सुभाष ने ”द मिरर” और ”लस्ट स्टोरीज 2” के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का पुरस्कार जीता।

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Chhapra: छठ पूजा के अवसर पर कई गीत रिलीज होते हैं। जिसमें से कुछ खास होते हैं। ऐसा ही एक गीत लेकर आए है छपरा के रहने वाले अभिषेक अरुण। 

अभिषेक बताते हैं कि वे 2018 से छठ के अवसर पर गीत की प्रस्तुति करते आए हैं। इन छठ गीतों में स्थानीय मुद्दों को भी शामिल करते हैं। वीडियो की खास बात ये होती है कि इसके सभी कलाकार प्रोफेशनल नहीं बल्कि आम लोग होते हैं।

इस बार दो बच्चों संस्कृति और स्पर्श आनंद वीडियो में दिख रहे हैं। दोनो हीं बच्चों ने बेहतरीन काम किया है।  वीडियो रेडियो मयूर के बैनर तले रिलीज किया गया है। म्यूजिक डायरेक्टर अप्रतिम त्रिपाठी हैं। जबकि बांसुरी अतुल शंकर, गिटार उत्कर्ष श्रीवास्तव ने बजाया है। म्यूजिक वीडियो की कहानी सुष्मिता पल्लवी द्वारा लिखी गई है।  कैमरा जिया ने किया है। गीत के बोल लिखे हैं अभिषेक अरुण ने और पूरा वीडियो इन्हीं के निर्देशन में बना है।

वीडियो की शुरुआत होती है दो बच्चों की कहानी से जिसमें एक बच्चे के यहां छठ होता है दूसरे के यहां नहीं । दूसरी बच्ची जो होती है वो अपने घर जाकर अपने पापा से छठ का महत्व क्या है ये इतना जरूरी क्यों है कि सभी लोग बिजी हो जाते हैं? ये सब पूछती है। पापा को कोई जवाब नहीं सूझता और वो उसे छठ दिखा कर समझाना चाहते थे। वो अपनी बहन के यहां जाते हैं बच्ची को लेकर और छठ दिखाते हैं। बच्ची खुश होती है और वापसी में पापा से पूछती है की पापा हमारे घर छठ कब होगा।

इस वीडियो का मूल है कि छठ की महिमा बताकर नहीं जानी जा सकती। बच्चों को दिखाया जाना चाहिए।

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बॉलीवुड के प्रिय अभिनेताओं में शुमार सनी देओल ने तीन दशक में कई सुपरहिट फिल्में दी हैं। कुछ महीने पहले रिलीज हुई सनी देओल की ‘गदर-2’ ने बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड तोड़ कमाई की थी। अब खबर आई है कि सनी देओल नितेश तिवारी की फिल्म ‘रामायण’ में हनुमान का किरदार निभाएंगे। कहा जाता है कि इस रोल के लिए सनी ने काफी बड़ी रकम ली है।

जानकारी के अनुसार फिल्म ‘रामायण’ में ‘हनुमान’ के किरदार के लिए सनी देओल को कास्ट किया गया है। खबर है कि हनुमान के किरदार के लिए सनी ने 45 करोड़ की रकम चार्ज की है। कुछ दिनों पहले उन्होंने ‘रामायण’ से जुड़ी एक फिल्म में काम करने की इच्छा भी जताई थी। फिल्म ‘रामायण’ में रणबीर कपूर प्रभु राम और सीता के किरदार में साउथ एक्ट्रेस साई पल्लवी नजर आएंगी। सीता के रोल के लिए पहले आलिया भट्ट के नाम पर चर्चा चल रही थी, लेकिन किसी वजह से उन्होंने इस फिल्म से नाम वापस ले लिया है। कहा जा रहा है कि ‘केजीएफ’ फेम एक्टर यश रावण का किरदार निभाएंगे। इस बारे में अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। ‘रामायण’ फिल्म 2024 में रिलीज होने वाली है।

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रजनीकांत और अमिताभ बच्चन 33 साल बाद एक साथ काम करेंगे। अब रजनीकांत की नई फिल्म ‘थलाइवर 170’ दर्शकों के सामने आ रही है। इस फिल्म में रजनीकांत के साथ बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन नजर आएंगे।

रजनीकांत ने ट्विटर पर अमिताभ बच्चन के साथ एक तस्वीर शेयर की। उन्होंने फोटो शेयर करते हुए लिखा, “33 साल बाद मैं एक बार फिर अमिताभ बच्चन के साथ“थलाइवर 170’ में काम करूंगा। लाइका प्रोडक्शंस की इस फिल्म का निर्देशन टीजे ज्ञानवेल करेंगे। मेरा दिल ख़ुशी से उछल रहा है।”

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ‘थलाइवर 170’ असल जिंदगी की घटना से प्रेरित है। रजनीकांत एक पुलिसवाले की भूमिका में नजर आएंगे। इससे पहले अमिताभ बच्चन और रजनीकांत फिल्म हम, अंधा कानून और अटैक में साथ काम कर चुके हैं। फिल्म में रजनीकांत और अमिताभ के अलावा राणा दग्गुबाती, फहद फासिल, रितिका सिंह, मंजू वारियर और दशहरा विजयन भी मुख्य भूमिकाओं में हैं। इस फिल्म के म्यूजिक डायरेक्टर अरिरुद्ध रविचंद्र हैं। शाहरुख की सुपरहिट फिल्म जवान के लिए अरिरुद्ध ने ही संगीत तैयार किया था।

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छपरा के जलालपुर में 80 फीट का जलेगा रावण, युद्ध के दौरान भिड़ेगी राम और रावण की सेना

Chhapra: शहर से सटे जलालपुर गांव में रावण वध को लेकर 80 फीट का रावण बनकर तैयार हो चुका है. अब रावण को सिर्फ बाहरी आवरण पहनाने का ही काम बचा हुआ है. स्थानीय लोग उत्साहित है और बेसब्री के साथ 24 अक्टूबर विजयदशमी के दिन का इंतजार कर रहे है.

