राष्ट्रीय स्वच्छ पुरस्कार से जिले के 18 विद्यालयों को डीईओ ने किया पुरस्कृत

Chhapra: राष्ट्रीय स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार 2021- 2022 में जिला स्तर पर चयनित विद्यालयों के विद्यालय प्रधान को जिला शिक्षा पदाधिकारी अजय कुमार सिंह ने पुरस्कृत किया. डीईओ कार्यालय में एक सादे समारोह का आयोजन कर बेहतर कार्य के उपरांत चयनित विद्यालय प्रधान को पुरस्कृत कर प्रमाण पत्र दिया गया.

इन विद्यालयों को किया गया है पुरस्कृत

  • केंद्रीय विद्यालय, छपरा,
  • उच्च माध्यमिक विद्यालय कुरैया, दिघवारा, 
  • मध्य विद्यालय चैनपुर, भैसमारा, गड़खा
  • मध्य विद्यालय कदना, गड़खा 
  • उच्च माध्यमिक विद्यालय, डटरा पुरासौली, इसुआपुर
  • उच्च माध्यमिक विद्यालय जैथर, इसुआपुर
  • उत्क्रमित मध्य विद्यालय शारदा राय के टोला मढ़ौरा
  • मध्य विद्यालय केशव कन्या सोनपुर
  • उत्क्रमित मध्य विद्यालय तकिया अमनौर
  • उच्च माध्यमिक विद्यालय पैगंबरपुर बनियापुर
  • मध्य विद्यालय श्यामचक छपरा सदर
  • RNP पब्लिक स्कूल छपरा सदर
  •  NPS बनवारी अमनौर मियां टोला एकमा
  • मध्य विद्यालय रघुनाथ गिरी के मठिया मांझी
  • UMS कलान मांझी
  • UMS औली रिविलगंज
  • केंद्रीय विद्यालय सोनपुर
  • उच्च माध्यमिक विद्यालय नारायणपुर तरैया
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एक जुलाई से दिवकालीन सत्र में संचालित होगे सरकारी स्कूल, पत्र जारी

Chhapra: जिले के सभी सरकारी विद्यालय एक जुलाई से दिवकालीन सत्र में संचालित किए जायेंगे. जिला शिक्षा पदाधिकारी अजय कुमार सिंह ने इस आशय से संबंधित पत्र जारी कर दिया है.

जारी पत्र में डीईओ ने कहा है कि एक जुलाई से सभी विद्यालय डे यानी दिवकालीन सत्र में संचालित किए जायेंगे.

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“रात भर ढील द, हउ वाला फिल द” गाना सुनने वाले शिक्षक और आदेशपाल निलंबित

Chhapra: दरियापुर उच्च विद्यालय के स्मार्ट क्लास में बच्चों के साथ “रात भर ढील द, हऊ वाला फिल द” गाना देखने वाले कर्मियों पर प्रशासन ने करवाई कर दी है. जिला पदाधिकारी राजेश मीणा ने दो कर्मियों को निलंबित कर दिया है.

इस संबंध में बताया जा रहा है कि आरबी उच्च विद्यालय बाखे परसौना के उन्नयन कक्षा में “रात भर ढील द, हऊ वाला फिल द” गाना चलाने के वायरल वीडियो के जांचोपरांत जिला पदाधिकारी राजेश मीणा के द्वारा करवाई की गई है.

इस मामले में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी माध्यमिक शिक्षा ने जिला शिक्षा पदाधिकारी सारण को अपना विस्तृत जांच प्रतिवेदन सौंप दिया है.

जांच प्रतिवेदन में उन्नयन के नोडल शिक्षक संजय कुमार जो विद्यालय के पुस्तकालयाध्यक्ष भी हैं को स्पष्ट रूप से दोषी करार दिया गया है. वायरल वीडियो में दिख रहे कर्मचारी सुनील मिश्रा आदेशपाल हैं.

दोनों सरकारी कर्मचारी के घोर लापरवाही एवं अनुशासनहीनता को काफी गंभीरता से लेते हुए उन्हें जिला पदाधिकारी द्वारा निलंबित करने का फैसला लिया गया है.

