Chhapra: लॉक डाउन में लगभग डेढ़ महीने से स्कूल व सभी शिक्षण संस्थान बंद है. ऐसे में नए सेशन में बच्चों को पाठ्य सामग्री उपलब्ध हो सके इसके लिए प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर स्कूलों में 33% कर्मचारियों की उपस्थिति को लेकर मांग की है.

प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की अध्यक्षा सीमा सिंह ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर कहा है कि निजी विद्यालय के कार्यालय में 33% कर्मचारी की उपस्थिति सुनिश्चित हो ताकि ऑनलाइन पठन-पाठन की व्यवस्था बेहतर हो सके. उन्होंने मांग किया कि विद्यालय द्वारा बिजली-पानी और साफ-सफाई की व्यवस्था किया जा सके इसके लिए अनुमति दी जाए. अगर शिक्षकों को स्कूल आने की अनुमति दी जाय तो सभी कक्षाओं में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भी हो सकेगा.

अध्यक्षा सीमा सिंह ने जिलाधिकारी से दरख्वास्त किया कि अभिभावक किताब एवं लेखन सामग्री अपने स्तर से विद्यालय व शैक्षणिक दुकानदार से प्राप्त कर सकें.

सीमा सिंह ने बताया कि लॉक के कारण उत्पन्न परिस्थिति में सारण जिला के लगभग निजी विद्यालय अपने स्तर से विद्यार्थियों को ऑनलाइन माध्यम से शिक्षा प्रदान कर रहे है. लेकिन विद्यालय में शिक्षकों की उपस्थित होगी तो ऑनलाइन शिक्षा और बेहतर हो सकती है.

जिलाधिकारी को आश्वस्त किया कि एसोसिएशन जिले के सभी विद्यालयों में लॉक डाउन निर्धारित नियमों का पालन कराया जाएगा, साथ में उन्होंने निवेदन किया कि विद्यार्थियों एवं विद्यालयों के हल करते हुए एसोसिएशन की मांग को पूरी करें.

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Chhapra: मार्च में शिक्षकों की फीकी होली के बाद मई के महीनें में शिक्षकों का रमज़ान भी बदरंग होने जा रहा है. नियोजित शिक्षकों के प्रति सरकार की बेरुख़ी और शिक्षकों का अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर डटे रहना दोनों ही इसके कारण है. नियोजित शिक्षक 17 फरवरी से अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर है.कोरोना वायरस के Lockdown के बाद ही शिक्षक हड़ताल पर है. विद्यालय भी विगत 13 मार्च से बंद है. फिलहाल lockdown की अवधि 17 मई तक निर्धारित है.

17 फरवरी से हड़ताल पर रहने वाले शिक्षकों को वेतन नही मिल रहा है. शिक्षा विभाग द्वारा वैसे शिक्षकों को वेतन देने की अनुमति है जो हड़ताल से वापस आये हो, वह भी उस दिन से जब वह हड़ताल से वापस आये हो. शिक्षक संघ द्वारा जारी सूची के अनुसार जिले में प्रारंभिक विद्यालयों में करीब 95 प्रतिशत से अधिक शिक्षक एवं माध्यमिक विद्यालयों में 85 प्रतिशत शिक्षक हड़ताल पर है.

मुस्लिम शिक्षकों के लिए रमज़ान का महीना पाक पवित्र और ईबादत का महीना है. इस माह में मुस्लिम समुदाय के सभी 30 दिनों का रोजा रखते है साथ ही साथ ईद के अवसर पर नए नए कपड़ों की खरीददारी होती है. लेकिन इस बार मुस्लिम शिक्षकों का रोज़ा और रमज़ान बदरंग हो रहा है. फरवरी से वेतन नही मिलने के कारण शिक्षक आर्थिक रूप से कमजोर हो चुके है, ऐसे में घर परिवार के लोगों का रोजा रखना भी मुश्किल हो रहा है.