आयोजन कर रहे दुर्गा पूजा एवं नाट्य कला समिति के सदस्यों ने बताया कि विगत 1980 में पूजा की स्थापना हुई थी. स्थापना का वर्ष याद रहे इसी उद्देश्य से अब दुर्गा पूजा के साथ साथ 80 फीट के रावण का पुतला भी दहन किया जाता है.

समिति के सदस्य अरविंद कुमार ने बताया कि यह आयोजन पूरी तरह से गांव के युवाओं पर निर्भर है. पुतला के लिए बांस काटने से लेकर उसे बांधने और ढांचा तैयार करने में युवा तन मन और धन से एकजुट होकर अपना श्रमदान करते है.

रावण वध के दौरान सुरक्षा के मानक को पूरा किया जाता है साथ ही साथ भीड़ को व्यवस्थित करने के लिए वॉलेंटियर भी तैयार रहते है.

हिमांशु कुमार यादव ने बताया कि विगत वर्ष की तरह इस वर्ष भी भगवान श्रीराम और रावण की सेना में युद्ध क्रिया होगी जिसके बाद श्रीराम के धनुष से बाण निकलकर रावण की नाभी में जायेगा और रावण का पुतला दहन होगा.

भगदेव प्रसाद ने बताया कि रावण वध के दौरान भव्य आतिशबाजी होगी. जिसमे कई तरह के बम और पठाखे लगाए जा रहे है.

वही समिति के अध्यक्ष चंद्रशेखर प्रसाद आजाद, उपाअध्यक्ष सकलदीप प्रसाद विद्यार्थी, सचिव दीपक कुमार, कोषाध्यक्ष सत्येंद्र प्रसाद, दीपक कुमार गणेश ने सभी जलालपुर पंचायत निवासियों के साथ साथ आसपास के सभी ग्रामीण और शहरी जनता से इस रावण वध कार्यक्रम में शामिल होकर भव्य आतिशबाजी का आनंद उठाने और उसके बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम का आनंद लेने का आह्वान किया है.

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Written by : Abhinandan Dwivedi (Former RJ)

National Cinema Day : क्यों मनाया जाता है, कब से मनाया जाता है, ऐसे तम्माम प्रश्नवाचक संज्ञा आपके ज़हन में गोते लगा रहें होंगे। इन सबका जवाब टटोलने से पहले, जरूरत है ‘सिनेमा’ को समझने की। आमतौर पर देश का दर्शक वर्ग फ़िल्म और सिनेमा को एक समान ही मानता आया है और आज के परिपेक्ष्य में भी इस विषय पर सोचने की क्षमता में कोई बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिलता है। सिनेमा क्या है ? और फ़िल्म क्या है ?

डॉ कुमार विमलेंदु सिंह (युवा साहित्यकार और फ़िल्म समीक्षक) अपनी पुस्तक ‘सिनेमा और टीवी’ में लिखते हैं कि “सिनेमा कई कलात्मक विधाओं का संगम है और इसमें अद्भुत सम्भावनाएं हैं। हमारे देश में बहुत दिनों तक सिनेमा को कला की श्रेणी में नहीं देखा गया।” वहीं जब बात फ़िल्म और फिल्मों के इतिहास पर की जाए, तब एक लंबा अध्याय शाहरुख खान की तरह अपनी बाहें खोल इंतज़ार में खड़ा मिलता है। फ़िल्म कला का एक रूप है जिसका निर्माण प्रकाश, गति के भ्रम, स्थान और समय के हेरफेर से होता है। एक फिल्मकार किसी सीन को फिल्माने के लिए प्रकाश दृश्यों और छवियों को प्रकाशित करता है। प्रकाश भी स्वयं सिनेमाई कला का एक औपचारिक तत्व है। फिल्म निर्माता मूड बनाने, पात्रों को प्रकट करने या छिपाने और कहानी की सेटिंग स्थापित करने के लिए प्रकाश का उपयोग करते हैं।

प्रख्यात उर्दू कहानीकार सआदत हसन मंटो लिखते हैं कि “मैं अदब और फ़िल्म को एक ऐसा मय-ख़ाना समझता हूँ, जिसकी बोतलों पर कोई लेबल नहीं होता।” किसी फ़िल्म के निर्माण की रूह को गहराई से समझने के लिए हमें निर्देशक और अदाकारा की अंतरात्मा से जुड़ना होता है। डॉ कुमार विमलेंदु सिंह (युवा साहित्यकार और फ़िल्म समीक्षक) लिखते हैं कि “अदाकारा की ज़िंदगी का फलसफा होता है कि, किरदार को खुद में और खुद को किरदार में ऐसे शामिल कर लेना कि फिर जहाँ भी, उसकी बात हो, किरदार का ख़्याल पहले आए और उसके नाम की याद बाद में।