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वेतन की बाट जोह रहे नवनियुक्त शिक्षकों की आंखें पथराई, आख़िर कब मिलेगा वेतन

Chhapra: जिले के सरकारी विद्यालयों में वर्षो इंतेजार के बाद बहाल हुए हजारों शिक्षक वेतन की बाट जोह रहे है. विभागीय अनुमति मिलने के बाद भी मार्च में नवनियुक्त इन शिक्षकों के वेतन भुगतान की पहल भी शुरू नही हुई है. जिले के बीस प्रखंड नियोजन इकाई और पंचायत नियोजन ईकाई के तहत नियोजित इन शिक्षकों की स्थिति अब यह है कि इन्हे अब कोई उधार भी देने से कतरा रहा है. विभागीय सुस्ती का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि नवनियुक्त शिक्षकों ने फरवरी और मार्च में विद्यालयों में योगदान दिया जिसके बाद से लगातार वह ड्यूटी कर रहे है. ऐसे में मार्च, अप्रैल, मई और जून माह समाप्ति के कगार पर है लेकिन अबतक इन शिक्षकों का मास्टर डाटा सहित वेतन भुगतान के लिए अन्य आवश्यक कागज़ात भी प्रखंड मुख्यालय से जिला कार्यालय तक नहीं पहुंचा जिससे की नियोजन के बाद कितने शिक्षकों ने योगदान किया और कितने शिक्षक किस प्रखंड में कार्यरत है उनके वेतन भुगतान को लेकर कितनी राशि की आवश्यकता होगी इसका आंकलन किया जा सकें.

शिक्षकों को विद्यालय में योगदान दिए हुए 3 माह बीत गए ऐसे में उनके पास रखी हुई जमा राशि भी अब समाप्त हो चुकी है. वही कई ऐसे भी नवनियुक्त शिक्षक है जिनपर पूरे परिवार का बोझ है ऐसे में प्रतिमाह के खर्च के लिए उधार पर ही आश्रित है. नई नई नौकरी में ऐसी मुश्किलें आती है लेकिन शिक्षा विभाग में इस मुश्किल से कोसो दूर उम्मीद की कोई किरण नवनियुक्त शिक्षकों को दिखाई नहीं दे रही है.

शिक्षा विभाग के राज्य कार्यालय द्वारा नवनियुक्त शिक्षकों के वेतन भुगतान को लेकर पत्र जारी कर दिया गया है, जिला कार्यालय ने भी वेतन भुगतान को लेकर पत्र आगे बढ़ाते हुए प्रखंड को भेज दिया. लेकिन इस पत्र पर अबतक की कारवाई की किसी ने सुधि नहीं ली. लिहाजा हालात जस के तस है.

नवनियुक्त शिक्षकों के वेतन भुगतान को लेकर कागजी कार्रवाई की प्रक्रिया अगर शुरू भी हुई तो उसे पूर्ण होने से लेकर वेतन का भुगतान होने में अभी 1 माह से ऊपर का समय लग सकता है. ऐसे में नवनियुक्त शिक्षक किसके भरोसे और कैसे अपना जीवन यापन करेंगे यह उनकी समझ से परे है.

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BPSC अगस्त में 67वी की परीक्षा, तो बाकी परीक्षाओं के लिए तिथि निर्धारित

Patna: बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा आयोजित 67वीं पीटी परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक होने के मामले में फजीहत झेल चुके बीपीएससी ने इस बार खास सतर्कता बरती है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अगस्त महीने में कैंसिल की गई परीक्षा ली जाएगी और इसके साथ ही साथ साल 2022 के लिए कैलेंडर भी जारी कर दिया गया है.

67वीं पीटी यानी प्रारंभिक परीक्षा अगस्त के अंतिम सप्ताह में होगी. इस बार पेपर लीक होने की वजह से कई परीक्षाएं विलंब से होंगी. कई अन्य परीक्षाओं पर भी इसका असर देखने को मिला. अगस्त के अंतिम सप्ताह में होने वाली 67वीं प्रारंभिक परीक्षा में करीब 6 लाख छात्रों ने आवेदन किया है.