25 मई को ईद है ऐसे में मुस्लिम शिक्षकों को यह चिंता सता रही है कि उनके बच्चों एवं परिवार की उम्मीदों पर क्या होगा. बहरहाल केंद्र सरकार ने Lockdown की अवधि में सभी को कार्यरत मानते हुए वेतन देने का आदेश दिया है. लेकिन शिक्षकों के हड़ताल पर रहने से राज्य सरकार ने कोई निर्देश नही दिया है. शिक्षक संघ सरकार से बार बार वार्ता करने की बात कह रहे है लेकिन सरकार वार्ता को तैयार नही हो रही है और ना ही शिक्षकों पर किसी तरह की नरमी का ही आदेश जारी कर रही है.

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Chhapra: वर्तमान स्थिति में कोरोना संक्रमण के कारण लाॅकडाउन के चलते सभी शिक्षण संस्थान बंद हैं. छात्र – छात्राओं की पढ़ाई का नुकसान न हो, इसको ध्यान में रखते हुए छपरा शहर के दून सेन्ट्रल स्कूल में आनलाइन पढ़ाई शुरू हो चुकी है. आनलाइन पढ़ाई नए सत्र 2020-21 के लिए सभी विषयों में कराई जा रही है. बहुत सारे छात्र – छात्राएँ एवं अभिभावक इससे लाभ उठा रहे हैं. जो अभिभावक अभी तक आनलाइन क्लासेज का लाभ नहीं ले रहे हैं. दून सेन्ट्रल स्कूल के कार्यालय के मोबाईल पर फोन करके जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.

निदेशक सन्तोष कुमार मिश्रा व प्राचार्य श्रीकांत सिंह ने बताया कि हर साल दून सेंट्रल स्कूल के छात्र देश भर के तमाम प्रतिष्ठित स्कूलों में चयनित होते हैं. इस बार लॉक डाउन की वजह से सेशन प्रभावित हुआ है. लेकिन छात्रों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से उचित तैयारी कराई जा रही है. इस साल दून सेंट्रल स्कूल से आर के मिशन में दर्जनों छात्रों को प्रवेश मिला.

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Chhapra: शिक्षा विभाग के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना सुनील कुमार गुप्ता ने पत्र जारी करते हुए प्रखंड में संगठन से जुड़े शिक्षकों की सूची मांगी है. डीपीओ श्री गुप्ता द्वारा सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को पत्र जारी करते हुए 24 घंटे के अंदर सूची की मांग की गई है.

डीपीओ के जारी पत्र में कहा गया है कि प्रखंड में पदस्थापित शिक्षक जो किसी न किसी संघ से जुड़े हुए है का विहित प्रपत्र में प्रतिवेदन 24 घंटे के अंदर मेल किया जाए. पत्र के साथ एक प्रपत्र भी है जिसमे संगठन का नाम, संगठन में पद, शिक्षक का नाम, शिक्षक के पदस्थापित विद्यालय का नाम, नियोजन इकाई सहित कई अन्य जानकारी मांगी गई है.

शिक्षक संघ ने इस सूची के साथ मांगी गई सूचना का कड़ा विरोध किया है. संघ के लोगो का कहना है कि शिक्षक हड़ताल ओर है ऐसे में जब सभी सरकार ने हड़ताल तोड़ने के सभी हथकंडे अपना लिए इसके बाद भी हड़ताल नही टूटी तब शिक्षकों में अलगाव किया जा रहा है.

शिक्षक अपने हक के लिए हड़ताल पर है सरकार संघ के कुछ लोगो से वार्ता नही कर सकती लेकिन 38 जिले के डीईओ से बार बार वार्ता कर सकती है. संघ ने बार बार वार्ता के लिए पत्र भेजा लेकिन सरकार चिर निद्रा में है अहंकार में है, कि शिक्षक घुटने टेक दे. लेकिन सरकार यह बात भूल रही है कि शिक्षक और उसका परिवार बिहार का मतदाता भी है. यह मतदाता तैयार है, यह भी अपना अधिकार दिखाएगी.