सिनेमा की ताकत और फ़िल्म के अतीत पर नज़र डालने पर ये पता चलता है कि 1936 में आई फ़िल्म ‘संत तुकाराम’ को जनता और कला प्रेमियों ने इस कदर प्यार दिया जिसके परिणाम स्वरूप ये फ़िल्म एक ही सिनेमा घर में 57 हफ्ते तक चली। अगले साल यानी 1937 में संत तुकाराम को वेनिस फ़िल्म महोत्सव में पुरस्कृत किया गया।

वापस अपने मूल विषय National Cinema Day पर बात करें तो इसकी शुरुआत सबसे पहले 2022 में मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (MAI) द्वारा की गई थी। MAI ने कोविड-19 महामारी के बाद सिनेमा हॉलों को फिर से खोलने के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय सिनेमा दिवस की शुरुआत की। एसोसिएशन ने इस दिन मूवी टिकटों पर महत्वपूर्ण छूट देने का निर्णय लिया, जिससे मूवी देखने वालों को सिनेमा हॉल मालिकों का समर्थन करने के लिए प्रोत्साहित किया गया, जिन्हें कोविड -19 महामारी के दौरान भारी नुकसान हुआ। राष्ट्रीय सिनेमा दिवस मनाने का एक अन्य प्रमुख कारण ओटीटी प्लेटफार्मों के उदय से उत्पन्न प्रतिस्पर्धा का मुकाबला करना है, खासकर कोविड-19 महामारी के दौरान। यह सिनेमा हॉल मालिकों द्वारा बड़े पर्दे के जादू को फिर से जगाने और जवान, गदर 2 और ओएमजी 2 जैसी हालिया ब्लॉकबस्टर फिल्मों की सफलता की सराहना करने का एक प्रयास है, जिन्होंने दर्शकों को सिनेमाघरों में वापस लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

फिल्मकारों की ज़ुबा में सिनेमा को समझें तो मशहूर फ़िल्म निर्देशक, लेखक सत्यजीत रे ने सिनेमा को यूं परिभाषित किया था “सिनेमा की विशिष्ट विशेषता मानव मन की अंतरंगताओं को पकड़ने और संप्रेषित करने की क्षमता है।”

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टाइगर-3 में कैटरीना जोया का किरदार निभाती है। जो वाईआरएफ स्पाई यूनिवर्स की पहली महिला जासूस का रोल है। फिलम में वह लड़ाई या रणनीति में टाइगर उर्फ सलमान खान से बराबरी करती हैं। कैटरीना के जोया के किरदार को एक था टाइगर और टाइगर जिंदा है में उन्हें खूब प्यार मिला है। उन्होंने दिखाया है कि वह अपने दम पर अविश्वसनीय एक्शन सीक्वेंस कर सकती हैं।

यशराज फिल्म्स ने मंगलवार को जोया के रूप में कैटरीना के सोलो पोस्टर का अनावरण किया गया। इस मौके पर लोगों ने उनके अभिनय की सराहना की। लोगों का कहना है कि टाइगर-वर्स कैटरीना कैफ के अलावा कोई भी जोया की भूमिका नहीं निभा सकता है।

इस मौके पर कैटरीना ने खुलासा किया कि टाइगर-3 के शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण एक्शन दृश्यों को निभाने के लिए उन्होंने अपने बॉडी को ‘ब्रेकिंग पॉइंट’ तक धकेल दिया। कैटरीना कहती हैं, ‘ज़ोया वाईआरएफ स्पाई यूनिवर्स की पहली महिला जासूस हैं और मुझे उनके जैसा किरदार पाकर बहुत गर्व है। वह उग्र है, वह साहसी है, वह पूरी तरह से समर्पित, वफादार है और सबसे बढ़कर वह हर समय मानवता के लिए खड़ी रहती है।’

उन्होंने कहा कि, “वाईआरएफ स्पाई यूनिवर्स में जोया का किरदार निभाना एक अविश्वसनीय जर्नी रही है और मैंने हर फिल्म में खुद को परखा है। टाइगर-3 कोई अपवाद नहीं है। हम इस बार एक्शन दृश्यों को अगले स्तर पर ले जाना चाहते थे और मैंने फिल्म के लिए अपने बॉडी को ढाला है। शारीरिक रूप से यह मेरी अब तक की सबसे चुनौतीपूर्ण फिल्म रही है। एक्शन करना हमेशा रोमांचक होता है और मैं हमेशा से एक्शन जॉनर की प्रशंसक रही हूं। इसलिए, जोया का किरदार निभाना मेरे लिए एक सपने के सच होने जैसा है। मजबूत, साहसी, बदमाश और कोई रोकटोक नहीं। मैं लोगों की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रही हूं। जब वे जोया को स्क्रीन पर देखेंगे। वह टाइगर की यिन टू यांग है।’

फिल्म टाइगर-3 का निर्माण आदित्य चोपड़ा ने किया है और इसका निर्देशन मनीष शर्मा ने किया है। यह फिल्म इस साल बड़ी दिवाली की छुट्टियों के दौरान रिलीज़ होगी।

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Review by : Abhinandan Dwivedi (Former RJ)

Mission Raniganj | One Word Review : Impactful

धरती माता की जय, हनुमान चालीसा की बोल, 65 वर्कर्स के कोल माइन्स में फंसने, फिर उनके Rescued करने तक फ़िल्म की कहानी में कई मोड़ आते हैं। ये वक्त समझाने का नहीं, समझने का है… Akshay Kumar का ये Dialogue Raniganj गाँव के निवासियों की उम्मीद का बैसाखी बनता है।