आयोग की ओर से सहायक अभियंता असैनिक लिखित परीक्षा, सहायक अभियंता यांत्रिक लिखित परीक्षा, सहायक अभियंता विद्युत लिखित परीक्षा सितंबर से अक्टूबर तक संभावित है. इन सभी परीक्षाओं में ऑब्जेक्टिव टाइप सवाल पूछे जाएंगे. बाल विकास परियोजना पदाधिकारी (सीडीपीओ) की मुख्य परीक्षा अक्टूबर में संभावित है. सहायक अंकेक्षक अधिकारी की प्रारंभिक परीक्षा अगस्त में होगी. सहायक नगर योजना (टाउन प्लानिंग) प्रर्यवेक्षक की लिखित परीक्षा सितंबर से अक्टूबर में संभावित है. राजकीय पोलिटेक्निक, राजकीय महिला पोलिटेक्निक संस्थानों में विभिन्न विषयों की व्याख्याताओं की नियुक्ति के लिए परीक्षा अगस्त से नवम्बर तक होगी. इसमें भौतिकी, विद्युत, रसायन, गणित, कंप्यूटर साइंस, इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रकल की लिखित परीक्षा होगी.

राजकीय अभियंत्रण महाविद्यालयो में सहायक प्रध्यापक की लिखित प्रतियोगिता परीक्षा अक्टूबर से नवम्बर तक संभावित है. इसके माध्यम से रसायन, अंग्रेजी, भूगर्भशास्त्र, भौतिकी, गणित के प्राध्यापकों की नियुक्ति होनी है. परियोजना प्रबंधक मुख्य लिखित परीक्षा और अंकेक्षक की प्रतियोगिता परीक्षा सितंबर में होने की संभावना है. सहायक लोक स्वच्छता एवं अपशिष्ट प्रबंधन पदाधिकारी की लिखित प्रतियोगिता परीक्षा नवम्बर में होगी. आयोग के संयुक्त सचिव सह परीक्षा नियंत्रक अमरेन्द्र कुमार ने बताया कि कैलेंडर के अनुसार परीक्षा कराने की कोशिश की जाएगी.

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जलालपुर: प्रखंड क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर मंगलवार को प्रात: विभिन्न विद्यालयों में शिक्षकों और बच्चों ने योगाभ्यास किया. उत्क्रमित मध्य विद्यालय मंगोलापुर मठिया में देशभक्ति के धुनों पर बच्चों ने एक से बढ़कर एक योग मुद्राओं को प्रस्तुत कर सभी को प्रभावित किया.

योग की विभिन्न क्रियाओं सूर्य नमस्कार, चक्रासन, वज्रासन वृक्षासन, कपालभाति ,अनुलोम विलोम, भ्रामरी शीतली, शीतकालीन व हास्य योग का शिक्षकों व छात्रों ने अभ्यास किया.

विभिन्न विद्यालयों उत्क्रमित मध्य विद्यालय खोरोडीह, नव उच्च सह मध्य विद्यालय मझवलिया, उत्क्रमित मध्य विद्यालय देवरिया हसुलाही, उत्क्रमित मध्य विद्यालय बनकटा उत्क्रमित मध्य विद्यालय भटवलिया, मध्य विद्यालय कोपा, बेसिक स्कूल बंगरा, उत्क्रमित मध्य विद्यालय देवरिया, एस डी एस गलोबल पब्लिक स्कूल अनवल पियानो में भी शिक्षकों ने बच्चों के साथ योगाभ्यास किया.

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पटना: बीपीएससी की 67वीं संयुक्त प्रारंभिक प्रतियोगिता परीक्षा की तारीख आयोग ने तय नहीं की है लेकिन बीपीएससी ने इस वर्ष होने वाली संभावित परीक्षाओं की सूची और उनके संभावित समय कैलेंडर भी जारी किये हैं।

जारी कैलेंडर के मुताबिक, सहायक अभियंता असैनिक लिखित (वस्तुनिष्ठ) परीक्षा, सहायक अभियंता यांत्रिक लिखित (वस्तुनिष्ठ) परीक्षा और सहायक अभियंता विद्युत लिखित (वस्तुनिष्ठ) परीक्षा सितंबर- अक्टूबर तक ली जायेगी। बाल विकास परियोजना पदाधिकारी मुख्य (लिखित) प्रतियोगिता परीक्षा अक्टूबर में ली जाएगी।