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Chhapra: छपरा के राजेंद्र सरोवर स्थित ABC Tutorial में 12वीं की पढ़ाई के लिए ऑनलाइन क्लास शुरु कर दिया गया है. एबीसी ट्यूटोरियल के निदेशक पीबी सिंह ने बताया कि 12वीं के छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाने की व्यवस्था कर ली गई है और छात्रों को ऑनलाइन क्लास दिया जा रहा है. इसकी जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि छात्रों के लिए विशेष तौर पर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म डिवेलप कराया गया है. जिसके तहत छात्र ऑनलाइन जुड़ पा रहे हैं और 12वीं सीबीएसई और बिहार बोर्ड की पढ़ाई हो पा रही है. उन्होंने कहा कि छात्रों का सिलेबस समय पर पूरा हो सके इसलिए सभी शिक्षक हर रोज ऑनलाइन क्लास ले रहे हैं.

JD पब्लिक स्कूल में ऑनलाइन प्लेटफार्म पर पढ़ाई
वहीं दूसरी तरफ छपरा के जीडी पब्लिक स्कूल में भी दसवीं तक की पढ़ाई को ऑनलाइन कर दिया गया है. सोमवार से ऑनलाइन पढ़ाई भी शुरू कर दी गई. बच्चों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए पढ़ाया जा रहा है. हर रोज उन्हें टास्क भी दिया जा रहा है. यही नहीं स्कूल के शिक्षकों द्वारा प्रत्येक छात्र की मॉनिटरिंग भी की जा रही है. हर रोज ऑनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से 3 से 4 घंटे क्लास चलाए जा रहे हैं.

JD टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज में ऑनलाइन ट्रेनिंग शुरू
दाउदपुर के बंगरा स्थित जनार्दन सिंह टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज में भी प्रशिक्षणार्थियों के लिए ऑनलाइन ट्रेनिंग शुरू कर दी गई है. निदेशक ने बताया कि लॉक डाउन के बाद हर सबसे ज्यादा पढ़ाई प्रभावित हुआ है. ऐसे में टीचर्स ट्रेनिंग के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से उन्हें पढ़ाया जा रहा है.जितने भी प्रशिक्षणार्थी हैं उन्हें ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से जोड़कर ट्रेनिंग दी जा रही है. कॉलेज के इस मुहिम से सभी प्रशिक्षणार्थी ऑनलाइन जुड़कर ट्रेनिंग ले रहे हैं.

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Chhapra: कोविड-19 कोरोना वायरस को लेकर संपूर्ण ने देश में लॉक डाउन है. लॉकडाउन की वजह से हर चीज पर गहरा असर पड़ा है. लेकिन पढ़ाई पर कोई असर ना पड़े इसके लिए ऑनलाइन पढ़ाई शुरू की गई है. एसडीएस सीनियर सेकेंडरी स्कूल में ऑनलाइन पढ़ाई शुरू की गई है.

प्राचार्य राकेश कुमार सिंह ने बताया कि बच्चों के पढ़ाई पर कोई असर न पड़े और घर बैठे सुरक्षित तरीके से बच्चे शिक्षा ग्रहण करें, इसके लिए ऑनलाइन पढ़ाई शुरू की गई है. ऑनलाइन के जरिए ही असाइनमेंट, प्रोजेक्ट, होम वर्क दिया जा रहा है. ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर बच्चों में काफी उत्सुकता देखी जा रही है और बच्चे रुचि भी ले रहे हैं. जब तक करोना की जंग जारी रहेगी तब तक घर रहकर बच्चे सुरक्षित वातावरण में ऑनलाइन पढ़ाई के जरिए शिक्षा ग्रहण करते रहेंगे.

वही आरएन सिंह कॉलेज के प्राचार्य अरुण कुमार सिंह ने बताया कि कॉलेज के सभी शिक्षकों के द्वारा अपने घर से ही बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा दी जा रही है. ऑनलाइन शिक्षा के जरिए बच्चों को यह भी बताया जा रहा है कि घर से बाहर ना निकले, घर से बाहर ना निकलने की वजह से ही आप लोगों को ऑनलाइन के जरिए शिक्षा दी जा रही है. बच्चों को कोविड-19 कोरोना वायरस को लेकर भी जागरूक किया जा रहा है.