फ़िल्म मजदूरों का संघर्ष, रोजगार की भूख, कोलकाता की राजनीति, सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार, अधिकारियों की लापरवाही जैसे तमाम पहलुओं पर दर्शकों का ध्यान अपने तरफ खिंचती है। वक्त और उम्मीद के बीच परिजनों का अपने परिवार को जीवित देखने की आस को फ़िल्म बड़े ही गंभीरता से कहती है। अपने प्रमुख विषय को सादगी से दिखाते हुए, फ़िल्म में एक माँ की ममता, एक अर्धांगिनी का दर्द, एक पिता का प्यार, एक बहन की शादी का बोझ जैसे कई पहलू दिल को छू जाते हैं। फ़िल्म आपको रुलाती है, हँसाती है, सरकारी तंत्र के भृष्ट अधिकारियों पर आक्रोश और मानवता की मिसाल का उदाहरण पेश करती है। आखिर में धर्म में आस्था और प्यार में विश्वास की जीत, आँख में आंसू लाते हैं।

Special Mention

फ़िल्म में इंटरवल के बाद शुरू होता रेस्क्यू ऑपरेशन धर्यता के साथ परिस्थितियों से लड़ने की परिभाषा बताता है। 65 वर्कर्स को 40 घंटो में बाहर निकलने के लिए वक्त कम था और उम्मीदें ज्यादा थीं। उम्मीद सरकार से, उम्मीद अपने अधिकारियों से, उम्मीद उस सृष्टि के रचयिता से जिसके बोल पूरी फिल्म में सुनाई पढ़ते हैं। हर एक मजदूर का कोल फील्ड से बाहर आने पर “धरती माता की जय…” का उद्घोष अपने आप में आस्था और विश्वास का एक उदाहरण पेश करता है। मजदूरों द्वारा गम्भीर परिस्थिति में फंसने के बाद “हनुमान चालीसा” का पाठ करना ये दर्शाता है कि हर संकट को हरने वाले भगवान हनुमान की कृपा जरूर होगी।

Story :

फ़िल्म की कहानी 1989 में रानीगंज क्षेत्र के महावीर माइन्स में फंसे 65 मजदूरों की है, जिन्हें IIT धनबाद के एक चालक इंजीनियर जसवंत सिंह गिल द्वारा एक महत्वपूर्ण रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम देने की है।

फ़िल्म की कहानी शुरू होती है एक गाँव रानीगंज से जहां ग्रामीणों में एक तरफ महाभारत देखने का उत्साह है तो दूसरी तरफ ‘बिशु’ की बेटी की शादी को लेकर तैयारी की चर्चा है। उसी रात ओवरटाइम करने गए रानीगंज गाँव के मजदूरों के साथ कुछ ऐसा होता जिससे वो कोल माइन्स में फंस जाते हैं और गाँव की खुशियां पल में बिखर जाती है। ओवरटाइम करने गए 65 मजदूरों द्वारा कोयले की खनन को लेकर एक ब्लास्ट किया जाता है। ब्लास्ट करने के बाद मजदूरों ने देखा कि कहीं से पानी की बूंदे खदान में आरही हैं, उन्हें शक होता है कि ब्लास्ट की वजह से पानी का टैंक फट गया होगा ! और कुछ ही मिनटों में कोयला खदान पानी की तेज बहाव से भरने लगता है। खदान में अफरता – तफरी मचती है। अलग – अलग स्पॉट पर काम कर रहें मजदूरों को फ़ोन पर अलर्ट का संदेश भेजा जाता है। उन्हीं में से एक स्पॉट पर काम कर रहें मजदूर के सोने की वजह अलर्ट नहीं मिल पाता और 71 मजदूर खदान से बाहर नहीं निकल पातें। कुछ ही देर बाद 4 मजदूरों की मौत की खबर आती है।

महावीर माइन्स में 65 मजदूरों के फसने की खबर पूरे राज्य में फैल जाती है। मंत्री, अधिकारियों के कान खड़े हो जाते हैं। यूनियन लीडर द्वारा सभी मजदूरों को बाहर निकलने के लिए सभी सफल मदद का आष्वासन दिया जाता है। लेकिन हर सरकारी तंत्र की कहानी जैसी घटना यहाँ भी शुरू होती है। तंत्र में बैठे भ्रष्ट अधिकारी मजदूरों की जान को नजरअंदाज कर अपने पैसे और पोजीशन को बचाने में लग जाते हैं, तो दूसरी तरफ कुछ ईमानदार अधिकारी अपनी मानवता का परिचय देते हुए रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम देते हैं। क्या सभी 65 मजदूरों खदान से बाहर निकल आते हैं ? क्या रेस्क्यू ऑपरेशन कामयाब होता है ? या मजदूरों की मौत हो जाती है ? IIT इंजीनियर द्वारा कैसे ऑपेरशन को अंजाम दिया जाता है। क्या भ्रष्ट अधिकारियों का पर्दाफाश होता है ? ऐसे तमाम सवालों का जवाब फ़िल्म के ख़त्म होने तक मिलता है।