सहायक अंकेक्षण अधिकारी (प्रारंभिक) प्रतियोगिता परीक्षा अगस्त में, सहायक नगर योजना (टाउन प्लानिंग) पर्यवेक्षक लिखित प्रतियोगिता परीक्षा सितंबर- अक्टूबर, राजकीय पॉलिटेक्निक राजकीय महिला पॉलिटेक्निक संस्थानों में व्याख्याता लिखित प्रतियोगिता परीक्षा अगस्त- नवंबर तक, राजकीय अभियंत्रण महाविद्यालयों में सहायक प्राध्यापक लिखित प्रतियोगिता परीक्षा अक्टूबर- नवंबर तक, परियोजना प्रबंधन मुख्य लिखित प्रतियोगिता परीक्षा- सितंबर में,अंकेक्षक (बिहार पंचायत अंकेक्षण सेवा) की परीक्षा सितंबर में और सहायक लोक स्वच्छता एवं अपशिष्ट प्रबंधन पदाधिकारी लिखित प्रतियोगिता परीक्षा- नवंबर में ली जा सकेगी।

उल्लेखनीय है कि बीपीएससी की 67वीं संयुक्त प्रारंभिक प्रतियोगिता परीक्षा 08 मई को ली गयी थी लेकिन परीक्षा शुरू होने के कुछ समय बाद ही पेपर लीक होने की जानकारी आने लगी। जांच में यह सही पाया गया। इसके बाद परीक्षा रद्द कर दी गयी थी।

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Patna:  बिहार के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बुधवार को यहां कहा कि राज्य में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है लेकिन हकीकत यह है कि टीईटी को अभी बंद नहीं किया गया है। बिहार में टीईटी की परीक्षा पहले की तरह होती रहेगी। शिक्षा विभाग के फैसले को समझने में गलती हुई है। एस्टेट की परीक्षा स्थायी रूप से नहीं कराने की बात गलत है। यह सिर्फ कुछ समय के लिए स्थगित किया गया है।

चौधरी ने कहा कि यदि नई टीईटी परीक्षा लिया गया तब शिक्षकों की नियुक्ति में देरी होगी। इसलिए ऐसा निर्णय लिया गया है। सातवें चरण की बहाली तक टीईटी नहीं होगी। नियुक्तियां लंबित ना हो इसलिए यह फैसला लिया गया है। वर्तमान परिस्थिति में इसे आगे बढ़ाने का फैसला लिया गया है।

शिक्षा मंत्री ने साफ किया कि पूर्व के परीक्षाओं में उत्तीर्ण छात्र भी अगले चरण की नियुक्ति प्रक्रिया अविलंब प्रारंभ करने की मांग कर रहे हैं। ऐसी स्थिति से निपटने के लिये यह निर्णय लिया गया है कि अगले चरण की नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी करने के बाद जितनी सीटें रिक्त रहेगी, उन सीटों के आधार पर राज्य सरकार परीक्षा आयोजित करेगी। शिक्षा मंत्री ने साफ किया है कि भविष्य में फिर से राज्य सरकार परीक्षा आयोजित करेगी। भविष्य में बिहार शिक्षक पात्रता परीक्षा पर रोक की कोई बात नहीं है।

उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार के शिक्षा विभाग ने मंगलवार को प्राथमिक शिक्षा निदेशक रवि प्रकाश को पत्र लिखकर कहा था कि राज्य सरकार अब बिहार शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) नहीं लेगी। केंद्र सरकार हर साल केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटेट) लेती है। इसलिए अलग से टीईटी लेने की आवश्यकता नहीं है। अब इस फैसले के एक दिन बाद ही शिक्षा विभाग ने यू-टर्न लिया है।

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पटना: शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा है कि कक्षा नौवीं में प्रवेश के लिए एक जुलाई से 15 जुलाई तक प्रवेशोत्सव अभियान चलाया जाये. इसमें कक्षा आठ पास करने वाले सभी बच्चों का नामांकन हर हाल में होना चाहिए. उन्होंने स्कूल से अनुपस्थित रहने वाले बच्चों पर निगरानी के लिए एक सिस्टम बनाने पर जोर दिया. ऐसे बच्चे जो तीन से पांच दिन स्कूल नहीं आये, तो शिक्षकों को उनके अभिभावकों से संपर्क करना चाहिए. बच्चों की स्कूल वापसी हर हाल में करानी होगी.