फोटो: फ़ाइल

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Chhapra: आरएसए के संयोजक विवेक कुमार विजय ने कहा कि जयप्रकाश विश्वविद्यालय छपरा लॉक डाउन के बाद अपने शेष परीक्षाएं एवं नामांकन कराने का मॉडल मैं बदलाव करें. विश्वविद्यालय परीक्षा केंद्र अधिक से अधिक बढ़ाने का प्रयास करें. इसके लिए हाई स्कूल एवं इंटर कॉलेजों को भी ले लें. प्रश्न पत्रों की संख्या कम कर के 5 या 6, प्रश्नों के स्थान पर केवल 4- 3 प्रश्नों का ही हल करने, प्रश्न पत्र हल करने के समय में भी कटौती करके 2 घंटे ही मात्र रखें.

उन्होने कहा कि परीक्षा दो पालियो के जगह तीन पालियो में आयोजन करें. इन सारे विकल्पों पर विचार करके जल्द से जल्द लॉक डाउन खत्म होने के बाद परीक्षा का आयोजन कराया जाए, ताकि सत्र नियमित हो सके. नए सत्र में नामांकन हेतु सारी प्रक्रिया ऑनलाइन कराते हुए. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए छात्र छात्राओं को महाविद्यालय नहीं बुलाया जाए. बल्कि ऑनलाइन वेरिफिकेशन ही कर लिया जाए. स्नातक स्तर पर प्रथम खंड एवं द्वितीय खंड के छात्र छात्राओं को प्रोन्नत कर स्नातक तृतीय खंड में नामांकन लेने का आदेश दे देना चाहिए. विश्वविद्यालय प्रशासन को ताकि सोशल डिस्टेंस का पालन भी हो सके.

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Chhapra: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद छपरा इकाई मेल के मध्यम से जयप्रकाश विश्वविद्यालय के कुलपति से परीक्षार्थियों को अगले क्लास में प्रोन्नति करने की मांग किया है. वही जयप्रकाश विश्वविद्यालय संयोजक रवि पाण्डे ने कहा है कि जयप्रकाश विश्वविद्यालय में विगत कई वर्षों से शैक्षणिक सत्र विलंब चल रहा है. उसी बीच प्रकृति आपदा के तौर पर पूरा विश्व कोरोना जैसे महामारी से ग्रसित है, जिसके कारण लगभग पूरे विश्व में लॉक डाउन चल रहा है, ऐसे में पठन-पाठन स्थगित हो चुका है.

उन्होने कहा कि कई परीक्षा जिसकी तिथि निर्धारित हो चुकी थी, लॉक डाउन के वजह से वह परीक्षा नहीं हो पाई जिससे जयप्रकाश विश्वविद्यालय के शैक्षणिक सत्र और विलंब हो रहा है. वहीं कुलपति का ध्यान दिल्ली विश्वविद्यालय के तरफ आकृष्ट कराते हुए पाण्डेय ने कहा है कि सत्र नियमित करने हेतु विश्वविद्यालय में प्रथम खंड एवं द्वितीय खंड के परीक्षार्थियों को बिना परीक्षा दिए ही प्रोन्नत करने का प्रस्ताव आया है, तथा तृतीय खंड के परीक्षार्थियों को परीक्षा देना अनिवार्य किया गया है. अगर जयप्रकाश विश्वविद्यालय में भी प्रथम खंड द्वितीय खंड के परीक्षार्थियों को बिना परीक्षा प्रोन्नत किया जाए तो जयप्रकाश विश्वविद्यालय भी शैक्षणिक सत्र में पिछड़ने से बच जाएगा.