Actors Performance

फ़िल्म की कास्ट बड़ी है। कलाकारों की संख्या भी बहुत है, शायद यही कारण है कि पर्दे पर फ़िल्म देखते आप कहानी से जुड़े रहते हैं। बात सबसे पहले माइन्स वर्कर की करें तो : – रवि किशन, सुधीर पांडेय, ओमकार दास, वरुण वडोला, जमील खान जैसे कलाकारों ने अपने किरदार को पर्दे पर जीवंत किया है। एक मजदूर के दर्द को इन कलाकारों ने अपनी जबरदस्त एक्टिंग से पर्दे पर उकेरा है। यूनियन लीडर के किरदार में राजेश शर्मा का काम लाजवाब है। भ्रष्ट अधिकारी के किरदार में दिव्येंदू भट्टाचार्य का काम आपको पागल का देगा। दिव्येंदू का किरदार इस फ़िल्म की जान है, जब भी वो पर्दे पर आते हैं दर्शकों में उमंग का संचार होता है। एक ईमानदार अधिकारी के किरदार में कुमुद मिश्रा का काम बहुत ही खूबसूरत है। उनके हाव – भाव सन्दर्भ के अनुसार रच जाता है। पवन मल्होत्रा का काम फ़िल्म में महत्वपूर्ण है, जिसे आप नज़रअंदाज़ नहीं कर सकतें। जसवंत सिंह गिल के किरदार में अक्षय कुमार का काम आपका दिल जीत लेगा। एक पंजाबी ईमानदार इंजीनियर के अवतार में अक्षय कुमार ने अपने काम से फ़िल्म को मजबूत किया है। अक्षय कुमार के Dialogue कई बार आँखों मे आंसू लाते हैं। परिणीति चोपड़ा का किरदार छोटा है लेकिन परिणीति और जसवंत सिंह के बीच प्यार की डोर मजबूत रखी गयी है। जिसे कहानी के अंत में बड़े ही सादगी से दिखाया गया है। बाकी और भी बहुतेरों कलाकार हैं, जिन्होंने पर्दे पर खुद को साबित किया है।

Writing & Direction :

फ़िल्म के निदेशन का कार्यभार संभाल रहे टीनू सुरेश देसाई ने इससे पहले 1920 : London और Rustom का निर्देशन किया है। टीनू सुरेश ने अक्षय कुमार के साथ इससे पहले Rustom में अपने सुझली हुए निर्देशन का परिचय दिया था।

6 साल बाद एक बार फिर टीनू देसाई कुछ नए कलेवर का फ़िल्म दर्शक के बीच ले कर आये हैं। Mission Raniganj में हर वो चीज है जिसे दर्शक एक फ़िल्म में देखना चाहते हैं। फ़िल्म में निर्देशक ने सस्पेंस और थ्रिलर को बड़े ही उत्साहित कलेवर में दिखाया है। कुछ एक सीन में कॉमेडी का तड़का फ़िल्म में अलग उमंग भरने का काम करता है। इंटरवल के पहले या बाद, फ़िल्म की रफ्तार को बनाये रखे फ़िल्म अपनी कहानी को कहती नज़र आती है। शायद यही बात टीनू देसाई को अलग बनाती है।

पटकथा और संवाद की बात करें तो, दीपक किंगरणी की कहानी अपने उद्देश्य से नहीं भटकती है। दीपक अपने क्रिएटिव थॉट को दर्शक तक पहुँचाने में कामयाब रहें हैं। फ़िल्म की पटकथा को लिखा है विपुल के रावल ने और ये कहना पड़ेगा कि पटकथा कमाल की है। पूरी फिल्म आपको बाँधे रखती है। कुछ एक फ्रेम ऐसे भी हैं जिनको देख आंसू अपनी रास्ते ढूंढ लेती है। कोल माइन्स के अंदर का हर एक फ्रेम परिपक्व लगता है। कहानी, पटकथा और संवाद तीनों ही क्षेत्र में फ़िल्म सफल रही है।

Box Office Prediction :

ये फ़िल्म पैसा नहीं, प्यार कमाने आई है। Box Office Collection जो भी रहें, दर्शकों के आंखों से आंसू नहीं रुकने वाले। एक जरुरी फ़िल्म है, जो वक्त से लड़ना सिखाती है, धर्यता का परिचय देती है, संघर्ष की गाथा कहती है।

क्यों देखे ये फ़िल्म ?

एक ईमानदार योद्धा जिसने 65 कोल माइन्स वर्कर्स को मौत के सौदागर से बाहर निकाला, एक ज़ाबाज़ अधिकारी, एक रियल लाइफ हीरो की कहानी देखना चाहते हैं तो ये फ़िल्म आपके लिए है।

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अभिनेता अक्षय कुमार स्टारर ‘मिशन रानीगंज’ 6 अक्टूबर सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। फिल्म की कहानी सच्ची घटना पर आधारित है और अक्षय इसमें रियल लाइफ हीरो जसवंत सिंह गिल का किरदार निभा रहे हैं। उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना कोयला खदान में जमीन से लगभग 350 फीट नीचे फंसे 65 वर्कर्स की जान बचाई थी।

हरियाणा के कुरुक्षेत्र में 2006 में बोरवेल में 50 फीट नीचे गिरे लड़के प्रिंस को नई तकनीक की उपलब्धता के बावजूद बचाने के मिशन में लगभग तीन दिन लगे। इस घटना से लगभग 18 साल पहले 1989 में जसवंत सिंह गिल ने केवल दो दिनों में जमीन से 300 फीट नीचे फंसे 65 श्रमिकों की जान बचाई थी। ‘कैप्सूल मैन’ जसवंत सिंह के किरदार में अक्षय कुमार एक बार फिर अपनी प्रतिभा का नया पहलू दर्शकों के सामने लेकर आए हैं। शुरुआती क्षण से लेकर चरमोत्कर्ष तक यह फिल्म आपको अपनी सीट से बांधे रखती है।