शिक्षा मंत्री श्री चौधरी ने यह निर्देश रविवार को दशरथ मांझी श्रम एवं नियोजन संस्थान के सभागार में राज्यभर के शिक्षा पदाधिकारियों को दिया. शिक्षा मंत्री ने कहा कि उपस्थिति पर नजर रखने का यह सिस्टम राज्य के 80 हजार सरकारी स्कूलों में प्रभावी किया जायेगा. इस तरह की बैठकें पटना या दूसरे शहर में हर दो माह बाद आयोजित की जानी चाहिए. शिक्षा मंत्री ने पदाधिकारियों से दो टूक कहा कि टीम वर्क करके विभाग की छवि सुधारनी है. चाइल्ड फर्स्ट के साथ–साथ टीचर फर्स्ट की नीति अपनानी होगी.

अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने कहा कि सभी लंबित न्यायालय के मामले, लंबित सेवा संबंधी और सेवांत लाभ संबंधी मामलों को 15 जून तक जल्दी निबटाया जाये. शिक्षा विभाग के सचिव आसंगबा चुबा आओ, माध्यमिक शिक्षा मनोज कुमार और मध्याह्न भोजन निदेशक और विशेष सचिव सतीश चंद्र झा ने भी पदाधिकारियों को संबोधित किया. प्राथमिक निदेशक रवि प्रकाश ने प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति सहित अन्य मामलों का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया.

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प्रतिभाओं की कमी नहीं, जरूरत उचित मंच की है: डॉ गगन

Chhapra: शहर का एकमात्र प्रोफेशनल ट्रेनिंग कॉलेज विद्या विहार कॉलेज द्वारा प्रतिभा सम्मान सह फेयरवेल कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में कॉलेज के पूर्व छात्र, वर्तमान छात्र, अभिवावक, समाजसेवी व मीडियाकर्मियों को सम्मानित किया गया.

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में एडीएम डॉ गगन कुमार ने शिरकत की और एक मोटिवेशनल स्पीकर के नाते उन्होंने बच्चो का हौसला बढ़ाया.

विद्या विहार कॉलेज के निदेशक सुधाकर भारद्वाज ने कहा कि हम प्रतिभाओं को निखारने का काम कर रहे हैं, आज छपरा में रह कर आप कई प्रोफेशनल कोर्स कर सकते हैं, कहीं बाहर जाने की ज़रूरत नहीं. आप यहीं से आगे बढ़ सकते हैं. विद्या विहार कॉलेज आपको हर संभव मदद करेगा.

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में विधान पार्षद डॉ प्रो वीरेंद्र नारायण यादव, संजीवनी नर्सिंग होम के निदेशक डॉ अनिल कुमार, युवा समाजसेवी राजा वरुण प्रकाश, प्रो आर एन चौधरी, शोभा कुमार ( नियोजन पदाधिकारी), अजीत नारायण सिंह आदि मौजूद रहे.

कार्यक्रम का संचालन सुशांत कुमार ने किया और साथ ही अमृत ओझा, अमरदीप कुमार व अन्य की उपस्थिति रही.

आपको बता दें कि मौलाना मज़हरुल हक़ अरेबिक एंड पर्शियन यूनिवर्सिटी पटना से मान्यता प्राप्त विद्या विहार कॉलेज जिसमें कई तरह के प्रोफ़ेशनल कोर्सेस जैसे BBA, BCA, BLISS, BJMC कराए जाते हैं. इस कॉलेज के हाल हीं में पास आउट हुए बच्चे जिन्होंने अपने क्षेत्र में डिस्टिंक्शन पाए और साथ ही बाहर बड़े संस्थान में जगह पाए उन्हें पुरस्कृत किया गया.