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Chhapra: एसएफआई के केन्द्रीय कमिटी के आह्वान पर छपरा जिले के विभिन्न प्रखण्डों मे एसएफआई के युनिटों द्वारा सोशल डिस्टेशिंग का पालन करते हुए अभियान #ProtestfromHome के तहत घर के छतों एवं बालकोनियों से हस्तलिखित पोस्टर के माध्यम से प्रदर्शन किया गया.

पोस्टर प्रदर्शन के दौरान एसएफआई के राज्याध्यक्ष शैलेन्द्र यादव ने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकारें लाकडाउन का दौरान परेशानी झेल रहे छात्रों एवं प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर पुरी तरह से संवेदनहीन बनी हुई है. सरकार को सिर्फ अपने मंत्रियों और विधायकों के लाडलों की चिंता है. एक तरफ सांसद एवं विधायकों के लाडलो को घर बुलाने के लिए स्पेशल गाडी की व्यवस्था की जा रही है तो दूसरे तरफ छात्रावावासों एवं नीजी मकानो मे फंसे छात्रों के साथ साथ प्रवासी मजदूर एव उनके परिवार भूखमरी की मार झेल रहे है.

उन्होने कहा कि हद तो तब हो जाती है जब इस वैश्विक महामारी से फटेहाल हुए गरीब परिवार जिनके निवाले के लिए सरकार आटा नही उपलब्ध करा रही उनके बच्चों को पढने के डाटा की नसीहत देकर ऑनलाइन क्लासेज चलाकर गरीबो को शिक्षा से दूर करने की नापाक षड्यंत्र रच रही है. पोस्टर प्रदर्शन विभिन्न प्रखण्डों मे विभिन्न संगठन के नेताओं के नेतृत्व मे किया गया. छपरा सदर के नेतृत्वकर्ता सद्दाब अहमद मजहरी एवं देवेन्द्र कुमार इसुआपुर के नेतृत्वकर्ता रीतेश कुमार, पंचम कुमार, परसा के नेतृत्वकर्ता विकास कुमार, आलोक कुमार, जनता बजार के नेतृत्वकर्ता गोलू सिंह कुशवाहा एव रुपेश कुमार माझी-जलालपुर अमरजीत कुमार, तरैया के नेतृत्वकर्ता कल्पनाथ कुमार एवं संतोष कुमार थे.A valid URL was not provided.

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Chhapra: वैश्विक महामारी को लेकर संपूर्ण लॉकडाउन के बीच ब्रज किशोर किंडरगार्डन की प्राचार्य डॉ उषा सिन्हा ने ऑनलाइन पढ़ाई शुरू कराई है. उन्होंने बताया कि कर्मठ, योग्य, कुशल और प्रशिक्षित शिक्षकों के साथ सरकार द्वारा मिले मार्गदर्शन और अनुशासन का पालन करते हुए बच्चों को घर बैठे सुरक्षित रखकर ऑनलाइन पढ़ाई देने का सुअवसर प्रदान किया गया है, ताकि बच्चों की पढ़ाई का नुकसान ना हो और उनका पाठ्यक्रम भी समय से पूरा हो.

उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के वजह से बाधित हो रही पढ़ाई नई मॉडर्न टेक्नोलॉजी के माध्यम से जुड़कर निराश बच्चे और उनके अभिभावक काफी खुश और संतोष दिखाई दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि अपनी प्रतिपुष्टि ऑनलाइन के जरिए ही सकारात्मक तरीके से शिक्षकों को देंगे. इस माध्यम से बच्चे घर में रहकर नियमित पढ़ाई और शिक्षकों से मिले गृह कार्य में आई कठिनाई को एक दूसरे से साझा कर हल कर सकेंगे.

इस संबंध में अभिभावकों से मिले योगदान के लिए उन्हें धन्यवाद दिया और घर में स्वस्थ और सुरक्षित रहने का संदेश दिया.

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Chhapra: विगत एक महीने के लॉकडाउन में पूरी दुनिया अस्त व्यस्त हो गयी है वहीं विद्यार्थीओं के पठन पाठन पर इसका गहरा असर पड़ा है. शहर के सेन्ट्रल पब्लिक स्कूल ने विद्यालय की लगभग समस्त गतिविधियों को ऑनलाइन कर दिया है. जिसका सीधा लाभ अभिभावकों और विद्यार्थियों को हो रहा है.