लगभग 250 साल पहले की ब्रिटिश तकनीक की बुनियादी पद्धतियां आज भी दुनिया भर की कोयला खदानों में उपयोग की जाती हैं। भारत में पहली कोयला खदान रानीगंज में ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए काम करने वाले ब्रिटिश अधिकारियों ने शुरू की थी। भारत में कोयला का पूरा कारोबार अंग्रेजों की बनाई व्यवस्था पर ही आधारित था। हालांकि, इंग्लैंड और भारत की खदानें छह हजार किलोमीटर दूर थीं, लेकिन दोनों कोयला खदानों में दुर्घटनाएं होना समान थी।

फिल्म की कहानी

जसवन्त सिंह गिल (अक्षय कुमार) अपनी गर्भवती पत्नी (परिणीति चोपड़ा) के साथ रानीगंज में रहते हैं। वह पश्चिम बंगाल के रानीगंज में कोल इंडिया लिमिटेड में रेस्क्यू इंजीनियर के रूप में काम करते हैं। जब एक कोयले की खदान में विस्फोट के बाद पानी भरने लगता है, तो भूमिगत फंसे 71 लोगों की जान बचाने का जिम्मा जसवन्त पर आता है। इस मिशन के शुरू होने से पहले ही छह कर्मचारियों की मौत हो जाती है। इस रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान जसवन्त सिंह गिल कई बाधाओं को पार करते हुए 65 वर्कर्स की जान बचाने का मिशन पूरा करते हैं। ये पूरा मिशन कैसे पूरा हुआ, इसकी कहानी इस फिल्म में देखी जा सकती है।

निर्देशन

फिल्म ‘मिशन रानीगंज’ का निर्देशन टीनू सुरेश देसाई ने किया है। उन्होंने अक्षय कुमार की फिल्म ‘रुस्तम’ का भी निर्देशन किया था। टीनू और अक्षय कुमार एक बार फिर इस फिल्म के लिए साथ आए हैं। पिछले सात सालों में टीनू के निर्देशन में कई बदलाव आए हैं, जो इस फिल्म में देखने को मिल सकते हैं। फिल्म की परिकल्पना जसवन्त गिल की बेटी पूनम गिल ने की है और पटकथा विपुल के रावत ने लिखी है।

‘मिशन रानीगंज’ के डायरेक्शन की बात करें, तो इस फिल्म की कहानी के साथ-साथ इसमें 80 के दशक को बेहतरीन दिखाने की कोशिश की गई है। उस समय के माहौल, लोगों के पहनावे और उनकी भाषा पर बारीकी से ध्यान दिया गया है। रेस्क्यू मिशन के दौरान बनी डॉक्यूमेंट्री की तरह फिल्म की कहानी तेज गति से नहीं चलती है। फिल्म के सीन कभी आपके चेहरे पर मुस्कान लाते हैं, तो कभी आंखों में आंसू। भले ही आप इस फिल्म की शुरुआत और अंत जानते हों, लेकिन आप इसकी कहानी से जुड़े रहते हैं और यही निर्देशक की बड़ी सफलता है।

अभिनय

अक्षय कुमार का जसवन्त सिंह गिल के किरदार में प्रदर्शन ‘एयरलिफ्ट’ में अक्षय कुमार के प्रदर्शन से कहीं अधिक है। फिल्म में एक तरफ जसवंत हैं और दूसरी तरफ उनकी पत्नी। इस मामले में अक्षय कुमार की पत्नी का किरदार निभाने वाली परिणीति चोपड़ा काफी पॉजिटिव हैं, लेकिन फिल्म में उनके रोल के लिए ज्यादा स्कोप नहीं है। इन दोनों कलाकारों के अलावा वरुण बडौला, कुमुद मिश्रा, रवि किशन, पवन मल्होत्रा और दिव्येंदु भट्टाचार्य ने अपनी भूमिकाओं को बखूबी निभाया है।

फिल्म की कहानी को और दिलचस्प बनाने में एडिटिंग अहम भूमिका निभाती है। सिनेमैटोग्राफर असीम मिश्रा को कोयला खदान विवरण, डार्क लाइटिंग और कृत्रिम खदान शूटिंग के लिए कम आंका गया है। इसमें गाने कुछ खास नहीं हैं, लेकिन बैकग्राउंड म्यूजिक कमाल का है। ये बैकग्राउंड म्यूजिक हर सीन को और भी दिलचस्प बना देता है।

सुपरहीरो की तलाश करने वालों के लिए यह फिल्म आपको सिखाती है कि आप अपनी कहानी के नायक खुद हैं, लेकिन इसके लिए आपको हर चुनौती का साहस के साथ सामना करना होगा। यह हमें सिखाता है कि हर व्यक्ति के अंदर एक जसवन्त सिंह होता है, जो सही सोच और साहस से असंभव को भी संभव बना सकता है।

फिल्म के कलाकार: अक्षय कुमार, परिणीति चोपड़ा, कुमुद मिश्रा, पवन मल्होत्रा, रवि किशन, दिब्येंदु भट्टाचार्य, वरुण बडोला और जमील खान