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उच्च विद्यालय के शिक्षकों को पी-एच.डी कोर्स वर्क हेतु सवैतनिक अध्ययन अवकाश देने का प्रावधान करे सरकार: प्रो रणजीत कुमार

Chhapra: बिहार शिक्षा मंच के संयोजक तथा सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के पूर्व प्रत्याशी डॉ रणजीत कुमार ने बिहार के शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर मांग किया है कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवम शिक्षक हित में माध्यमिक एवम उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों को छः माह के प्री पी-एच.डी कोर्स वर्क में भाग लेने हेतु सवैतनिक अध्ययन अवकाश का प्रावधान किया जाए तथा पुस्तकालयाध्यक्ष एवम शारीरिक शिक्षकों को भी सेवा शर्त नियमावली 2020 में संशोधन कर पी-एच.डी करने की अनुमति दिया जाए।

डॉ कुमार ने कहा है कि बड़ी संख्या में माध्यमिक एवम उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों ने अपने एकेडेमिक कैरियर के उत्थान एवम विषय विशेषज्ञता हासिल करने हेतु विश्वविद्यालय अनुदान आयोग एवम राजभवन, पटना द्वारा निर्धारित मापदंडों के आलोक में बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों मेंछः माह के प्री पी-एच.डी कोर्स वर्क में अपने नियोक्ता प्राधिकार से विधिवत अनुमति लेकर नामांकन लिया है। वर्तमान समय में इन शिक्षकों के लिए जो सेवा नियमावली लागू है उसके अनुसार इन शिक्षकों को छः माह का प्री पी-एच.डी कोर्स वर्क करने हेतु अवैतनिक अध्ययन अवकाश लेना पड़ता है। विदित हो कि शिक्षा विभाग ने इन विद्यालयों में नियुक्त अप्रशिक्षित शिक्षकों को बी.एड करने हेतु सवैतनिक अवकाश का प्रावधान किया था। विश्वविद्यालयों में नियुक्त शिक्षकों एवम प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को भी पी-एच .डी करने या किसी विषय में विशेषज्ञता हासिल करने हेतु सवैतनिक अध्ययन अवकाश का प्रावधान है। इसलिए विषय मे विशेषज्ञता हासिल करने हेतु प्री पी-एच.डी. कोर्स वर्क में नामांकन लेने वाले माध्यमिक एवम उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के लिए भी छः माह का सवैतनिक अध्ययन अवकाश का प्रावधान किया जाना गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, शिक्षक एवम छात्रहित में सकारात्मक निर्णय माना जाएगा।ऐसे भी शोध कार्य दुरूह, श्रम साध्य एवम खर्चीला होता है।

गौरतलब है कि इन नियोजित शिक्षकों को तमाम योग्यता रहते हुए भी वेतन के रूप में अल्प राशि ही मिलती है। पुनः सेवा शर्त नियमावली 2020 में पुस्तकालयाध्यक्ष एवम शारीरिक शिक्षकों को पी-एच.डी करने हेतु निर्धारित योग्यता नेट-पेट उत्तीर्ण रहने पर भी पी-एच.डी करने की अनुमति नहीं दी गई है। शिक्षा विभाग का यह निर्णय भेदभावपूर्ण एवम अवसर की समानता संबंधी मूल अधिकार का उल्लंघन है। इसलिए पुस्तकालयाध्यक्षों एवम शारीरिक शिक्षकों को भी पी-एच.डी. करने की अनुमति देने हेतु विभेदकारी वर्तमान सेवा शर्त नियमावली में जल्द से जल्द संशोधन किया जाए। सरकार के इन कदमों से शिक्षकों में सरकार के प्रति सकारात्मक भाव संचारित होगा।

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– दिल्ली विश्वविद्यालय और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की रैंकिंग में गिरावट

नई दिल्ली: दुनिया के उच्च शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों की क्वाक्वेरेली साइमंड्स (क्यूएस) वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग-2023 में भारत के 41 शिक्षण संस्थानों ने वैश्विक स्तर पर शीर्ष 1422 में जगह बनाई है। इनमें से सात संस्थानों को पहली बार सूची में स्थान मिला है। पिछले वर्ष यूनिवर्सिटी रैंकिंग में भारत के केवल 35 संस्थान ही शामिल थे। केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भारतीय संस्थानों को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी) बेंगलुरु देश का सर्वश्रेष्ठ शिक्षण संस्थान बन गया है। आईआईएससी ताजा वैश्विक रैंकिंग में ऑवर ऑल स्कोर 49.5 के साथ 155वें स्थान पर है। संस्थान ने पिछले साल से 31 स्थानों की छलांग लगाई है और भारतीय संस्थानों में पहला स्थान हासिल किया है।