विद्यालय प्रबंधक विकास कुमार ने बताया कि लॉक डाउन के प्रथम सप्ताह में यह समझ आ गया था कि ये लड़ाई लम्बी होने वाली है. तभी से विद्यालय ने बच्चों को ऑनलाइन असाइनमेंट, प्रोजेक्ट देना शुरू कर दिया था. जिसको अभिभावकों ने काफी सराहा और विद्यार्थीओं ने काफी रुचि दिखाई. विगत सप्ताह से विद्यालय अब स्कूल के सहज ऑनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से विद्यार्थियों तक पहुँच रहा है.

वीडिओज़, ऑडियो कॉन्टेंट, नोट्स और होम असाइनमेंट्स के माध्यम से पढ़ाई हो रही है. जिन बच्चों के पास ऑनलाइन सुविधा नहीं है वो अपने विषय शिक्षक से मोबाइल के माध्यम से अपने प्रश्नों का हल पा रहे है. पाठ्य पुस्तक की प्रतियाँ पूर्व में ही विद्यार्थीओं को ऑनलाइन मुहैया करा दी गयी है. सीपीएस ग्रुप के चेयरमैन डॉ हरेन्द्र सिंह ने आशा व्यक्त किया कि जल्दी ही सारी गतिविधियां पूर्व की तरह समान्य हो जाएंगी.

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Chhapra: छपरा जयप्रकाश विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर शिक्षक संघ के सचिव तथा बिहार शिक्षा मंच के संयोजक प्रो रणजीत कुमार ने बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव शत्रुघ्न प्रसाद सिंह को एक खुला पत्र भेजकर 25 फरवरी से अपनी न्यायोचित माँगो की पूर्ति हेतु शिक्षकों द्वारा जारी आंदोलन को अपना समर्थन व्यक्त करते हुए कहा कि मैंने नियोजित शिक्षकों की मूल मांगों जैसे वेतनमान, पेंशन, सेवांत लाभ, अंतरजिला स्थानांतरण, राज्यकर्मी का दर्जा, भविष्य निधि कटौती, उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के मान सम्मान तथा समय से वेतन भुगतान के मुद्दे पर बेबाकी से समय समय पर सरकार को दर्जनों पत्र लिखकर समस्याओं एवम मांगों से अवगत कराया है. लेकिन एक सोची समझी राजनीति के तहत धरने को सम्बोधित करने से मुझे मना कर दिया गया. इस निर्देश को केवल सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के दायरे में आने वाले सारण, सिवान, गोपालगंज, पूर्वी एवम पश्चिमी चंपारण में सख्ती से लागू किया गया जबकि उसी दिन आपने हड़ताल का समर्थन करने के लिए बिहार की जनता के नाम से एक अपील पत्र भी जारी किया.

सरकार से लोकतांत्रिक मूल्यों एवम परम्पराओं के निर्वहन की अपेक्षा करने वाले अपने संकीर्ण सियासी लाभ के लिए इन शाश्वत मूल्यों को दफन करने में जरा भी संकोच नहीं करते. ऐसा प्रतीत होता है कि संघ और सियासत के शतरंजी बिसात पर आपको मोहरे के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है.

इन सवालों का जवाब दे माननीय

प्रो कुमार ने आम शिक्षकों की तरह संघ नेतृत्व की नीति एवम नीयत को लेकर सवाल खड़ा किया है जिसमे नियोजन वाद का संघ का समर्थन, शिक्षकों के वोट की बदौलत 18 वर्ष से विधान पार्षद के पद पर रहने के बावजूद शिक्षक शोषित हो रहे है. इनकी आवाज नही उठायी गयी. वस्तुतः शिक्षकों की रहनुमाई के नाम पर लगातार शिक्षक हितों की सौदेबाज़ी होती रही है. सत्ता के साए में सुविधा की सियासत करने वाले शिक्षकों के दुःख दर्द को क्या समझेगें? अभी हाल में ही विधानमंडल में राज्यपाल के अभिभाषण पर शिक्षक प्रतिनिधियों द्वारा उठाए गए सवाल का जबाब देने के क्रम में जब मुख्यमंत्री शिक्षकों को जलील करने वाली भाषा का प्रयोग कर रहे थे तो आपके विधान पार्षद महोदय प्रतिकार करने के बदले सदन से ही अनुपस्थित हो गए.