लेखक: विपुल के रावल, दीपक किंगरानी और पूनम गिल

निर्देशक: टीनू सुरेश देसाई

रेटिंग: 3.5 स्टार

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प्यार परवान चढ़ा तो लिंग बदलवाकर साहिल बन गया रिया, धोखा मिलने पर जीवन जीने के लिए करना पड़ रहा है यह काम…

इसुआपुर: प्यार जब परवान पर चढ़ता है तो प्रेमी जोड़े हद से गुजर जाते है. साथ जीने मारने की कसमों को खाने के साथ वह उस हद तक भी चले जाते है जिसे समाज पागलपन कहता है. उम्र के उस दहलीज पर जाते ही इन दिनों युवाओं को प्यार का खुमार चढ़ जाता है लेकिन समय के साथ यह खुमार धरासायी भी हो जाता है लेकिन तब तक लोग बहुत दूर जा चुके होते है.

एक वर्ष बाद ही प्रेमी ने ठुकराया…

प्यार में अपना सबकुछ लूटने लुटाने के बाद इसुआपुर निवासी साहिल से रिया बन बैठा शख्स अब अपने जीवन के लिए नए रास्तों के साथ मंजिल को तलाश रहा है. हालांकि उसे अब भी अपने प्यार पर विश्ववास है लेकिन उसका प्रेमी उसे ठुकरा चुका है.

बेटा को बेटी के रूप में देख मां बाप के अरमान हुए ध्वस्त...

प्यार के परवान चढ़ने की यह कहानी इसुआपुर गांव की है. जहां रहने वाला साहिल अब रिया बन चुकी है. गरीबी और आर्थिक तंगी से जूझने वाले इस परिवार के 7 भाई बहनों के बीच में साहिल दूसरी संतान है. पिता बैंड पार्टी में पिस्टिन बजाते है जिससे परिवार का भरण पोषण चलता है. प्यार में धोखा खाने के बाद रिया अब ऑर्केस्ट्रा में डांस कर अपना जीवन बसर कर रही है. जिससे उसके परिवार को भी रोटी नसीब हो पाती है. साहिल को बेटे के रूप में जन्म देने वाले माता पिता के अरमान ध्वस्त हो चुके है. अब जो जैसा भी है उसे वह स्वीकार कर जीवन जी रहे है.

लड़कियों जैसा रहना अब अच्छा लगता है...

लिंग परिवर्तन और शारीरिक बदलाव के बाद रिया को लड़कियों जैसे कपड़े पहनना और सजना संवरना अच्छा लगता है. भले ही प्यार में उसे धोखा मिला लेकिन वह अपने शारीरिक परिवर्तन के फैसले से खुश है और आज भी वह अपने प्रेमी से बेतहाशा मोहब्बत करती है.

मुंबई में कराया था लिंग परिवर्तन…

रिया अपनी अधूरी प्रेम कहानी के बारे में बताती है कि पढ़ाई के दौरान उसे गौरा निवासी चंदन से मुलाकात हुई. दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे इसी बीच उनके बीच कब प्रेम हो गया पता नही चला. मौका पाकर साहिल और चंदन फरार हो गए और मुंबई में चंदन फिल्म मेकिंग में बतौर स्पॉट बॉय का काम करने लगा. दोनों साथ रहने लगे. इसी बीच साहिल ने मुंबई के ही अस्पताल में अपना लिंग और शारीरिक परिर्वतन कराकर साहिल से रिया बन गया.

प्रेमी पर कमाकर खूब लुटाए पैसे…

जिसके बाद दोनों पति पत्नी की तरह जीवन जीने लगे. रिया ने इस दौरान फिल्मों में सपोर्टिंग डांसर में काम करना शुरू कर दिया और कई एलबम और फिल्मों में डांस कर अच्छी खासी कमाई की. दोनों ऐशो आराम से रहने लगे लेकिन एक वर्ष बीतते ही चंदन रिया से अलग होने की बात करने लगा और उसे घर भेज दिया. लेकिन रिया उसे छोड़ने को तैयार नहीं थी. दोनो का मामला पंचायत में पहुंचा जहां रिया और चंदन के अलग होने के दौरान रिया को धनराशि और जमीन देने का फैसला सुनाया गया. लिहाजा स्वजनों ने कुछ पैसे देकर रिया से चंदन को अलग करवा दिया.

ऑर्केस्ट्रा में डांस कर पेट पालती है रिया…

फिलहाल रिया अब कुछ महीनों से ऑर्केस्ट्रा में डांसर का काम कर रही है. लगन का सीजन नही होने के कारण अपने घर पहुंची रिया की कहानी इन दिनों चर्चा का विषय है.

युवा पीढ़ी में समलैगिग संबंधों के बढ़ते प्रभाव के बाद लिंग और शारीरिक परिवर्तन की यह कोई नई बात नही है. लेकिन इन संबंधों से युवाओं में नैतिकता का ह्रास विशेषकर ग्रामीण जीवन में इसके उत्थान से आने वाली पीढ़ियों को सतर्क रहने की जरूरत है. युवाओं को अपनी स्वतंत्रता और आजादी के मायने को समझने की जरूरत है.