इसके बाद भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बॉम्बे और आईआईटी दिल्ली ने शीर्ष 200 में जगह बनाई है। आईआईटी बॉम्बे पिछले साल की तुलना में पांच पायदान ऊपर गया है। वह 46.7 के साथ 172वें स्थान पर है। आईआईटी दिल्ली 46.5 के साथ 174वें स्थान पर है। आईआईटी दिल्ली ने 11 स्थान की छलांग लगाई है।

सभी चुनिंदा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों ने अपनी स्थिति में सुधार किया। शीर्ष 300 में अन्य में आईआईटी मद्रास (250 वां), आईआईटी कानपुर (264 वां) और आईआईटी खड़गपुर (270 वां) शामिल हैं। वहीं शीर्ष 400 में भारत के तीन आईआईटी हैं। आईआईटी रूड़की 369वें स्थान पर है जबकि आईआईटी गुवाहाटी 384 और आईआईटी इंदौर 396 वें पायदान पर है।

दिल्ली विश्वविद्यालय और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की रैंकिंग में गिरावट दर्ज की गई है। डीयू को इस साल 521-530 की रैंकिंग श्रेणी में स्थान दिया गया है। पिछले साल डीयू को 501-510 की श्रेणी में रखा गया था। अन्ना यूनिवर्सिटी चेन्नई को 551-560 रैंकिंग श्रेणी में रखा गया है। आईआईटी संगारेड्डी को 581-590 वें रैंकिंग में रखा गया है। जेएनयू को 601-650 वें रैंकिंग श्रेणी में रखा गया है जबकि पिछले वर्ष यह 561-570 श्रेणी में शामिल था।

आईआईटी बीएचयू वाराणसी को 651-700 रैंकिंग में स्थान मिला है। 701-750 की रैंकिंग में जाधवपुर विश्वविद्यालय, कोलकाता को स्थान दिया गया है। मणिपाल उच्च शिक्षा अकादमी (माहे) और हैदराबाद विश्वविद्यालय को 751-800 में स्थान दिया गया है।

चंडीगढ़ विश्वविद्यालय (801-1,000) नई प्रविष्टियों में सबसे कम उम्र का है, जिसकी स्थापना दस साल से भी कम समय पहले हुई थी। इसके अलावा 801-1000 रैंकिंग में आईआईटी भुवनेश्वर, जामिया मिल्लिया इस्लामिया, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) तिरुचिरापल्ली, पांडिचेरी विश्वविद्यालय, शूलिनी विश्वविद्यालय सोलन, कोलकाता विश्वविद्यालय में शामिल है।

1001-1200 रैंकिंग में अलिगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, एमिटी यूनिवर्सिटी नोएडा, अमृता विश्वा विद्यापीठम अमृतपुरी, बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी, बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस पिलानी, सत्यभामा विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान चेन्नई, शिक्षा ओ अनुसंधान यूनिवर्सिटी भुवनेश्वर, थापर इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी पटियाला, मुंबई विश्वविद्यालय, वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी शामिल हैं।

इस साल की क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग अब तक की सबसे बड़ी है, जिसमें सौ स्थानों पर 1,418 संस्थान हैं, जो पिछले साल के 1,300 से अधिक है। मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) लगातार 11वें साल दुनिया में नंबर एक पर है। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय दूसरे स्थान पर पहुंच गया है, जबकि स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय तीसरे स्थान पर बना हुआ है।

केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भारतीय संस्थानों को बधाई देते हुए ट्वीट किया, क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2023 में 41 भारतीय विश्वविद्यालयों ने जगह बनाई है। सभी विश्वविद्यालयों को मेरी बधाई। भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) बेंगलुरू, आईआईटी बॉम्बे और आईआईटी दिल्ली को उनकी अकादमिक उत्कृष्टता और लगातार शीर्ष 200 की वैश्विक लीग में शामिल होने के लिए बधाई।

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