मुख्यमंत्री का यह कहना कि ज्यादा बोलिएगा तो सारा पोल पट्टी खोलकर रख देंगे. क्या राज है जिसके खुलने से माननीय भयभीत हैं? बिहार सरकार वर्ष 2006 से ही नियोजित शिक्षकों के नाम पर कुल 37500/-(60%केंद्र तथा 40%राज्य) उठाती रही है और शिक्षकों को वेतन मद में 6000 रु से प्रारंभ कर आजकल अधिकतम 30000 रु दे रही है. सब कुछ जानते हुए भी क्या विधान पार्षद ने कभी शोषण एवम अन्याय के खिलाफ सदन में अपनी आवाज़ बुलंद किया ?शिक्षकों के इस अनवरत शोषण में क्यों नहीं माननीय की भी संलिप्तता मानी जाय?

वामपंथी नेताओं के बारे में आम धारणा है कि उनमें पदलोलुपता एवम कुर्सी प्रेम अन्य दलों की तुलना में कम होता है लेकिन यहाँ तो उल्टा दिखाई पर रहा है. संघ के दोनों महत्वपूर्ण पदों पर ताउम्र काबिज़ रहने के लिए संघ के संविधान में संशोधन कर पदों की अदला बदली कर ली गई. क्या संघ में कोई दूसरा काबिल व्यक्ति नहीं है जो इन पदों को सँभाल सके?नियोजित शिक्षकों को अपने हाल पर रोना आ रहा है और नेता शिक्षकों से प्राप्त चंदे की राशि से 27 लाख की गाड़ी खरीदकर सवारी कर रहे हैं.

बी एस टी ए राजनीतिक संगठन है और अध्यक्ष क्या विधानपार्षद पद हेतु संघ के घोषित उम्मीदवार हैं? यदि नहीं तो संघ का व्यक्तिगत सियासी महत्वाकांक्षा के लिए दुरुपयोग क्यों ? अप्रैल में विधानपार्षद का चुनाव होना था इसे ध्यान में रखते हुए 25 फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की गई. इससे इनका छिपा हुआ सियासी एजेंडा सामने आ गया. सरकार की हठधर्मिता की वजह से शिक्षक निलंबित हुए हैं.उनके ऊपर प्राथमिकी दर्ज किया गया है. कार्यरत अवधि का भी वेतन रोक दिया गया है. अप्रत्याशित कोरोना महामारी एवम लॉक डाउन की वजह से आंदोलन की धार भी कुंद पर गई है.

कुल मिलाकर शिक्षकों को प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है. सवाल है कि जब सब कुछ शिक्षकों को ही करना और भोगना है तो फिर नेता क्या करेंगे ? विधान मंडल सत्र के दौरान सरकार की हठधर्मिता के विरुद्ध अपने सहयोगियों के साथ अध्यक्ष जी विधानमंडल के समक्ष भूख हड़ताल पर क्यों नहीं बैठे ?सरकार के साथ वफादारी भी निभाएंगे और चुनाव नजदीक आने पर शिक्षकों को सब्जबाग भी दिखाएगें. शिक्षक समाज इस सियासी खेल पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं.

पत्र में उठाये गए मसलों पर आपका तथ्यात्मक जवाब शिक्षकों को मिलेगा, मुझे ऐसी आशा है. पुनश्च मैं चार लाख नियोजित शिक्षकों की न्यायोचित मांगों का समर्थन करता हूँ तथा उनके संघर्ष में शामिल हूँ.

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