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क्षेत्रीय मनोरंजन के दिग्गजों ने मिलाया हाथ, ‘मितवा टीवी’ के साथ ‘महुआ ब्रांड’ का हुआ मर्जर

मनोरंजन: देश के पहले OTT न्यूज़ एवं भोजपुरी मनोरंजन प्लेटफॉर्म मितवा टीवी आज भोजपुरी भाषा को पसंद करने वालों के बीच काफी चर्चित हो चुका है. अब मितवा टीवी ने आगे बढ़कर भोजपुरी मनोरंजन क्षेत्र की चर्चित कम्पनियों “महुआ एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड” एवं “महुआ ब्राडकास्टिंग प्राइवेट लिमिटेड” को अपने साथ मर्ज करके भोजपुरी मनोरंजन के क्षेत्र में बड़े स्तर पर कार्यक्रमों को लांच करने की घोषणा कर दी है. इस आशय की जानकारी मितवा टीवी के CEO अविनाश राज ने शुक्रवार को दी है.

अविनाश राज ने बताया है कि “महुआ प्लस ब्रांड” भोजपुरी भाषाई लोगों के बीच एक स्थापित नाम है, जिसे यूपी, बिहार एवं झारखंड के लोग बेहद पसन्द करते हैं, अतः आधुनिकतम तकनीकियों के साथ हमारा संयुक्त मंच जल्दी ही अपने प्रिय दर्शकों के लिए उनके मनपसंद कार्यक्रम दिखाना प्रारम्भ कर देगा.

बता दें, कोविड के बाद मनोरंजन के बदले हुए स्वरूप में फ़िल्म, गाने और न्यूज के दर्शक मोबाइल पे सिमट चुके हैं. कोरोना काल में सिनेमाघरों के बंद होने के बाद उसकी जगह टीवी और डिजिटल प्लेटफार्म ले चुकी थी. ओटीटी पर प्रसारित हो रहे बेहतरीन कंटेंट को दर्शकों ने खूब पसंद किया. इन्ही बातों को ध्यान में रख कर भोजपुरी का पहला ओटीटी प्लेटफॉर्म “मितवा टीवी लॉन्च किया गया था. मितवा टीवी नाम के इस ओटीटी को पूरे देशी अंदाज में लांच किया गया था. जिसे दर्शको का भरपूर प्यार मिला. दरअसल वर्ष 2021 में मितवा टीवी की नींव रखी गयी थी और अगस्त 22 से इसका टेस्ट फिड शुरू किया गया. अंततः 12 सितंबर 2022 को इस भोजपुरी ओटीटी को लॉन्च कर दिया गया.

मितवा टीवी ने बहुत ही कम समय मे दर्शकों के बीच काफी लोकप्रियता हासिल कर चुकी है. देश और विदेशों में अपने दर्शकों की बढ़ती संख्या मितवा की बढ़ती लोकप्रियता ही प्रमाण है कि मितवा टीवी भोजपुरी का दुनिया में पहला OTTप्लेटफार्म हैं, जहाँ मनोरंजक कार्यक्रमों के साथ ही देश की प्रथम समाचार प्रस्तुति भी उपलब्ध हैं. अपने मजबूत वितरण और बेहतरीन कंटेंट के कारण मितवा आज देश के लोकप्रिय ओटीटी में शामिल हो चुका है. इस पर भोजपुरी फिल्मों के साथ हॉलीवुड क्लासिक्स, लाइव-स्ट्रीमिंग, ड्रामा, वेब-सीरीज़ एवं समाचार, यहाँ हर आयु वर्ग के लिए कुछ न कुछ उपलब्ध है. इसे प्ले-स्टोर,ऐप-स्टोर, फायरस्टिक और अन्य लोकप्रिय स्ट्रीमिंग डिवाइसेज़ जैसे एमआई स्टिक पर आसानी से डाउनलोड कर देखा जा सकता है.

अविनाश राज का कहना है कि मनोरंजक कार्यक्रमों के साथ एक मजबूत डिस्ट्रीब्यूशन मितवा टीवी सफलता का राज़ है. हमारे पास नेटफ्लिक्स की तरह एक स्टैंडअलोन ऐप बनाने का विकल्प था, लेकिन बाजार की मांग को समझते हुए, हमने वितरण एवं कार्यक्रमों की गुणवत्ता में निवेश किया, साथ ही अनेकों भाषाओं के प्रमुख टेलीविज़न चैनलों को मितवा के माध्यम से दर्शकों तक मुफ्त पहुंचने का प्राविधान बनाया.” इस रणनीति ने बेहतरीन काम किया. आज तक, मितवा भारत और विदेशों में लाखों दर्शकों के लिए 200+ चैनलों के साथ कई अनूठे कार्यक्रम प्रस्तुत कर रहा है और आज मितवा देश में सबसे तेजी से लोकप्रिय होते हुए स्टार्ट-उप में से एक है. अब ‘महुआ ब्रांड’ और OTT प्लेटफॉर्म ‘मितवा टीवी’ के साथ आ जाने से देश-विदेश में भोजपुरी फिर से नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ चलेगा. विदित हो, महुआ चैनल ने अपने समय में जबरदस्त ढंग से भोजपुरी भाषाई लोगों के बीच अपनी पैठ बनाई थी. लेकिन इस चैनल के बंद हो जाने से भोजपुरी भाषाई भोजपुरी के हिट कार्यक्रमों का मजा नहीं ले पा रहे थे. अब ‘महुआ ब्रांड’ और ‘मितवा टीवी’ साथ मिलकर इसी कमी को दूर करने जल्द लोगों के बीच आ रहा है.

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